रायपुर: रीवा गांव में हाल ही में हुई खुदाई में माघ शासकों के काल के सिक्के मिले हैं. खुदाई में एक स्तूप, सोने का सिक्का भी मिला है. माघ शासकों के साथ-साथ अन्य शासकों के सिक्के भी बरामद किए गए हैं. पिछले साल भी खुदाई शुरू होने के बाद, माघ शासक की मुहरों (मिट्टी से बनी) के साथ बड़ी संख्या में पांच स्तूप, माघ सिक्के बरामद किए गए थे. पुरातत्व विभाग के उप निदेशक प्रताप पारख ने बताया कि मिट्टी के बर्तनों को गहराई से बरामद किया गया है. खुदाई स्थल में बस्तियों की संभावनाओं के बारे में भी संकेत मिले हैं.
माघ शासनकाल के सिक्के बरामद: विभाग के अधिकारियों की माने तो जैसे-जैसे खुदाई का काम आगे बढ़ेगा, यह इतिहास के सुनहरे पन्ने पलट देगा. रीवा उत्खनन स्थल के संयुक्त निदेशक पुरुषोत्तम साहू ने बताया कि खुदाई में मिले 'माघ वंशी' सिक्कों पर विशेष शोध काम किया जा रहा है. जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक नए राजवंश के शामिल होने का संकेत देता है. सिक्के मिलने के संकेत रीवा विभिन्न सामग्रियों के व्यापार और निर्माण के लिए एक जगह हो सकती है. रीवा गढ़ के बाद सिरपुर का उदय हुआ होगा.
खुदाई के दौरान सील भी मिला है. विभाग के अधिकारी बताते हैं कि सील की बरामदगी बताती है कि माघ शासन काल में प्रशासनिक अधिकारी के साथ एक इकाई भी मौजूद थी. खुदाई में मिले गहने और अर्द्ध कीमती पत्थरों से उस दौरान के फैशन के बारे में पता चल रहा है.
इतिहास की दृष्टि से बड़ी उपलब्धि: पुरातत्वविद राहुल सिंह ने कहा कि रीवा गांव एक अद्वितीय सांस्कृतिक स्थल है. खुदाई के दौरान अलग अलग अवशेषों का मिलना छत्तीसगढ़ के इतिहास को नया आयाम देगी और एक नया अध्याय खोलेगी. माघ शासकों के सिक्कों की बरामदगी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. यह ना सिर्फ छत्तीसगढ़ और भारतीय इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इतिहास लेखन के अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण है.
सिंह ने कहा कि वास्तव में इसका उल्लेख 'वायु पुराण' में भी है. उसमें कहा गया है कि आने वाले सालों में मेघ वंश के शासक दक्षिण कौशल (वर्तमान में छत्तीसगढ़) पर शासन करेंगे. पहली शताब्दी और चौथी शताब्दी के बीच की अवधि का कोई भी साक्ष्य, जिसमें गुप्तों का आगमन हुआ, भारतीय इतिहास के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के इतिहास के लिए भी महत्वपूर्ण है. मेघ वंश या माघ वंश का उल्लेख रीवा में अवशेषों के रूप में मिलना इतिहास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं.