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जनविरोधी बजट के खिलाफ वाम पार्टियों का देशव्यापी विरोध - माकपा के सचिव मंडल एमके नंदी

वामपंथी पार्टियों ने मोदी सरकार के जनविरोधी बजट के खिलाफ 12 से 18 फरवरी तक विरोध प्रदर्शन करेंगे.

माकपा के सचिव मंडल एमके नंदी
माकपा के सचिव मंडल एमके नंदी
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Published : Feb 11, 2020, 5:25 PM IST

रायपुर: मोदी सरकार के जनविरोधी बजट के खिलाफ वामपंथी पार्टियों ने 12-18 फरवरी तक देशव्यापी विरोध सप्ताह मनाने की घोषणा की है. इसमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा, भाकपा-माले-लिबरेशन और अन्य संगठन के लोग शामिल होंगे. जनविरोधी बजट के खिलाफ छत्तीसगढ़ में भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

बजट के खिलाफ वाम पार्टियों का देशव्यापी विरोध

माकपा के सचिव मंडल एमके नंदी ने अपने एक बयान में कहा कि, 'माकपा आम जनता पर असहनीय करों का बोझ लादकर मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने जा रही है, जबकि अमीरों और कॉर्पोरेटरों को छूट-पर-छूट दी जा रही है, जिससे देश में आर्थिक असमानता बढ़ेगी'.

'कई मुद्दों पर रोक लगाने की मांग'
उन्होंने बताया कि, 'अपने विरोध प्रदर्शन में माकपा और वामपंथी पार्टियां जीवन बीमा निगम के विनिवेशीकरण सहित राष्ट्रीय संपत्तियों के बड़े पैमाने पर निजीकरण की मुहिम को वापस लेने, न्यूनतम मजदूरी 21000 मासिक घोषित करने, बेरोजगारी भत्ता देने, बढ़ते कृषि संकट से निपटने किसानों को कर्जमुक्त करने तथा बढ़ती बेरोजगारी पर रोक लगाने उद्योगों में छंटनी और तालाबंदी पर रोक लगाने की मांग करेगी'.

'भारतीय गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिए जाएंगे'
माकपा नेता ने कहा कि, 'विकास के एजेंडे का पर्दाफाश इसी तथ्य से हो जाता है कि इस बजट में खाद्य सब्सिडी में 75532 करोड़ रुपये, मछली पालन सहित कृषि और संबद्ध गतिविधियों में 30683 करोड़, मनरेगा में 9500 करोड़, समाज कल्याण के कार्यों में 2640 करोड़, शहरी विकास 5765 करोड़, स्वास्थ्य के क्षेत्र में 1169 करोड़ रुपयों की कटौती की गई है. इन कटौतियों के चलते न रोजगार पैदा होंगे न अधोसंरचना का विकास और करोड़ों भारतीय गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिए जाएंगे'.

'एक साथ लड़ना जरूरी है'
उन्होंने कहा कि, 'आम जनता पर यह आर्थिक हमला उस समय किया जा रहा है, जब यह सरकार संविधान पर हमले कर रही है. अपने हिन्दुत्व के एजेंडे, नागरिकता कानून और नागरिक रजिस्टर बनाने के जरिये आम जनता के बीच पूरे देश में घृणा और हिंसा का वातावरण भी बना रही है. इसलिए आम जनता को एकजुट करने और देश की एकता-अखंडता की रक्षा करने सांप्रदायिकता और जनविरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ एक साथ लड़ना जरूरी है'.

रायपुर: मोदी सरकार के जनविरोधी बजट के खिलाफ वामपंथी पार्टियों ने 12-18 फरवरी तक देशव्यापी विरोध सप्ताह मनाने की घोषणा की है. इसमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा, भाकपा-माले-लिबरेशन और अन्य संगठन के लोग शामिल होंगे. जनविरोधी बजट के खिलाफ छत्तीसगढ़ में भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

बजट के खिलाफ वाम पार्टियों का देशव्यापी विरोध

माकपा के सचिव मंडल एमके नंदी ने अपने एक बयान में कहा कि, 'माकपा आम जनता पर असहनीय करों का बोझ लादकर मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने जा रही है, जबकि अमीरों और कॉर्पोरेटरों को छूट-पर-छूट दी जा रही है, जिससे देश में आर्थिक असमानता बढ़ेगी'.

