रायपुर : साल का अंतिम सूर्य ग्रहण आज यानी 25 अक्टूबर 2022,बुधवार शाम 4 बजकर 22 मिनट पर शुरू होकर 6 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो चुका है. ग्रहण के दौरान सूर्य और केतु का प्रभाव होने से दुर्घटनाओं की संभावना बनती है. राजनैतिक रूप से उथल-पुथल के संयोग बनते हैं.सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों को पट खोल दिए गए हैं.मंदिरों में शुद्धिकरण के बाद देवी देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराया गया है. साथ ही साथ उन्हें नए-नए वस्त्राभूषण पहनाकर फिर से पूजा अर्चना शुरु की गई है.
छत्तीसगढ़ के मंदिरों के खुले पट : सूर्य ग्रहण समाप्ति के बाद छत्तीसगढ़ के सभी मंदिरों के पट खोल दिए गए हैं. दंतेवाड़ा की मां दंतेश्वरी, चंदखुरी के कौशिल्या माता मंदिर, डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी, रतनपुर की मां महामाया, चंद्रपुर की मां चंद्रखुरी समेत रायपुर महामाया धाम के मंदिर खुल गए हैं. पंडितों ने विशेष मंत्रोच्चार करके मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान शुरु किए हैं. ग्रहण काल में सभी मंदिरों के पट सूतक काल लगते ही बंद कर दिए गए थे. एक बार फिर ग्रहण समाप्त होते ही मंदिरों में पूजा अर्चना शुरु कर दी गई है.
भारत में कितने देर तक रहा सूर्यग्रहण
सूर्य ग्रहण की तिथि: 25 अक्टूबर 2022
शाम 4 बजकर 22 मिनट से 18:33 तक सूर्य ग्रहण रहा
सूर्य ग्रहण कुल 1 घंटे 19 मिनट तक रहा
सूर्य ग्रहण के बाद क्या करें : ग्रहण का मोक्ष यानी पूरा समय होने के बाद मकान, दुकान, प्रतिष्ठान की साफ सफाई कर अच्छे से धुलाई करें. संभव हो तो पूरे घर को नमक के पानी से धोएं. इसके बाद खुद भी स्नान कर देवी देवताओं को स्नान कराएं. इसके बाद खाद्य पदार्थों पर गंगाजल छिड़क कर उनको शुद्ध करें. ग्रहण के प्रभाव सभी तरह के ग्रहण यानि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण पर लागू होते हैं. ग्रहण के बाद खुद भी स्नान करें और देवी-देवताओं को भी स्नान कराएं. खाने की चीजों पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करें और उसके बाद ही ग्रहण करें.what to do after eclipse
दुखों को दूर करने का उपाय : ग्रहण के बाद आप एक कमल के फूल पर कुमकुम लगाएं और फिर उसको बहते हुए पानी में डालें. साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करें वो इस फूल के साथ आपके घर-परिवार के सभी दुख, परेशानी, संकट और दरिद्रता दूर होंगे.
12 घंटे पहले शुरु हुआ था सूतक : सूर्य ग्रहण से करीब 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो गया था . सूतक की शुरुआत से लेकर ग्रहण के अंत तक का समय शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए इस दौरान पूजा करना और कुछ भी खाना-पीना मना होता है . सूतक लगाते ही मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं. इसके अलावा सूतक शुरू होने से पहले ही खाने-पीने में तुलसी के पत्ते डाल दिए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस चीज में तुलसी का पत्ता गिरता है. वो चीज अशुद्ध नहीं होती. ग्रहण काल समाप्त होने के बाद इसको फिर से उपयोग किया जा सकता है.
वैज्ञानिक रूप से माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में मौजूद किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं. ऐसे समय में अगर खाने-पीने का सामान खुला रखा जाए, या इस दौरान कुछ खाया-पिया जाए तो इन किरणों का नकारात्मक प्रभाव उस चीज तक पहुंच जाता है. इसका नकारात्मक असर हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है. तुलसी के पत्तों में पारा मौजूद होता है. पारा में किसी प्रकार की किरणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. मान्यता है कि ग्रहण के समय आकाश और ब्रह्मांड से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा तुलसी के पास आते ही निष्क्रिय हो जाती है. इससे तुलसी के पत्ते जो भी चीजें डालते हैं, वे चीजें वातावरण में मौजूद किरणों के नकारात्मक प्रभाव से बच जाती हैं. इसलिए उन चीजों को शुद्ध माना जाता है.