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World Deaf-Dumb Day 2021: कोरोना काल में मूक बधिर लोगों को किन परेशानियों का करना पड़ा सामना ?

कोरोना काल (corona period) में मूकबधिर (World Deaf-Dumb Day 2021) लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. उनकी जीवन शैली पर बुरा प्रभाव पड़ा. मास्क पहनने के बाद ऐसे लोगों के जीवन में कई तरह की परेशानियां आईं. ईटीवी भारत (Etv Bharat) ने इसे मूक बधिरों से जानने की कोशिश की है. पढ़िए ये खास रिपोर्ट

world deaf day 2021
विश्व मूकबधिर दिवस 2021
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Published : Sep 25, 2021, 11:05 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 4:27 PM IST

रायपुर: कोरोना काल (Corona Period) के दौरान अब लोगों को मास्क पहनना जरूरी (Necessary To Wear a Mask) हो गया है. यहां तक कि सरकार ने भी मास्क पहनने के लिए काफी प्रचार प्रसार किया है और जो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं. उनके खिलाफ भी लगातार कार्रवाई जारी है. इस मास्क को पहनने के पीछे मुख्य वजह यह है कि लोग कोरोना से बच सकें. लेकिन जो मास्क लोगों के जीवन, को बचाने के लिए जरूरी है. वहीं मास्क उन लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है, हम बात कर रहे हैं ऐसे लोगों की जो न तो बोल सकते हैं ना ही सुन सकते हैं. यानी मूक बधिर (Deaf dumb) लोगों के लिए यह मास्क कहीं ना कहीं परेशानी का सबब बनता जा रहा है.

कोरोना काल में मूक बधिर लोगों को हुई कितनी परेशानी ?

हाथियों का ठिकाना तय नहीं कर पाए वन अधिकारी, कैसे निकलेगा हाथी मानव द्वंद का हल ?

कोरोना में बोलना हुआ मुश्किल

मूकबधिर (World Deaf-Dumb Day 2021) हाथों से इशारा, चेहरे से भाव, आंखों का एक्सप्रेशन (Eyes Expression) और होठों को हिला कर बात करते हैं और उसे ही समझते है. यानी मूकबधिर (Deaf Mute) के संवाद में होठों की महत्वपूर्ण भूमिका है. लेकिन कोरोना काल में संवाद में होंठ अपनी भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं. उसकी मुख्य वजह मुंह पर लगे मास्क हैं. इन मास्क की वजह से जब वह एक दूसरे से आपस में संवाद (Dialogue in Corona period) करते हैं या फिर किसी और से बातचीत करने की कोशिश करते हैं तो उनके होंठ इन्हें मास्क की वजह से दिखाई नहीं देते हैं और इन्हें समझना मुश्किल होता है कि सामने वाला क्या बोल रहा है ?

मूकबाधिरों को होती है संवाद में परेशानी

उन लोगों के साथ भी काफी दिक्कतें आती है, जो विभिन्न संस्थानों में कार्यरत हैं. क्योंकि वहां भी उन्हें बात के दौरान लोगों के इशारों को समझना मुश्किल होता है और यह मुश्किल बाहर और भी बढ़ जाती है. पहले यह सामान को उठाकर छूकर या फिर दिखाकर खरीदते या बेचते थे. लेकिन अब डिस्टेंस की वजह से यह लोग सामान को छूकर नहीं दिखा सकते और यदि वे इशारा करते हैं तो मास्क की वजह से होंठ नहीं दिखता है. जिससे इन्हें बातचीत में परेशानी होती है.

बातचीत करने में आती है दिक्क्त

मास्क की वजह से हो रही परेशानियों के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम (Etv Bharat Team) पहुंची एक टी कैफे. जहां मूकबधिर सहित अन्य दिव्यांग लोग काम करते हैं. हमने यहां काम करने वाले मूकबधिर से बात की और समझने की कोशिश कि, आखिर उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस कैफे में उनकी बात समझाने में हमें मदद किया टी कैफे के संचालक इरफान जी ने. आप भी देखिए कि मूक बधिर लोगों ने अपनी समस्या और उसके समाधान को ईटीवी भारत के कैमरे के सामने किस तरह से बताया.

मूकबाधिर को होती है परेशानी

ये लोग सिर्फ मास्क की वजह से हो रही समस्याओं को ही नहीं बता पा रहे थे, बल्कि उस समस्या से कैसे निपटा जा सके. इसकी भी तरकीब बताई. मास्क की वजह से इन लोगों ने बातचीत के लिए लिखना, मोबाइल के जरिए फोटो दिखलाने की बात बताई. उन्होंने बताया कि ऐसे समय में वह इस तरह अपनी बातों को समझा पा रहे हैं.

सांकेतिक भाषा अहम

इनका कहना है कि ट्रांसपेरेंट मास्क (transparent mask) होगा तो इन्हें एक दूसरे से संवाद करने में सहूलियत होगी. इसके अलावा उनकी यह मांग भी है कि, सामान्य बच्चों को भी प्राथमिक शिक्षा के दौरान सांकेतिक भाषा (Sign Language) का ज्ञान देना चाहिए. जिससे बचपन से ही बच्चे मूकबधिर लोगों से किस तरह से बात करनी है उसे समझ सके और उनसे बात कर सकें. इससे बाद में ना तो बच्चों को ऐसे लोगों से बात करने में दिक्कत होगी और ना इन लोगों को आम लोगों को अपनी बात समझाने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

बहरहाल देखने वाली बात है कि आने वाले समय में इनकी मांगों पर कितना अमल किया जाता है. लेकिन यह जरूर है कि आज यह लोग भी किसी सामान्य व्यक्ति से कम नहीं है. आज ये लोग न सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हैं. बल्कि अपने परिवार का भी भरण पोषण कर रहे हैं.

