रायपुर: छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनाव जल्द होने वाले हैं. सबसे निचली इकाई के इस चुनाव को लेकर लाल आतंक से प्रभावित बस्तर में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है. जबकि नक्सली लगातार चुनाव का बहिष्कार करते आए हैं और जनप्रतिनिधियों को निशाना बनाते रहे हैं. बावजूद इसके बस्तर में लोकतंत्र की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि इस खून खराबे के बाद भी लोग घरों से निकलते हैं और मतदान करने के साथ ही चुनाव लड़ने का भी साहस दिखाते हैं.
बीते 3 साल में बस्तर में विधायक भीमा मंडावी समेत 17 जनप्रतिनिधियों की हत्या नक्सलियों ने की है. फिर भी माओवाद को मुंहतोड़ जवाब देते हुए जनता लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लेती हैं. नक्सल ऑपरेशन डीआईजी सुंदरराज पी भी मानते हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद यहां पर लोग इस चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं साथ ही जनप्रतिनिधि चुनाव लड़ने पीछे नहीं हटते हैं.
वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस सरकार बस्तर में जनप्रतिनिधियों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं करवा रही है. इसका असर आने वाले पंचायत चुनाव में पड़ सकता है. आदिम जाति विभाग के मंत्री का कहना है कि बस्तर के लोग के सामने बुलेट कभी नहीं टिक सकता वहां बैलट की ही जीत होती है. वहीं प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने नक्सल प्रभावित इलाकों में जनप्रतिनिधियों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने की बात कही है.
हाल ही में दंतेवाड़ा का उपचुनाव दो नक्सल पीड़ित परिवारों के बीच हुआ. लोगों ने जिस उत्साह के साथ उपचुनाव में हिस्सा लिया, उससे साफ है कि नक्सलियों के खौफ पर लोगों का लोकतंत्र पर विश्वास भारी पड़ रहा है, लेकिन जिस तरह नक्सली जनप्रतिनिधियों को निशाना बना रहे हैं, वह चिंता का विषय है.