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जिनके नाम से मनाया जाता है धनतेरस, उनकी सबसे बड़ी मूर्ति इस महाविद्यालय में है स्थापित

भगवान धन्वंतरी की सबसे बड़ी प्रतिमा (Largest Statue of Lord Dhanvantari) छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज में स्थापित की गई है. जिसकी पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना हर साल धन्वंतरि जयंती (Dhanwantri Jayanti) अर्थात धनतेरस के दिन की जाती है.

धन्वंतरि जयंती
धन्वंतरि जयंती
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Published : Nov 1, 2021, 7:28 PM IST

Updated : Nov 2, 2021, 4:39 PM IST

रायपुर: लक्ष्मी पूजा के दिन यानी दीपावली पर्व (Diwali Festival) के ठीक दो दिन पहले पूरे भारत वर्ष में धूमधाम से धनतेरस का पर्व (Festival OF Dhanteras) मनाया जाता है. मान्यता है कि आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती (Birth Anniversary of Lord Dhanwantri) के उपलक्ष्य में यह मनाया जाता है. भगवान धन्वंतरी की सबसे बड़ी प्रतिमा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज में स्थापित की गई है. जिसकी पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना हर साल धन्वंतरि जयंती अर्थात धनतेरस के दिन की जाती है.

भगवान धन्वंतरी की सबसे बड़ी प्रतिमा

यह भी पढ़ें: यहां विदेशी ड्राई फ्रूट से बन छत्तीसगढ़ की महंगी मिठाई, जानिए इसकी खासियत

आयुर्वेद कॉलेज के मुख्य द्वार पर विराजमान है मूर्ति

राजधानी के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में भगवान धन्वंतरि की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित है. एक हाथ में अमृत कलश दूसरे में गिलोय, तीसरे में शंख और चौथे हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ लिए हुए इस विशाल प्रतिमा की सुंदरता देखते ही बनती है. कॉलेज के प्रोफेसर बताते हैं कि 2014 में ख्यातिप्राप्त मूर्तिकार पद्मश्री जेनेलसन ने मूर्ति को बनाया था. भारतीय चिकित्सा पद्धति की वैज्ञानिक विश्वसनीयता एवं प्राण प्रतिष्ठा करने वालों में भगवान धन्वंतरी अग्रणी माने जाते थे.


2014 में स्थापित की गई मूर्ति

आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रोफेर संजय चौबे ने बताया कि पूरे छत्तीसगढ़ में धनवंतरी की सबसे भव्य और विशाल मूर्ति शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय रायपुर में स्थापित है. छत्तीसगढ़ अंचल के प्रतिष्ठित और बहुत ही कुशल मूर्तिकार पद्मश्री डॉ. जे नेल्सन द्वारा बनाया गया. इसकी स्थापना 2014 में की गई थी. यह हमारे आयुर्वेद के प्रवर्तक माने जाते हैं. हम सभी आयुर्वेद परिवारजनों के लिए परम पूजनीय है. यह मूर्ति एक मात्र छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालय में स्थापित है. इसके अलावा एक और दूसरी मूर्ति आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में मूर्ति स्थापित की गई है, लेकिन हमारे महाविद्यालय में जो मूर्ति स्थापित है, वह पूरे भारतवर्ष में अपने तरीके के बहुत ही बिरले मूर्ति है. देश के अन्य हिस्सों से जो लोग आते हैं. वह इस मूर्ति के भव्यता और विशालता से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं.


धनतेरस आयुर्वेद परिवार के लिए सबसे महत्वपूर्ण

धनतेरस यानी धन्वंतरी जयंती और धन्वंतरी जयंती जो होता है वह आयुर्वेद परिवार के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन्वंतरी जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है. 2 नवंबर को छठवां राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस का आयोजन किया जा रहा है. इस अवसर पर अन्य वर्षो की तरह हमारे संस्था के समस्त शिक्षक गण छात्र छात्राएं और कर्मचारी गण सभी मिलकर पहले सर्वप्रथम भगवान धनवंतरी की पूजा-अर्चना करेंगे और पूजा अर्चना के पश्चात जो राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के समारोह हैं. वह आरंभ किया जाएगा।


6 फीट की है मूर्ति

कॉलेज के प्रो. डॉक्टर ओम प्रकाश राउत बताते हैं कि धनवंतरी हिंदू धर्म में विष्णु अवतार के देवता हैं. वह आयुर्वेद प्रवर्तक हैं. हिंदू धर्म अनुसार यह भगवान विष्णु के अवतार हैं. इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था. दीपावली के 2 दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. किसी दिन उन्होंने आयुर्वेद का अविष्कार किया था. इन्हें भगवान विष्णु का रूप कहते हैं. जिनकी चार भुजाएं हैं ऊपर की दोनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किए हुए जबकि दो अन्य भुजाओं में से एक में जल का और औसत तथा दूसरे में अमृत कलश लिए हुए हैं. इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है. डॉ. राउत बताते हैं कि कॉलेज में स्थापित मूर्ति सबसे बड़ी है. इसकी ऊंचाई 6 फीट है, जो अपने आप में आकर्षण का केंद्र बिंदु है.

