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Kotwar Sangh Protest: रायपुर में छत्तीसगढ़ कोटवार संघ का हल्लाबोल

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Published : Mar 16, 2023, 7:50 PM IST

गुरुवार को छत्तीसगढ़ कोटवार एसोसिएशन ने अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर संभाग स्तर पर प्रदर्शन किया. कोटवारों की 2 सूत्रीय मांग है. कोटवारों ने यह चेतावनी भी दी है कि उनकी मांगों पर कोई ठोस पहल नहीं की गई तो आने वाले दिनों में वे परिवार के साथ राजधानी में उग्र प्रदर्शन करेंगे. Kotwar Sangh protest in raipur

Chhattisgarh Kotwar Association
रायपुर में कोटवार संघ का प्रदर्शन
नियमित और संविलियन करने की मांग

रायपुर: चुनावी साल होने के साथ ही वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र भी चल रहा है. ऐसे में हर संगठन अपनी मांग सरकार से पूरी करवाने के लिए धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं. गुरुवार को छत्तीसगढ़ कोटवार एसोसिएशन ने अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर संभाग स्तर पर प्रदर्शन किया. राजधानी के बूढ़ातालाब धरना स्थल पर भी एसोसिएशन के लोगों ने प्रदर्शन किया.

"नियमित कर्मचारी का मिले दर्जा": छत्तीसगढ़ कोटवार एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष प्रेम किशोर बाघ का कहना है कि " अपनी मांग को लेकर अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से संघर्ष कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ राज्य को बने 23 साल बीत गए हैं. बावजूद इसके कोटवारों के हित में सरकार ने अब तक कोई ठोस पहल नहीं की है. कोटवारों को नियमित कर्मचारी का दर्जा दिया जाए."

कोटवारों की सुध नहीं ले रही सरकार: महिला कोटवार परमेश्वरी मानिकपुरी ने बताया कि "सरकार के सभी काम में कोटवार अपनी भागीदारी निभाते हैं. गांव में जाकर जगह जगह मुनादी का काम करना पड़ता है. सरकार ने कोई लाउडस्पीकर या माइक भी नहीं दिया है. मुंह से चिल्ला चिल्ला कर गांव में लोगों को जनकारी देते हैं. इतने कम मानदेय में भी कोटवार मुनादी सहित सरकार के अन्य कार्यक्रमों का संचालन बखूबी कर रहे हैं. लेकिन सरकार इन कोटवारों की कोई सुध नहीं ले रही है."

यह है एसोसिएशन की 2 सूत्रीय मांग: छत्तीसगढ़ कोटवार एसोसिएशन की 2 सूत्रीय मांग है. पहली मांग नियमित करते हुए राजस्व विभाग में संविलियन की है. वहीं भू राजस्व संहिता की धारा में संशोधन कर मालगुजारी जमीन का भूमि स्वामी हक वापस कोटवारों को देने की दूसरी मांग है.

यह भी पढ़ें: Raipur latest news: 17 मार्च को विधवा महिलाएं करेंगी विधानसभा का घेराव, अनुकंपा नियुक्ति की मांग के लेकर जारी प्रदर्शन

मानदेय में बढ़ोतरी नाकाफी: छत्तीसगढ़ में महिला और पुरुष कोटवारों की संख्या लगभग 16 हजार के आसपास है. बजट सत्र में कांग्रेस सरकार ने कोटवारों के मानदेय में बढ़ोतरी की है. जिन कोटवारों का अधिकतम मानदेय 4500 रुपये था, उसे बढ़ाकर सरकार ने 6000 रुपये कर दिया है. लेकिन कोटवारों का कहना है कि इतने पैसे में परिवार का पालन पोषण कैसे होगा?

नियमित और संविलियन करने की मांग

रायपुर: चुनावी साल होने के साथ ही वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र भी चल रहा है. ऐसे में हर संगठन अपनी मांग सरकार से पूरी करवाने के लिए धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं. गुरुवार को छत्तीसगढ़ कोटवार एसोसिएशन ने अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर संभाग स्तर पर प्रदर्शन किया. राजधानी के बूढ़ातालाब धरना स्थल पर भी एसोसिएशन के लोगों ने प्रदर्शन किया.

"नियमित कर्मचारी का मिले दर्जा": छत्तीसगढ़ कोटवार एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष प्रेम किशोर बाघ का कहना है कि " अपनी मांग को लेकर अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से संघर्ष कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ राज्य को बने 23 साल बीत गए हैं. बावजूद इसके कोटवारों के हित में सरकार ने अब तक कोई ठोस पहल नहीं की है. कोटवारों को नियमित कर्मचारी का दर्जा दिया जाए."

कोटवारों की सुध नहीं ले रही सरकार: महिला कोटवार परमेश्वरी मानिकपुरी ने बताया कि "सरकार के सभी काम में कोटवार अपनी भागीदारी निभाते हैं. गांव में जाकर जगह जगह मुनादी का काम करना पड़ता है. सरकार ने कोई लाउडस्पीकर या माइक भी नहीं दिया है. मुंह से चिल्ला चिल्ला कर गांव में लोगों को जनकारी देते हैं. इतने कम मानदेय में भी कोटवार मुनादी सहित सरकार के अन्य कार्यक्रमों का संचालन बखूबी कर रहे हैं. लेकिन सरकार इन कोटवारों की कोई सुध नहीं ले रही है."

यह है एसोसिएशन की 2 सूत्रीय मांग: छत्तीसगढ़ कोटवार एसोसिएशन की 2 सूत्रीय मांग है. पहली मांग नियमित करते हुए राजस्व विभाग में संविलियन की है. वहीं भू राजस्व संहिता की धारा में संशोधन कर मालगुजारी जमीन का भूमि स्वामी हक वापस कोटवारों को देने की दूसरी मांग है.

यह भी पढ़ें: Raipur latest news: 17 मार्च को विधवा महिलाएं करेंगी विधानसभा का घेराव, अनुकंपा नियुक्ति की मांग के लेकर जारी प्रदर्शन

मानदेय में बढ़ोतरी नाकाफी: छत्तीसगढ़ में महिला और पुरुष कोटवारों की संख्या लगभग 16 हजार के आसपास है. बजट सत्र में कांग्रेस सरकार ने कोटवारों के मानदेय में बढ़ोतरी की है. जिन कोटवारों का अधिकतम मानदेय 4500 रुपये था, उसे बढ़ाकर सरकार ने 6000 रुपये कर दिया है. लेकिन कोटवारों का कहना है कि इतने पैसे में परिवार का पालन पोषण कैसे होगा?

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