ETV Bharat / state

सिलतरा के उघोगों में चोरी-छिपे लाए जाए जा रहे मजदूर, नहीं किया जा रहा क्वॉरेंटाइन - रायपुर न्यूज

सिलतरा क्षेत्र के कई उद्योगों में चोरी-छिपे दूसरे राज्य के मजदूरों को काम करवाने लाने का सिलसिला जारी है. मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में भी नहीं रखा जा रहा है. जिससे कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

labourers in industries of Silatra
चोरी-छिपे लाए जाए जा रहे मजदूर
author img

By

Published : Jul 3, 2020, 1:41 AM IST

Updated : Jul 3, 2020, 12:28 PM IST

रायपुर : लाॅकडाउन के बाद भी सिलतरा क्षेत्र के कई उघोगों में चोरी-छिपे दूसरे राज्य के मजदूरों को काम करवाने लाने का सिलसिला जारी है. मजदूरों को क्वॉरेंटाइन भी नहीं किया जा रहा है. बता दें कि सिलतरा एक बड़ा औघोगिक क्षेत्र है. ऐसे में लाॅकडाउन से पहले इन उद्योगों में दूसरे राज्यों के मजदूर यहां काम करने आते थे. लाॅकडाउन की अवधि में ऐसे लगभग हजारों मजदूर अपने राज्य वापस चले गए थे, लेकिन अनलॉक 2.0 में फिर से उद्योग शुरू हो गए हैं और प्रवासी मजदूरों को लौटना भी शुरू हो गया है.

लेकिन सरकार के नियमों को ताक पर रात के अंधेरे में यहां कई छोटी-बड़ी गाड़ियों में मजदूरों को जानवरों की तरह ठूंसकर सीधे प्लांट के अंदर लाकर छोड़ा जा रहा है. ऐसा नहीं कि लोगों की इसकी जानकारी नहीं है. सूचना होने के बाद भी लोगों को कोरोना के खतरे के बीच काम करना पड़ रहा है. मजदूरों का कहना है कि इसका विरोध करने या बाहर से आए मजदूरों के साथ काम नहीं करने की बात पर ठेकेदार सहित मैनेजर भी काम से निकालने की धमकी दे रहे हैं.

दूसरे मजदूरों को भी संक्रमण का खतरा

जिन उद्योगों में मजदूर लाए जा रहे हैं वहां काम करने वाले दूसरे मजदूरों के बीच संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. वहीं मजदूर भी अपनी रोजी-रोटी और नौकरी बचाने के लिए विरोध करने के बजाय साथ काम कर रहे हैं.

पढ़ें-अच्छी खबर : राजनांदगांव कोविड-19 अस्पताल से डिस्चार्ज हुए 5 मरीज, एक्टिव केस 91

बाजारों में घूम रहे मजदूर

सरकार के नियम के अनुसार बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को तो सबसे पहले 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन हो ना जरूरी है. इसके लिए प्लांट को पूरी व्यवस्था करके मजदूरों को 14 दिन क्वॉरेंटाइन रखने के बाद काम पर रखना चाहिए. लेकिन इन मजदूरों के लिए ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है, इतना ही नहीं यह सभी मजदूर काम पूरा होने के बाद राशन या सब्जी लेने बाजार जा रहे है.

रायपुर : लाॅकडाउन के बाद भी सिलतरा क्षेत्र के कई उघोगों में चोरी-छिपे दूसरे राज्य के मजदूरों को काम करवाने लाने का सिलसिला जारी है. मजदूरों को क्वॉरेंटाइन भी नहीं किया जा रहा है. बता दें कि सिलतरा एक बड़ा औघोगिक क्षेत्र है. ऐसे में लाॅकडाउन से पहले इन उद्योगों में दूसरे राज्यों के मजदूर यहां काम करने आते थे. लाॅकडाउन की अवधि में ऐसे लगभग हजारों मजदूर अपने राज्य वापस चले गए थे, लेकिन अनलॉक 2.0 में फिर से उद्योग शुरू हो गए हैं और प्रवासी मजदूरों को लौटना भी शुरू हो गया है.

लेकिन सरकार के नियमों को ताक पर रात के अंधेरे में यहां कई छोटी-बड़ी गाड़ियों में मजदूरों को जानवरों की तरह ठूंसकर सीधे प्लांट के अंदर लाकर छोड़ा जा रहा है. ऐसा नहीं कि लोगों की इसकी जानकारी नहीं है. सूचना होने के बाद भी लोगों को कोरोना के खतरे के बीच काम करना पड़ रहा है. मजदूरों का कहना है कि इसका विरोध करने या बाहर से आए मजदूरों के साथ काम नहीं करने की बात पर ठेकेदार सहित मैनेजर भी काम से निकालने की धमकी दे रहे हैं.

दूसरे मजदूरों को भी संक्रमण का खतरा

जिन उद्योगों में मजदूर लाए जा रहे हैं वहां काम करने वाले दूसरे मजदूरों के बीच संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. वहीं मजदूर भी अपनी रोजी-रोटी और नौकरी बचाने के लिए विरोध करने के बजाय साथ काम कर रहे हैं.

पढ़ें-अच्छी खबर : राजनांदगांव कोविड-19 अस्पताल से डिस्चार्ज हुए 5 मरीज, एक्टिव केस 91

बाजारों में घूम रहे मजदूर

सरकार के नियम के अनुसार बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को तो सबसे पहले 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन हो ना जरूरी है. इसके लिए प्लांट को पूरी व्यवस्था करके मजदूरों को 14 दिन क्वॉरेंटाइन रखने के बाद काम पर रखना चाहिए. लेकिन इन मजदूरों के लिए ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है, इतना ही नहीं यह सभी मजदूर काम पूरा होने के बाद राशन या सब्जी लेने बाजार जा रहे है.

Last Updated : Jul 3, 2020, 12:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.