रायपुर: लक्ष्मी पूजा के दिन यानी दीपावली पर्व (Diwali Festival) के ठीक दो दिन पहले पूरे भारत वर्ष में धूमधाम से धनतेरस का पर्व (Festival OF Dhanteras) मनाया जाता है. मान्यता है कि आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती (Birth Anniversary of Lord Dhanwantri) के उपलक्ष्य में यह मनाया जाता है. भगवान धन्वंतरी की सबसे बड़ी प्रतिमा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज में स्थापित की गई है. जिसकी पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना हर साल धन्वंतरि जयंती अर्थात धनतेरस के दिन की जाती है.

भगवान धन्वंतरी की सबसे बड़ी प्रतिमा

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आयुर्वेद कॉलेज के मुख्य द्वार पर विराजमान है मूर्ति

राजधानी के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में भगवान धन्वंतरि की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित है. एक हाथ में अमृत कलश दूसरे में गिलोय, तीसरे में शंख और चौथे हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ लिए हुए इस विशाल प्रतिमा की सुंदरता देखते ही बनती है. कॉलेज के प्रोफेसर बताते हैं कि 2014 में ख्यातिप्राप्त मूर्तिकार पद्मश्री जेनेलसन ने मूर्ति को बनाया था. भारतीय चिकित्सा पद्धति की वैज्ञानिक विश्वसनीयता एवं प्राण प्रतिष्ठा करने वालों में भगवान धन्वंतरी अग्रणी माने जाते थे.


2014 में स्थापित की गई मूर्ति

आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रोफेर संजय चौबे ने बताया कि पूरे छत्तीसगढ़ में धनवंतरी की सबसे भव्य और विशाल मूर्ति शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय रायपुर में स्थापित है. छत्तीसगढ़ अंचल के प्रतिष्ठित और बहुत ही कुशल मूर्तिकार पद्मश्री डॉ. जे नेल्सन द्वारा बनाया गया. इसकी स्थापना 2014 में की गई थी. यह हमारे आयुर्वेद के प्रवर्तक माने जाते हैं. हम सभी आयुर्वेद परिवारजनों के लिए परम पूजनीय है. यह मूर्ति एक मात्र छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालय में स्थापित है. इसके अलावा एक और दूसरी मूर्ति आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में मूर्ति स्थापित की गई है, लेकिन हमारे महाविद्यालय में जो मूर्ति स्थापित है, वह पूरे भारतवर्ष में अपने तरीके के बहुत ही बिरले मूर्ति है. देश के अन्य हिस्सों से जो लोग आते हैं. वह इस मूर्ति के भव्यता और विशालता से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं.


धनतेरस आयुर्वेद परिवार के लिए सबसे महत्वपूर्ण

धनतेरस यानी धन्वंतरी जयंती और धन्वंतरी जयंती जो होता है वह आयुर्वेद परिवार के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन्वंतरी जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है. 2 नवंबर को छठवां राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस का आयोजन किया जा रहा है. इस अवसर पर अन्य वर्षो की तरह हमारे संस्था के समस्त शिक्षक गण छात्र छात्राएं और कर्मचारी गण सभी मिलकर पहले सर्वप्रथम भगवान धनवंतरी की पूजा-अर्चना करेंगे और पूजा अर्चना के पश्चात जो राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के समारोह हैं. वह आरंभ किया जाएगा।


6 फीट की है मूर्ति

कॉलेज के प्रो. डॉक्टर ओम प्रकाश राउत बताते हैं कि धनवंतरी हिंदू धर्म में विष्णु अवतार के देवता हैं. वह आयुर्वेद प्रवर्तक हैं. हिंदू धर्म अनुसार यह भगवान विष्णु के अवतार हैं. इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था. दीपावली के 2 दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. किसी दिन उन्होंने आयुर्वेद का अविष्कार किया था. इन्हें भगवान विष्णु का रूप कहते हैं. जिनकी चार भुजाएं हैं ऊपर की दोनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किए हुए जबकि दो अन्य भुजाओं में से एक में जल का और औसत तथा दूसरे में अमृत कलश लिए हुए हैं. इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है. डॉ. राउत बताते हैं कि कॉलेज में स्थापित मूर्ति सबसे बड़ी है. इसकी ऊंचाई 6 फीट है, जो अपने आप में आकर्षण का केंद्र बिंदु है.

Last Updated : Nov 2, 2021, 4:39 PM IST
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