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chandulal chandrakar birth anniversary 2023: जानिए कौन थे चंदूलाल चंद्राकर, महात्मा गांधी भी हुए थे मुरीद

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले और केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री रहे चंदूलाल चंद्राकर की जयंती 1 जनवरी को मनाई जाती हैchandulal chandrakar birth anniversary 2023 . वो Chief Minister Bhupesh Baghel के राजनीतिक गुरु भी थे. chandulal chandrakar छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय समाचार पत्र के संपादक पद पर पहुंचने वाले प्रथम व्यक्ति थे. उन्होंने लोकसभा के लिए पांच बार निर्वाचित होकर आम जनता की सेवा की. पर्यटन, नागरिक उड्डयन, कृषि, ग्रामीण विकास जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री का दायित्व संभालते हुए उल्लेखनीय कार्य किए. चंदूलाल चंद्राकर ने अपनी लेखनी से कई ज्वलंत मुद्दे उठाए. निर्भीक और मूल्य आधारित पत्रकारिता से छत्तीसगढ़ का नाम देश में रोशन करने वाले चंदूलाल चंद्राकर नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं.

chandulal chandrakar
चंदूलाल चंद्राकर की जयंती
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Published : Dec 28, 2022, 8:13 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के महान शख्सियतों में शुमार चंदूलाल चंद्राकर का जीवन कैसा रहा chandulal chandrakar birth anniversary 2023. कैसे उन्होंने छत्तीसगढ़ की माटी को आगे बढ़ाने में योगदान दिया. आइए डालते हैं उसपर नजर

कौन थे चंदूलाल चंद्राकर : चन्दूलाल चन्द्राकर का जन्म 1 जनवरी 1921 को दुर्ग जिले के निपानी गांव के कृषक परिवार में हुआ chandulal chandrakar birth anniversary 2023. वे बाल्यावस्था से ही मेधावी रहे. दुर्ग में प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ग्रामिणों की समस्या का समाधान करने में भी आप सदैव तत्पर रहते थे. उन्होंने बी.ए. की पढ़ाई राबर्टसन कॉलेज जबलपुर से की थी. राजनीति के पूर्व सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े. द्वितीय विश्वयुद्ध (second World War) के समय से वे अभ्यस्त पत्रकारों जैसी सधी पत्रकारिता करने लगे.Know who was Chandulal Chandrakar

दैनिक हिंदुस्तान में बनें संपादक : 1945 से पत्रकार के तौर पर चंदुलाल चंद्राकर की ख्याति होने लगी. उनके समाचार हिन्दुस्तान टाइम्स सहित देश-विदेश के अन्य अखबारों में प्रकाशित होने लगे. चंद्राकर को 9 ओलंपिक खेलों और तीन एशियाई खेलों की रिपोर्टिंग का सुदीर्घ अनुभव रहा. National newspaper Dainik Hindustan में संपादक के रुप में भी उन्होंने सेवाएं दी. छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय समाचार पत्र के संपादक पद पर पहुंचने वाले वे प्रथम थे. युद्धस्थल से भी उन्होने निर्भीकतापूर्वक समाचार भेजे और विश्व के लगभग सभी देशों की यात्रा पत्रकार के रुप में की.

महात्मा गांधी ने की थी प्रशंसा : कॉलेज के दौरान ही वो राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े और साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किए गए. हालांकि परीक्षा के समय उन्हें रिहा कर दिया गया. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे बनारस में दैनिक 'आज' के साथ जुड़े. इसके बाद वो 'आर्यावर्त' के संवाददाता बने. कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन के कवरेज के लिए महात्मा गांधी ने उनकी प्रशंसा की Mahatma Gandhi had praised थी.

सम्मान में फेलोशिप की घोषणा : अपनी लेखनी से ज्वलंत मुद्दे उठाने, बहस की गुंजाइश तैयार करने वाले पत्रकारों में चन्दूलाल चंद्राकर को सम्मानजनक स्थान प्राप्त है. 2 फरवरी 1995 को उनका निधन हुआ. निर्भीक पत्रकारिता से छत्तीसगढ़ का नाम देश में रोशन करने वाले व्यक्तित्व से नई पीढ़ी प्रेरणा ग्रहण करे और मूल्य आधारित पत्रकारिता को प्रोत्साहन मिले, इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में पत्रकारिता के क्षेत्र में Chandulal Chandrakar Fellowship स्थापित किया है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के महान शख्सियतों में शुमार चंदूलाल चंद्राकर का जीवन कैसा रहा chandulal chandrakar birth anniversary 2023. कैसे उन्होंने छत्तीसगढ़ की माटी को आगे बढ़ाने में योगदान दिया. आइए डालते हैं उसपर नजर

कौन थे चंदूलाल चंद्राकर : चन्दूलाल चन्द्राकर का जन्म 1 जनवरी 1921 को दुर्ग जिले के निपानी गांव के कृषक परिवार में हुआ chandulal chandrakar birth anniversary 2023. वे बाल्यावस्था से ही मेधावी रहे. दुर्ग में प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ग्रामिणों की समस्या का समाधान करने में भी आप सदैव तत्पर रहते थे. उन्होंने बी.ए. की पढ़ाई राबर्टसन कॉलेज जबलपुर से की थी. राजनीति के पूर्व सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े. द्वितीय विश्वयुद्ध (second World War) के समय से वे अभ्यस्त पत्रकारों जैसी सधी पत्रकारिता करने लगे.Know who was Chandulal Chandrakar

दैनिक हिंदुस्तान में बनें संपादक : 1945 से पत्रकार के तौर पर चंदुलाल चंद्राकर की ख्याति होने लगी. उनके समाचार हिन्दुस्तान टाइम्स सहित देश-विदेश के अन्य अखबारों में प्रकाशित होने लगे. चंद्राकर को 9 ओलंपिक खेलों और तीन एशियाई खेलों की रिपोर्टिंग का सुदीर्घ अनुभव रहा. National newspaper Dainik Hindustan में संपादक के रुप में भी उन्होंने सेवाएं दी. छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय समाचार पत्र के संपादक पद पर पहुंचने वाले वे प्रथम थे. युद्धस्थल से भी उन्होने निर्भीकतापूर्वक समाचार भेजे और विश्व के लगभग सभी देशों की यात्रा पत्रकार के रुप में की.

महात्मा गांधी ने की थी प्रशंसा : कॉलेज के दौरान ही वो राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े और साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किए गए. हालांकि परीक्षा के समय उन्हें रिहा कर दिया गया. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे बनारस में दैनिक 'आज' के साथ जुड़े. इसके बाद वो 'आर्यावर्त' के संवाददाता बने. कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन के कवरेज के लिए महात्मा गांधी ने उनकी प्रशंसा की Mahatma Gandhi had praised थी.

सम्मान में फेलोशिप की घोषणा : अपनी लेखनी से ज्वलंत मुद्दे उठाने, बहस की गुंजाइश तैयार करने वाले पत्रकारों में चन्दूलाल चंद्राकर को सम्मानजनक स्थान प्राप्त है. 2 फरवरी 1995 को उनका निधन हुआ. निर्भीक पत्रकारिता से छत्तीसगढ़ का नाम देश में रोशन करने वाले व्यक्तित्व से नई पीढ़ी प्रेरणा ग्रहण करे और मूल्य आधारित पत्रकारिता को प्रोत्साहन मिले, इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में पत्रकारिता के क्षेत्र में Chandulal Chandrakar Fellowship स्थापित किया है.

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