'कई मुद्दों पर रोक लगाने की मांग'
उन्होंने बताया कि, 'अपने विरोध प्रदर्शन में माकपा और वामपंथी पार्टियां जीवन बीमा निगम के विनिवेशीकरण सहित राष्ट्रीय संपत्तियों के बड़े पैमाने पर निजीकरण की मुहिम को वापस लेने, न्यूनतम मजदूरी 21000 मासिक घोषित करने, बेरोजगारी भत्ता देने, बढ़ते कृषि संकट से निपटने किसानों को कर्जमुक्त करने तथा बढ़ती बेरोजगारी पर रोक लगाने उद्योगों में छंटनी और तालाबंदी पर रोक लगाने की मांग करेगी'.

'भारतीय गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिए जाएंगे'
माकपा नेता ने कहा कि, 'विकास के एजेंडे का पर्दाफाश इसी तथ्य से हो जाता है कि इस बजट में खाद्य सब्सिडी में 75532 करोड़ रुपये, मछली पालन सहित कृषि और संबद्ध गतिविधियों में 30683 करोड़, मनरेगा में 9500 करोड़, समाज कल्याण के कार्यों में 2640 करोड़, शहरी विकास 5765 करोड़, स्वास्थ्य के क्षेत्र में 1169 करोड़ रुपयों की कटौती की गई है. इन कटौतियों के चलते न रोजगार पैदा होंगे न अधोसंरचना का विकास और करोड़ों भारतीय गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिए जाएंगे'.

'एक साथ लड़ना जरूरी है'
उन्होंने कहा कि, 'आम जनता पर यह आर्थिक हमला उस समय किया जा रहा है, जब यह सरकार संविधान पर हमले कर रही है. अपने हिन्दुत्व के एजेंडे, नागरिकता कानून और नागरिक रजिस्टर बनाने के जरिये आम जनता के बीच पूरे देश में घृणा और हिंसा का वातावरण भी बना रही है. इसलिए आम जनता को एकजुट करने और देश की एकता-अखंडता की रक्षा करने सांप्रदायिकता और जनविरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ एक साथ लड़ना जरूरी है'.

Intro:रायपुर - मोदी सरकार के जनविरोधी बजट के खिलाफ वामपंथी पार्टियों ने 12-18 फरवरी तक देशव्यापी विरोध सप्ताह मनाने की घोषणा की है। इसके पालन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा, भाकपा-माले-लिबरेशन और अन्य संगठनों द्वारा छत्तीसगढ़ में भी साझा कार्यवाही की जाएगी। Body:आज यहां जारी एक बयान में माकपा आम जनता पर असहनीय करों का बोझ लादकर मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने जा रही है, जबकि अमीरों और कार्पोरेटों को छूट-पर-छूट दिए जा रही है, जिससे कि देश में आर्थिक असमानता ही बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि अपने विरोध प्रदर्शन में माकपा और वामपंथी पार्टियां जीवन बीमा निगम के विनिवेशीकरण सहित राष्ट्रीय संपत्तियों के बड़े पैमाने पर निजीकरण की मुहिम को वापस लेने, न्यूनतम मजदूरी 21000 मासिक घोषित करने, बेरोजगारी भत्ता देने, बढ़ते कृषि संकट से निपटने किसानों को कर्जमुक्त करने तथा बढ़ती बेरोजगारी पर रोक लगाने उद्योगों में छंटनी व तालाबंदी पर रोक लगाने की मांग करेगी। माकपा नेता ने कहा कि विकास के एजेंडे का पर्दाफाश इसी तथ्य से हो जाता है कि इस बजट में खाद्य सब्सिडी में 75532 करोड़ रूपये, मछलीपालन सहित कृषि व संबद्ध गतिविधियों में 30683 करोड़, मनरेगा में 9500 करोड़, समाज कल्याण के कार्यों में 2640 करोड़, शहरी विकास 5765 करोड़, स्वास्थ्य के क्षेत्र में 1169 करोड़ रूपयों की कटौती की गई है। इन कटौतियों के चलते न रोजगार पैदा होंगे, न अधोसंरचना का विकास और करोड़ों भारतीय गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिए जाएंगे। Conclusion:आम जनता पर यह आर्थिक हमला उस समय किया जा रहा है, जब यह सरकार संविधान पर हमले कर रही है और अपने हिन्दुत्व के एजेंडे, नागरिकता कानून और नागरिक रजिस्टर बनाने के जरिये आम जनता के बीच पूरे देश मे घृणा और हिंसा का वातावरण भी बना रही है। इसलिए आम जनता को एकजुट करने और देश की एकता-अखंडता की रक्षा करने सांप्रदायिकता और जनविरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ एक साथ लड़ना जरूरी है।



बाइट एमके नंदी सचिव मंडल सदस्य माकपा

रितेश कुमार तंबोली ईटीवी भारत रायपुर
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