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कोरोना काल में धोबी समाज की रोजी-रोटी बुरी तरह प्रभावित, लॉन्ड्री का बिजनेस हुआ मंदा - रायपुर में लॉन्ड्री का काम

कोरोनाकाल की वजह से धोबियों की हालत खराब हो चुकी है. आलम यह है कि लोग कोरोना के डर से धोबियों को अपने कपड़े धोने और प्रेस के लिए नहीं दे रहे हैं. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों ने सरकार के आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

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लॉन्ड्री व्यवसाय हुआ मंदा
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Published : Aug 1, 2021, 10:31 PM IST

रायपुर: कोरोना काल में सभी व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. बड़े से लेकर छोटे सभी व्यापारियों को इस दौरान भारी नुकसान उठाना पड़ा. कोरोना संक्रमण के कम होते ही कारोबार भी पटरी पर आने लगा. लेकिन अब भी कई व्यवसाय हैं, जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. इनमें से एक है लॉन्ड्री का व्यवसाय. इस काम से जुड़े सैकड़ों धोबी परिवार तंगी से गुजर रहे हैं. आलम यह है कि लोग कोरोना के डर से धोबियों को अपने कपड़े धोने और प्रेस के लिए नहीं दे रहे हैं. जिससे उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. दूसरों के कपड़ों पर आश्रित धोबियों की जिंदगी और भी दयनीय हो गई. इनकी रोजी रोटी बुरी तरह प्रभावित हो गई है.

लॉन्ड्री व्यवसाय हुआ मंदा

ईटीवी भारत ने रायपुर शहर के अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों से बातचीत की. व्यवसाय करने वाले लोगों ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण व्यवसाय प्रभावित रहा. अब work-from-home के कल्चर ने काम को प्रभावित किया है. पहले लोग ऑफिस जाया करते थे तो उस दौरान अपने कपड़े धुलवाने और प्रेस करवाने के लिए लाया करते थे. work-from-home के कारण जो कस्टमर पहले आया करते थे अब वह नहीं आ रहे है.

व्यापारियों पर कोरोना की मार! दुकानों का शट डाउन, दूसरे काम कर रहे व्यापारी



शादी का आयोजन भी हुआ कम

व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि शादी-ब्याह का आयोजन कम होने से उनका काम प्रभावित हुआ है. शादियों की संख्या कम होने से अलग-अलग प्रकार के व्यवसाय तो प्रभावित हुए हैं, लेकिन इस दौरान जो लॉन्ड्री का काम आया करता था वह भी बंद हो गया है.

कोरोना संक्रमण काल में बहुत सी चीजें, अब बदल गई है. अब पहले जैसे लोग त्योहारों में खर्च भी नहीं करते. कम खर्चों में ही त्योहार मना रहे हैं. इसका असर उनके व्यापार पर भी पड़ा है पहले के मुकाबले अब लोग कम कपड़ा धुलाई करने के लिए देते हैं.

भूपेश सरकार ने मूर्तिकारों को दी बड़ी राहत, स्वतंत्र रूप से बना सकेंगे मूर्तियां



कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है. ऐसे में ज्यादातर लोग कपड़ा धुलाई करवाने से बच रहे हैं. व्यवसाय करने वाले लोगों ने बताया कि उनके द्वारा सावधानी से कपड़ों की धुलाई की जाती है. इसके बावजूद भी पहले की तरह काम नहीं आ रहा है. व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण और लॉकडाउन के चलते जहां एक ओर उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है, वहीं अब दुकान का किराया भी अपने जेब से देना पड़ रहा है. कई दुकानदारों ने तो दुकान ही खाली कर दी है.

व्यवसाय से जुड़े अन्य लोग भी प्रभावित
व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि उनके साथ अन्य लोग भी जुड़े हैं जिनमें रफू ,रंगाई, साड़ी पॉलिश जैसे काम करने वाले लोग भी शामिल हैं. काम पटरी पर नहीं लौटने के कारण उनसे जुड़े अन्य लोगों का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है और उन्हें भी आर्थिक क्षति हुई है.

