रायपुर: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्. भगवान भोलेनाथ की महिमा अपरंपार है. सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ का माना जाता है. यह सप्ताह का प्रथम दिवस होता है. इस दिन कार्य व्यापार ऑफिस और सभी तरह के काम प्रारंभ होते हैं. इस दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना, साधना, उपासना और व्रत को करने से पूर्णता सिद्ध होती है. सोमवार का दिन कार्यालयीन दिवसों का प्रथम दिवस माना गया है. महान कर्मयोगी शिव भगवान अपने भक्तों को सदैव धर्म के साथ कर्म करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं.
सुबह-सुबह करें अपने हाथों का दर्शन: इस दिन योग के आदि गुरु भगवान शंकर को स्मरण कर सूर्योदय के पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में जागरण करना चाहिए. जागरण करने के पश्चात अपनी हथेलियों को शुद्ध मन से कराग्रे वसति लक्ष्मी..इस मंत्र का जप कर अपने हाथों को निर्मल मन से देखना चाहिए. इसके उपरांत बिस्तर से निकलकर, शौच आदि से निवृत्त होकर ध्यान योग और प्राणायाम करना चाहिए. शुद्ध मन से शिव जी को ध्यान मग्न होकर समाधि की भावना से ध्यान करना चाहिए. मन ही मन महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए. इसके उपरांत आवश्यक कार्य कर शिवालय में जाकर शिवजी की पूजा स्तुति प्रार्थना और उपासना करनी चाहिए.
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इन वस्तुओं से करें पूजा: भगवान भोलेनाथ शक्ति के देवता माने जाते हैं. भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को जल्द ही प्रसन्न होकर वरदान प्रदान करते हैं. ऐसे अनादि शंकर जी को स्मरण करते हुए उन्हें जल चढ़ाना चाहिए. अक्षत, श्वेत पुष्प, आक, धतूरा, बेलपत्र, नीले फूल, के साथ सभी तरह के सुगंधित फूल भोलेनाथ को अर्पित करें.
भगवान भोले नाथ को नीले पुष्पों की माला भी अर्पित की जा सकती हैं. अक्षत, गुड़, रोली, चंदन, गोपी चंदन और विभिन्न तरह के अबीर गुलाल और शुभ पदार्थों को भगवान शिव को अर्पित करें. चंदन के माध्यम से त्रिपुर का निर्माण करना चाहिए. भगवान शिव का श्रृंगार पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से करना चाहिए. भगवान शिव को गंगा, जमुना, सरस्वती, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा और कृष्णा आदि नदियों के जल से अभिषेक करना चाहिए.
सोमवार के दिन भगवान शिव का अभिषेक : सोमवार के दिन भगवान शिवजी का दुग्ध पंचामृत, गन्ने का रस आदि से भी अभिषेक किया जाता है. दही, दूध अर्पण करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जाती है. सोमवार के दिन भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए. इस दिन एकाशना फलाहारी अथवा नीराहार उपवास करने का विधान है. अपने शरीर धर्म को ध्यान में रखते हुए व्रत उपवास को करना चाहिए. व्रत करते समय सात्विकता शुद्धता और ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
समस्त तरह की नकारात्मकता और तामसिक प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए. इसके साथ ही भगवान शिव को याद करते हुए महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा, शिव तांडव रुद्राष्टकम, शिवास्टकम आदि मंत्रों का जाप एवं पाठ करना चाहिए. इस दिन शिव चालीसा, शिव संकल्प मंत्र और शिव गायत्री मंत्र का पाठ करना भी शुभ माना गया है. पूरे दिन ऊर्जावान होकर कार्य करना चाहिए. प्रत्येक कार्य भगवान शिव को समर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही पूरे दिन उत्साह उमंग और ऊर्जावान होकर कार्य करना चाहिए.
कुंवारी कन्याओं को करना चाहिए उपवास: कुंवारी कन्या इस दिन शिव जी के जैसा वर प्राप्त करने हेतु उपवास करती हैं. कुंवारी कन्याओं को शिवजी का स्मरण करते हुए रुद्राभिषेक और दही का अभिषेक करना चाहिए. साफ-सुथरे कपड़े पहनकर शिव जी का दर्शन लाभ लेना चाहिए. शुद्ध अंतःकरण, पवित्र भावना और अत्यंत आस्था के साथ शिवजी की पूजा करने पर लाभ मिलता है. सोमवार के व्रत का संकल्प लेकर विधिपूर्वक पालन करने पर कामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन जो जातक उपवास नहीं कर सकते. उन्हें सेंधा नमक से बना भोजन ग्रहण करना चाहिए. दूसरे दिन शिवजी के व्रत का पारण करना चाहिए.