बीजापुर: नक्सलियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले और सलवा जुडूम अभियान का बिगुल फूंकने वाले मधुकर राव का हार्ट अटैक से निधन हो गया है. मंगलवार की सुबह मधुकर राव के सीने में दर्द उठा था. जिसके बाद उन्हें गृह ग्राम कुटरु से तेलंगाना के वारंगल उचित उपचार के लिये लाया गया. वारंगल के एक निजी अस्पताल में मधुकरराव का उपचार चल रहा था. नंगलवार की शाम करीब 6 बजे इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली.
बुधवार को मधुकर राव का कुटरू में होगा अंतिम संस्कार: तेलंगाना के वारंगल से राव का पार्थिक शरीर बीजापुर जिले के कुटरू के लिये रवाना हो गया है. बुधवार को कुटरू में सलवा जुडूम के नेता मधुकर राव का अंतिम संस्कार किया जायेगा. मुधुकर राव नक्सलीयों के हिट लिस्ट में थे, क्योंकि नक्सलियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए राव ने सलवा जुडूम अभियान की शुरुआत की थी. नक्सली द्वारा राव पर हमला करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन नक्सली कामयाब हो नहीं पाए.
मधुकर राव ने की सलवा जुडूम अभियान की अगुवाई: कुटरू निवासी मधुकर राव पहले पेशे से एक शिक्षक थे. वर्ष 2005-2006 में नक्सलियों के खिलाफ कुटरू के अम्बेली से शुरू हुई सलवा जुडूम अभियान का हिस्सा बनकर उन्होंने शिक्षक के पद से त्याग पत्र दे दिया था. कुछ दिनों के बाद मधुकर राव सलवा जुडूम अभियान से जुड़कर इसकी अगुवाई करने लगे. वर्तमान में मधुकर राव कुटरू में ही पंचशील आश्रम का संचालन कर रहे थे. सलवा जुडूम के लीडर कुटरू में कड़ी सुरक्षा के बीच रहा करते थे, वहीं वे अनाथ बच्चों को शिक्षा दिया करते थे.
क्या है सलवा जुडूम अभियान? : सलवा जुडूम एक आंचलिक आदिवासी भाषा गोंडी का शब्द है, जिसका अर्थ है "शांति का कारवां". 2013 के दौरान सुकमा में नक्सलियों के हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा को सलवा जुडूम का जनक माना जाता है. छत्तीसगढ़ में जब नक्सली वारदातें बढ़ने लगी थी, तब महेंद्र कर्मा ने 2005 में सलवा जुडूम अभियान की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य नक्सलवादियों या माओवादियों से मुकाबला करने में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना था. महेंद्र कर्मा ने मधुकर राव जैसे अपने साथियों के साथ मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाया.