रायपुर: शास्त्रों की मानें तो सबसे पहले रामायण की रचना भगवान शंकर ने की थी. तुलसीदास जी ने एक चौपाई में कहा कि रामायण शत कोटि अपारा अर्थात वर्तमान समय में एक करोड़ से भी अधिक रामायण की रचना की गई है. धर्म शास्त्र और पुराणों में रामायण का उल्लेख मिलता है, जो बहुत ही लोकप्रिय है. इसमें से तुलसीकृत रामचरितमानस को भी रामायण के नाम से संबोधित किया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में नवधा रामायण 3 दिन 5 दिन 7 दिन 9 दिन तक आयोजित किए जाते हैं.
सबसे पहले शिवजी ने की थी रामायण की रचना: पंडित मनोज शुक्ला का कहना है कि, "भगवान राम की कथा शिवजी को बहुत प्रिय है. तुलसीदास जी ने तुलसीकृत रामायण में लिखा है कि भगवान शंकर ने स्वयं रामायण की रचना करके रखी थी. भगवान राम जब अयोध्या में अवतरित हुए उसके बाद भगवान शंकर राम के दर्शन के लिए उत्सुक थे. भगवान शंकर अपने साथ काकभुशुंडि जी को लेकर भगवान राम के दर्शन करने पहुंचे थे. भगवान शंकर के बाद हनुमान जी ने भी एक रामायण की रचना की. बाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की. जिसके बाद इतने सारे रामायण हो गए जो एक करोड़ से भी अधिक है. तुलसी जी ने रामचरितमानस एक चौपाई में लिखा है की रामायण शत कोटि अपारा अर्थात वर्तमान समय में करोड़ों की संख्या में रामायण की रचना की गई है."
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करोड़ों की संख्या में रामायण रचना: वर्तमान में करोड़ों की संख्या में रामायण की रचनाएं मौजूद है. जो अलग-अलग क्षेत्रों में, अलग-अलग भाषाओं में रामायण की रचना की गई है. आनंद रामायण, तुलसीकृत रामायण, वाल्मीकिकृत रामायण, जिसमें भगवान के अलग-अलग रूपों और प्रसंगों का वर्णन किया गया है. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में छत्तीसगढ़ सरकार 1 जून से लेकर 3 जून तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन की है. इसमें देश-विदेश के कलाकार विभिन्न रामायण रचनाओं पर प्रस्तुति दे रहे हैं.
छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल: छत्तीसगढ़ का उल्लेख धर्म शास्त्रों में भी है, जिसमें दंडकारण्य का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है. भगवान राम अपने वनवास काल के दौरान लंबे समय दंडकारण्य में बिताए थे. यह दक्षिण कोसल के नाम से भी जाना जाता है. ये भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मस्थली रही है. दक्षिण कोसल के कारण है भगवान राम की माता का नाम कौशल्या पड़ा था. ये भगवान राम का ननिहाल है. इसलिए छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को अपने भांजे के रूप में प्रणाम करते हैं.
रामायण पाठ से हर इच्छा होती है पूरी: भाई के प्रति भाई का प्रेम, माता पिता के प्रति पुत्र का और गुरु के प्रति शिष्य का कैसा व्यवहार होना चाहिए, इस बात का ध्यान हमें रामायण से मिलता है. रामायण के नित्य पाठ से मनुष्य की हर इच्छा पूरी होती है. रामायण के पाठ से काफी सीख मिलती है.