सरकार से लगाई गुहार
लॉन्ड्री और ड्राईक्लीनर्स कल्याण संघ सोसाइटी के अध्यक्ष राधेश्याम बुंदेला ने बताया कि होटल ,हॉस्पिटल, कैटरिंग से जुड़े जो काम पहले आया करते थे वह भी नहीं आ रहे हैं. मंहगाई बढ़ने की वजह से उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है. अध्यक्ष राधेश्याम बुंदेला ने सरकार से गुहार लगाई है कि अन्य राज्यों में जिस तरह से धोबी का व्यवसाय करने वाले लोगों को आर्थिक सहायता दी गई है. उसी प्रकार छत्तीसगढ़ सरकार भी धोबी व्यवसाय से जुड़े लोगों को सहायता प्रदान करें.

रायपुर: कोरोना काल में सभी व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. बड़े से लेकर छोटे सभी व्यापारियों को इस दौरान भारी नुकसान उठाना पड़ा. कोरोना संक्रमण के कम होते ही कारोबार भी पटरी पर आने लगा. लेकिन अब भी कई व्यवसाय हैं, जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. इनमें से एक है लॉन्ड्री का व्यवसाय. इस काम से जुड़े सैकड़ों धोबी परिवार तंगी से गुजर रहे हैं. आलम यह है कि लोग कोरोना के डर से धोबियों को अपने कपड़े धोने और प्रेस के लिए नहीं दे रहे हैं. जिससे उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. दूसरों के कपड़ों पर आश्रित धोबियों की जिंदगी और भी दयनीय हो गई. इनकी रोजी रोटी बुरी तरह प्रभावित हो गई है.

लॉन्ड्री व्यवसाय हुआ मंदा

ईटीवी भारत ने रायपुर शहर के अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों से बातचीत की. व्यवसाय करने वाले लोगों ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण व्यवसाय प्रभावित रहा. अब work-from-home के कल्चर ने काम को प्रभावित किया है. पहले लोग ऑफिस जाया करते थे तो उस दौरान अपने कपड़े धुलवाने और प्रेस करवाने के लिए लाया करते थे. work-from-home के कारण जो कस्टमर पहले आया करते थे अब वह नहीं आ रहे है.

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शादी का आयोजन भी हुआ कम

व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि शादी-ब्याह का आयोजन कम होने से उनका काम प्रभावित हुआ है. शादियों की संख्या कम होने से अलग-अलग प्रकार के व्यवसाय तो प्रभावित हुए हैं, लेकिन इस दौरान जो लॉन्ड्री का काम आया करता था वह भी बंद हो गया है.

कोरोना संक्रमण काल में बहुत सी चीजें, अब बदल गई है. अब पहले जैसे लोग त्योहारों में खर्च भी नहीं करते. कम खर्चों में ही त्योहार मना रहे हैं. इसका असर उनके व्यापार पर भी पड़ा है पहले के मुकाबले अब लोग कम कपड़ा धुलाई करने के लिए देते हैं.

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कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है. ऐसे में ज्यादातर लोग कपड़ा धुलाई करवाने से बच रहे हैं. व्यवसाय करने वाले लोगों ने बताया कि उनके द्वारा सावधानी से कपड़ों की धुलाई की जाती है. इसके बावजूद भी पहले की तरह काम नहीं आ रहा है. व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण और लॉकडाउन के चलते जहां एक ओर उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है, वहीं अब दुकान का किराया भी अपने जेब से देना पड़ रहा है. कई दुकानदारों ने तो दुकान ही खाली कर दी है.

व्यवसाय से जुड़े अन्य लोग भी प्रभावित
व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि उनके साथ अन्य लोग भी जुड़े हैं जिनमें रफू ,रंगाई, साड़ी पॉलिश जैसे काम करने वाले लोग भी शामिल हैं. काम पटरी पर नहीं लौटने के कारण उनसे जुड़े अन्य लोगों का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है और उन्हें भी आर्थिक क्षति हुई है.

सरकार से लगाई गुहार
लॉन्ड्री और ड्राईक्लीनर्स कल्याण संघ सोसाइटी के अध्यक्ष राधेश्याम बुंदेला ने बताया कि होटल ,हॉस्पिटल, कैटरिंग से जुड़े जो काम पहले आया करते थे वह भी नहीं आ रहे हैं. मंहगाई बढ़ने की वजह से उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है. अध्यक्ष राधेश्याम बुंदेला ने सरकार से गुहार लगाई है कि अन्य राज्यों में जिस तरह से धोबी का व्यवसाय करने वाले लोगों को आर्थिक सहायता दी गई है. उसी प्रकार छत्तीसगढ़ सरकार भी धोबी व्यवसाय से जुड़े लोगों को सहायता प्रदान करें.

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