रायपुर: लक्ष्मी जयंती देवी लक्ष्मी को समर्पित है. देवी लक्ष्मी को समृद्धि और धन की देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन दूधिया सागर का महा मंथन हुआ था. इसी दौरान देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी. इस घटना को समुद्र मंथन के नाम से भी जाना जाता है.
यह है शुभ मुहुर्त: हिन्दू पंचांग के हिसाब से साल 2023 में देवी लक्ष्मी जयंती 7 मार्च मंगलवार को है. इस दौरान पूजा पाठ करने के लिए कई मुहुर्त भी हैं. मुहुर्त पूर्णिमा के दिन 6 मार्च को शाम 4:17 बजे से शुरू होकर 7 मार्च को शाम 6:09 बजे तक है. इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ज्यादातर ग्रह फाल्गुनी नक्षत्र के साथ मेल खाते हैं. फाल्गुनी के दिन का संबंध लक्ष्मी जयंती से भी है. लक्ष्मी जयंती मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाई जाती है और उत्तर भारतीय राज्यों में इसे कम जाना जाता है.
लक्ष्मी जयंती के दिन धन और समृद्धि की देवी को प्रसन्न करने के लिए महत्वपूर्ण है. लोग लक्ष्मी जयंती पर लक्ष्मी होमम करते हैं. लक्ष्मी होमम के दौरान देवी लक्ष्मी सहस्रनामावली यानी देवी लक्ष्मी और श्री सूक्तम के 1000 नामों का पाठ किया जाता है. देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए कमल के फूल को शहद में डुबोकर देवी को चढ़ाया जाता है.
लक्ष्मी जयंती के लिए ये है पूजा विधि: लक्ष्मी जयंती के दिन लक्ष्मी होमम करने से लाभ मिलता है. हिन्दू पंचांग के हिसाब से लक्ष्मी यज्ञ के दौरान देवी लक्ष्मी सहस्रनामावली यानी देवी लक्ष्मी के 1000 नामों और श्री सूक्तम का पाठ किया जाता है. शुभ अवसर पर देवी को प्रसन्न करने के लिए आहुति के लिए शहद में डूबे हुए कमल के फूलों का उपयोग किया जाता है.