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जानिए क्या है जन्माष्टमी का महत्व

पूरे देश में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी पर्व का काफी महत्व है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. कृष्णलला के जन्म को पूरे देश में कृष्णोत्सव के तौर पर मनाया जाता है.

Janmastmi
जन्माष्टमी
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Published : Aug 19, 2022, 1:02 PM IST

रायपुर: साल 2022 में भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को इस साल 18 और 19 अगस्त 2 दिन मनाया जा रहा है. कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर शास्त्रों में लिखा है कि जब जब धरती पर पाप और अधर्म बढ़ा है, तब तब भगवान धरती पर अवतार लेते हैं. भगवान विष्णु किसी ना किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए धरती पर अवतरित हुए हैं. विष्णु जी का एक अवतार श्री कृष्ण थे. कान्हा मथुरा की राजकुमारी देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में जन्मे.

जन्माष्टमी का महत्व

नंद के घर बीता कान्हा का बचपन: कान्हा का बचपन गोकुल में माता यशोदा की गोद में बीता है. राजा कंस से बचाने के लिए वासुदेव ने कान्हा के जन्म के बाद उन्हें अपने चचेरे भाई नंद बाबा और यशोदा को दे दिया था. श्री कृष्ण ने अपने जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव पर चमत्कार दिखाया. श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं, जो मानव समाज को सीख देते हैं. भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. साल 2022 में कृष्ण जन्मोत्सव 2 दिनों का मनाया जा रहा है.

अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ कान्हा का जन्म: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने ईटीवी भारत को बताया कि "18 और 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाया जा रहा है. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में अर्ध रात्रि को हुआ था. इस बार भाद्रपद की अष्टमी तिथि 2 दिनों तक है. अष्टमी तिथि का प्रवेश 18 अगस्त 2022 गुरुवार की रात्रि से हो गया है, जो 19 अगस्त की रात्रि तक रहेगा."

2 दिनों तक मनाया जा रहा है कृष्ण जन्मोत्सव: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में उदया तिथि सार्वभौमिक माना गया है. इसलिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत वैष्णव संप्रदाय के लोग रख रहे हैं और कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. 18 और 19 अगस्त इन दोनों तिथियों में ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा सकता है. 19 अगस्त को कृतिका नक्षत्र देर रात 1:53 तक रहेगा. उसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा. जन्माष्टमी और कृष्ण जन्मोत्सव में एक चीज सर्वमान्य होती है. वह है रोहिणी नक्षत्र. क्योंकि रोहिणी नक्षत्र में ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. रोहिणी नक्षत्र में उत्सव मनाने की परंपरा है. इस बार 2 तिथियों में अष्टमी तिथि होने के कारण 18 और 19 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र नहीं पड़ रहा है. रोहिणी नक्षत्र 19 अगस्त की देर रात्रि अर्थात 20 अगस्त को 1:53 पर प्रवेश कर रहा है. 18 अगस्त को रात्रि में 9:21 में अष्टमी का प्रवेश हुआ है."

यह भी पढ़ें: जन्माष्टमी पर कान्हा को इन भजनों से करें प्रसन्न

जन्माष्टमी पर शुभ योग और उपाय: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "इस साल जन्माष्टमी पर वृद्धि और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है. यह इस दिन का महत्व बढ़ा रहा है. 17 अगस्त को 8:57 से वृद्धि योग प्रारंभ हो गया है. यह 18 अगस्त की 8:42 तक रहा. ध्रुव योग 18 अगस्त को 8:41 मिनट से शुरू होकर 19 अगस्त को 8:59 तक रहेगा. वृद्धि योग में कान्हा के साथ मां लक्ष्मी स्वरूप राधा रानी की पूजा से घर में सुख समृद्धि का वास होता है. जन्माष्टमी के दिन कान्हा की पूजा में एक पान का पत्ता भगवान कृष्ण को अर्पित करें. इसके बाद इस पते पर रोली से श्री यंत्र लिखें और तिजोरी या फिर धन के स्थान पर रख दें. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर में कभी दरिद्रता नहीं आती. धन में बढ़ोतरी होती है. नि:संतान दंपत्ति जन्माष्टमी के दिन घर पर गाय और बछड़े की मूर्ति भगवान कृष्ण के साथ इस विधि से पूजा करें तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है."