रायपुर: कोरोना काल (Corona Period) के दौरान अब लोगों को मास्क पहनना जरूरी (Necessary To Wear a Mask) हो गया है. यहां तक कि सरकार ने भी मास्क पहनने के लिए काफी प्रचार प्रसार किया है और जो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं. उनके खिलाफ भी लगातार कार्रवाई जारी है. इस मास्क को पहनने के पीछे मुख्य वजह यह है कि लोग कोरोना से बच सकें. लेकिन जो मास्क लोगों के जीवन, को बचाने के लिए जरूरी है. वहीं मास्क उन लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है, हम बात कर रहे हैं ऐसे लोगों की जो न तो बोल सकते हैं ना ही सुन सकते हैं. यानी मूक बधिर (Deaf dumb) लोगों के लिए यह मास्क कहीं ना कहीं परेशानी का सबब बनता जा रहा है.

कोरोना काल में मूक बधिर लोगों को हुई कितनी परेशानी ?

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कोरोना में बोलना हुआ मुश्किल

मूकबधिर (World Deaf-Dumb Day 2021) हाथों से इशारा, चेहरे से भाव, आंखों का एक्सप्रेशन (Eyes Expression) और होठों को हिला कर बात करते हैं और उसे ही समझते है. यानी मूकबधिर (Deaf Mute) के संवाद में होठों की महत्वपूर्ण भूमिका है. लेकिन कोरोना काल में संवाद में होंठ अपनी भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं. उसकी मुख्य वजह मुंह पर लगे मास्क हैं. इन मास्क की वजह से जब वह एक दूसरे से आपस में संवाद (Dialogue in Corona period) करते हैं या फिर किसी और से बातचीत करने की कोशिश करते हैं तो उनके होंठ इन्हें मास्क की वजह से दिखाई नहीं देते हैं और इन्हें समझना मुश्किल होता है कि सामने वाला क्या बोल रहा है ?

मूकबाधिरों को होती है संवाद में परेशानी

उन लोगों के साथ भी काफी दिक्कतें आती है, जो विभिन्न संस्थानों में कार्यरत हैं. क्योंकि वहां भी उन्हें बात के दौरान लोगों के इशारों को समझना मुश्किल होता है और यह मुश्किल बाहर और भी बढ़ जाती है. पहले यह सामान को उठाकर छूकर या फिर दिखाकर खरीदते या बेचते थे. लेकिन अब डिस्टेंस की वजह से यह लोग सामान को छूकर नहीं दिखा सकते और यदि वे इशारा करते हैं तो मास्क की वजह से होंठ नहीं दिखता है. जिससे इन्हें बातचीत में परेशानी होती है.

बातचीत करने में आती है दिक्क्त

मास्क की वजह से हो रही परेशानियों के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम (Etv Bharat Team) पहुंची एक टी कैफे. जहां मूकबधिर सहित अन्य दिव्यांग लोग काम करते हैं. हमने यहां काम करने वाले मूकबधिर से बात की और समझने की कोशिश कि, आखिर उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस कैफे में उनकी बात समझाने में हमें मदद किया टी कैफे के संचालक इरफान जी ने. आप भी देखिए कि मूक बधिर लोगों ने अपनी समस्या और उसके समाधान को ईटीवी भारत के कैमरे के सामने किस तरह से बताया.

मूकबाधिर को होती है परेशानी

ये लोग सिर्फ मास्क की वजह से हो रही समस्याओं को ही नहीं बता पा रहे थे, बल्कि उस समस्या से कैसे निपटा जा सके. इसकी भी तरकीब बताई. मास्क की वजह से इन लोगों ने बातचीत के लिए लिखना, मोबाइल के जरिए फोटो दिखलाने की बात बताई. उन्होंने बताया कि ऐसे समय में वह इस तरह अपनी बातों को समझा पा रहे हैं.

सांकेतिक भाषा अहम

इनका कहना है कि ट्रांसपेरेंट मास्क (transparent mask) होगा तो इन्हें एक दूसरे से संवाद करने में सहूलियत होगी. इसके अलावा उनकी यह मांग भी है कि, सामान्य बच्चों को भी प्राथमिक शिक्षा के दौरान सांकेतिक भाषा (Sign Language) का ज्ञान देना चाहिए. जिससे बचपन से ही बच्चे मूकबधिर लोगों से किस तरह से बात करनी है उसे समझ सके और उनसे बात कर सकें. इससे बाद में ना तो बच्चों को ऐसे लोगों से बात करने में दिक्कत होगी और ना इन लोगों को आम लोगों को अपनी बात समझाने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

बहरहाल देखने वाली बात है कि आने वाले समय में इनकी मांगों पर कितना अमल किया जाता है. लेकिन यह जरूर है कि आज यह लोग भी किसी सामान्य व्यक्ति से कम नहीं है. आज ये लोग न सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हैं. बल्कि अपने परिवार का भी भरण पोषण कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 26, 2021, 4:27 PM IST
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