रायपुर: देश का ऐसा कोई कोना नहीं बचा होगा, जहां कोरोना वायरस ने अपने पैर नहीं पसारे होंगे. भले ही सरकार ने अनलॉक की घोषणा कर दी है, लेकिन लोगों में अब भी कोरोना का डर बरकरार है. हर क्षेत्र कोरोना की मार झेल रहा है और लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. सबसे ज्यादा दु:ख तो हर रोज कमाने-खाने वालों के हिस्से आए हैं. ऑटो संचालकों कहना है कि जब से लॉकडाउन लगा है घर चलाना मुशकिल हो गया है.
राजधानी रायपुर में निजी और सरकारी स्कूलों में बच्चों को लाने ले जाने का काम करने वाले लगभग 7000 ऑटो चालक हैं. जो स्कूली बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर तक छोड़ने का काम करते हैं. जो अभी पूरी तरह बंद है. स्कूल बंद होने से का सबसे ज्यादा असर ऑटो चालकों की रोजी-रोटी पर पड़ा है.
ऑटो चालकों को रोजी-रोटी के परेशानी
ऑटो चालक का कहना है कि स्कूल बंद होने के साथ ही उनके रोजी-रोटी का जरिया भी बंद हो गया है. स्कूल बंद होने की वजह से परिवार को दो वक्त की रोटी खिलाना भी मुश्किल हो गया है. वहीं कही और काम भी नहीं मिल रहा है.
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वे कहते हैं कि, बाकि स्कूलों से तो बंद में भी सैलरी मिलती है, लेकिन हमारे साथ ऐसा नहीं है. जब तक हम बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर नहीं ले जाते तब तक हमें रुपए नहीं मिलेंगे. जब से लॉकडाउन लगा है सड़कों पर भी सवारी मिलनी बंद हो गई है, वहीं एक दो सवरी मिलती है, लेकिन उससे तो पेट्रोल का खर्चा तक नहीं निकल पाता है.
सरकार से मदद की गुहार
ऑटो संचालकों का कहना है कि, या तो सरकार हमारी रोजी-रोटी का बंदोबस्त करे या तो नियमों में बदलाव करें. उनका कहना है कि उनके पास अब रोजी-रोटी के लिए कोई और साधन नहीं बचा है. ऑटो चालकों की स्थिति दिनों-दिन खराब होते जा रही है, लेकिन इस सरकार उनकी परेशानी पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.
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ऑटो चालकों की आर्थिक स्थिति खराब
सरकार ने सभी निजी और सरकारी स्कूलों को 13 मार्च से बंद करने के आदेश जारी किए थे और यह आदेश 31 जुलाई तक प्रभावी रहेगा ऐसे में स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाले इन ऑटो चालकों की आर्थिक स्थिति और भी खराब होते जा रही है. ऑटो चालक अब सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं ताकी वे इस समस्या से उभर सके और अपने परिवार का पेट पाल सकें .