रायपुर: साल 2022 में भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को इस साल 18 और 19 अगस्त 2 दिन मनाया जा रहा है. कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर शास्त्रों में लिखा है कि जब जब धरती पर पाप और अधर्म बढ़ा है, तब तब भगवान धरती पर अवतार लेते हैं. भगवान विष्णु किसी ना किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए धरती पर अवतरित हुए हैं. विष्णु जी का एक अवतार श्री कृष्ण थे. कान्हा मथुरा की राजकुमारी देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में जन्मे.

जन्माष्टमी का महत्व

नंद के घर बीता कान्हा का बचपन: कान्हा का बचपन गोकुल में माता यशोदा की गोद में बीता है. राजा कंस से बचाने के लिए वासुदेव ने कान्हा के जन्म के बाद उन्हें अपने चचेरे भाई नंद बाबा और यशोदा को दे दिया था. श्री कृष्ण ने अपने जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव पर चमत्कार दिखाया. श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं, जो मानव समाज को सीख देते हैं. भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. साल 2022 में कृष्ण जन्मोत्सव 2 दिनों का मनाया जा रहा है.

अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ कान्हा का जन्म: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने ईटीवी भारत को बताया कि "18 और 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाया जा रहा है. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में अर्ध रात्रि को हुआ था. इस बार भाद्रपद की अष्टमी तिथि 2 दिनों तक है. अष्टमी तिथि का प्रवेश 18 अगस्त 2022 गुरुवार की रात्रि से हो गया है, जो 19 अगस्त की रात्रि तक रहेगा."

2 दिनों तक मनाया जा रहा है कृष्ण जन्मोत्सव: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में उदया तिथि सार्वभौमिक माना गया है. इसलिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत वैष्णव संप्रदाय के लोग रख रहे हैं और कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. 18 और 19 अगस्त इन दोनों तिथियों में ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा सकता है. 19 अगस्त को कृतिका नक्षत्र देर रात 1:53 तक रहेगा. उसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा. जन्माष्टमी और कृष्ण जन्मोत्सव में एक चीज सर्वमान्य होती है. वह है रोहिणी नक्षत्र. क्योंकि रोहिणी नक्षत्र में ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. रोहिणी नक्षत्र में उत्सव मनाने की परंपरा है. इस बार 2 तिथियों में अष्टमी तिथि होने के कारण 18 और 19 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र नहीं पड़ रहा है. रोहिणी नक्षत्र 19 अगस्त की देर रात्रि अर्थात 20 अगस्त को 1:53 पर प्रवेश कर रहा है. 18 अगस्त को रात्रि में 9:21 में अष्टमी का प्रवेश हुआ है."

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जन्माष्टमी पर शुभ योग और उपाय: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "इस साल जन्माष्टमी पर वृद्धि और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है. यह इस दिन का महत्व बढ़ा रहा है. 17 अगस्त को 8:57 से वृद्धि योग प्रारंभ हो गया है. यह 18 अगस्त की 8:42 तक रहा. ध्रुव योग 18 अगस्त को 8:41 मिनट से शुरू होकर 19 अगस्त को 8:59 तक रहेगा. वृद्धि योग में कान्हा के साथ मां लक्ष्मी स्वरूप राधा रानी की पूजा से घर में सुख समृद्धि का वास होता है. जन्माष्टमी के दिन कान्हा की पूजा में एक पान का पत्ता भगवान कृष्ण को अर्पित करें. इसके बाद इस पते पर रोली से श्री यंत्र लिखें और तिजोरी या फिर धन के स्थान पर रख दें. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर में कभी दरिद्रता नहीं आती. धन में बढ़ोतरी होती है. नि:संतान दंपत्ति जन्माष्टमी के दिन घर पर गाय और बछड़े की मूर्ति भगवान कृष्ण के साथ इस विधि से पूजा करें तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है."

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