रायपुर: किराए पर मकान देने या लेने के कई नियम हैं, जो हम नहीं जानते... जिसके कारण कई बार लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. नए किरायेदार कानून के तहत दोनों को पर्याप्त अधिकार (New law for tenants) दिए गए हैं. जिससे न तो किराएदार को किसी तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ेगा और ना ही मकान मालिक को किसी तरह की परेशानी होगी (Know this special law about rental house) .
इस विषय में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ अधिवक्ता दिवाकर सिन्हा से खास बातचीत की. आईए जानते हैं उन्होंने नया किराएदार नियम कानून को लेकर क्या कहा?
अगर हुआ विवाद तो सिविल कोर्ट का मामला
नए किरायेदार कानून को लेकर उन्होंने कहा कि यह मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए फायदेमंद है. यदि मकान मालिक और किराएदार के बीच किसी तरह का विवाद होता है, तो उससे परेशानी दोनों को होती है. पहले यह मामला सिविल कोर्ट जाता था. जहां पहले से ही कई मामले लंबित होते थे और इसके निपटारे में काफी लंबा समय लग जाता था. यही वजह है कि दोनों को असुविधा न हो इसके लिए नया कानून बनाया गया है. सबसे पहले यह देखा जाना चाहिए कि हम जिससे मकान ले रहे हैं वह उसका क्लियर स्वामी है या नहीं और एग्रीमेंट करके ही मकान किराये से लेना चाहिए. जो भी आपके बीच में शर्ते होती है वो लिखित में होनी चाहिए.
ये है नया कानून(What is new law for tenants)
पहले कई सालों तक मकान में रहने के बाद किराएदार उस पर अपना मालिकाना हक जमाने लगते थे. लेकिन वर्तमान समय में जो नया कानून बना है, इसके बाद मैंडेटरी हो गया है कि मकान मालिक विथ रीजन 1 महीने के नोटिस पर अपना मकान खाली करा सकता है. इसमें एक कानून और भी है कि 6 महीने का समय देकर में बिना कारण बताए भी अपना मकान खाली करा सकता है. मकान मलिक को यह सुविधा मिल गई.
मकान मरम्मत पर नया कानून
पहले मकान के मरम्मत को लेकर बड़ी दिक्कत होती थी, किराया मिल रहा है तो मकान मालिक अपने मकान की मरम्मत नहीं कराता है. लेकिन नए कानून में प्रावधान है कि मकान मालिक किराएदार से सहमति बनाकर मकान की मरम्मत करा सकता है. उसके 1 महीने बाद उसका किराया बढ़ा सकता है. इस कानून में यह भी प्रावधान है कि यदि मकान की हालत खराब है. बार-बार बोलने के बाद भी मकान मालिक मरम्मत नहीं करता है, तो किराएदार वर्तमान किराए को कम भी कर सकता है.
अप्रिय घटना होने पर हैं ये नियम
सिन्हा ने बताया कि पहले इस तरह के मामले को सिविल कोर्ट सुनता था, लेकिन सिविल कोर्ट में लगातार मामलों की संख्या बढ़ती गई. ऐसे में मामलों की सुनवाई में काफी लंबा समय लग जाता था और मामला पेंडिंग हो जाता था. इस बीच कई अप्रिय घटना होने की भी संभावना बनी रहती थी. लेकिन अब इस तरह के मामलों के लिए अलग व्यवस्था बनाई गई है. इन मामलों को सुनने के लिए हर जिले में एक प्राधिकरण बनाया गया है, जिसमें सिर्फ किराएदार से संबंधित मामलों की सुनवाई होती है. इससे इन मामलों का निपटारा जल्दी होता है. इससे किराएदार मकान मालिक दोनों को सुविधा होती है. यदि किसी कारण बस मामले का निपटारा नहीं हो सका तो इससे संबंधित दिल्ली में भी अपील की जा सकती है.
कानून को लेकर जागरूकता कम देखी जा रही
बहरहाल नए किरायेदार कानून को लेकर लोगों में अभी भी जागरूकता कम देखी जा रही है. अभी भी लोग बिना रेंट एग्रीमेंट के मकान किराए से दे रहे है. बाद में विवाद की स्थिति निर्मित होती है. जिस वजह से मकान मालिक ओर किराएदार दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इस नए कानून को लेकर दोनों को जागरूक होने की जरूरत है. अब देखने वाली बात है इस कानून का कितना फायदा मकान मालिक को और कितना किराएदार को मिलता है. फिर उन दोनों के बीच पहले की भांति विवाद बना रहता है.