रायपुर: कोरोना संकट ने दुनिया के कोने-कोने में अपने पैर पसार लिए और लगातार इस महामारी की वजह से लाखों लोगों की जान जा चुकी है. भारत में भी इसका व्यापक असर देखने को मिला है. संक्रमण से बचाव के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन में कई क्षेत्र प्रभावित रहे. लोगों की आर्थिक स्थिति पर कोरोना काल एक बुरे साए की तरह आ खड़ा हुआ. छत्तीसगढ़ में भी छोटे-बड़े सभी कारोबार और उद्योग इसकी वजह से प्रभावित रहे. कीमती और महंगी चीजों पर तो प्रभाव पड़ा ही, लेकिन कबाड़ का कारोबार भी यहां ठप रहा. राज्य में कबाड़ के कारोबार में करोड़ों का नुकसान हुआ. कबाड़ की खरीदी बिक्री करने वाले सभी छोटे-बड़े दुकानदारों और कबाड़ कारखाने वालों को नुकसान का सामना करना पड़ा है. सामान्य दिनों की तुलना में इनका व्यवसाय अभी मंदा चल रहा है.
करीब 81 दिनों के लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भर के छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 2 हजार कबाड़ की दुकानें हैं. इनमें राजधानी रायपुर में कबाड़ की लगभग एक हजार दुकानें शहर के बीच और आउटर इलाकों में स्थित है. छत्तीसगढ़ में लगभग 8 से 10 करोड़ रुपए के कबाड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है.
50 प्रतिशत तक सिमट गया कारोबार
शहर के गली-मोहल्लों, सोसायटियों और कॉलोनियों से छोटे कबाड़ वाले कबाड़ खरीदकर बड़े कबाड़ दुकानों में बेचते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन सब पर प्रतिबंध लग गया. पुराने सामानों की खरीदी करने के लिए कबाड़ वाले नहीं आ रहे हैं. राज्य सरकार की अनुमति के बाद कबाड़ की दुकानें 10 दिनों से जरूर खुल गई हैं, लेकिन बिक्री की बात की जाए तो 50 प्रतिशत कारोबार ही अभी हो पा रहा है. कबाड़ दुकानदारों को अपने व्यवसाय को फिर से पटरी पर लाने के लिए लगभग 6 महीने का समय लग सकता है. कबाड़ का काम करने वाले इन दुकानों में घर का टूटा-फूटा सामान जैसे लोहा, टिन, प्लास्टिक को इक्कट्ठा कर लाते हैं. फिर इसे आगे के लिए अलग कर बेचा जाता है, जिससे की वह रिसायकल हो सके.
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कबाड़ का काम करने वाले लोगों का कहना है कि करीब ढाई महीनों से लगे लॉकडाउन में उन्होंने जैसे-तैसे करके अपना और परिवार का भरण-पोषण किया. इस बीच उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. कुछ दुकानदारों ने बताया कि सरकारी राशन के भरोसे लॉकडाउन के दौरान अपना और अपने परिवार का पालन पोषण किया है. अब कबाड़ का दुकान खोलने के बाद इन दुकानदारों को उम्मीद है कि आने वाले समय में फिर से कबाड़ के कारोबार में तेजी आएगी, लेकिन यह तेजी सामान्य दिनों की तरह आने में लगभग 6 महीने का समय भी लग सकता है.