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tejram Told Union Budget corporate friendly: आम जनता के बजाय कॉरपोरेट हितैषी है केंद्रीय बजट : किसान नेता तेजराम विद्रोही - मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आम बजट 2023-24 पेश कर दिया है. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट है. छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक तेजराम विद्रोही ने केंद्रीय बजट 2023-24 पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनका मानना है कि यह बजट आम जनता के बजाय कॉरपोरेट हितैषी है.

tejram Told Union Budget corporate friendly
केंद्रीय बजट को कॉरपोरेट हितैषी बताया
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Published : Feb 1, 2023, 5:14 PM IST

किसान नेता ने केंद्रीय बजट को कॉरपोरेट हितैषी बताया

रायपुर: आम बजट 2023-24 को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश कर दिया है. जिस पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य और किसान नेता तेजराम विद्रोही ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि "2023-24 का आम बजट कैसा होना चाहिए, इस पर मीडिया के माध्यम से सुझाव भी लिया गया था. आम बजट आम जनता के हित में हो, जिससे मजदूर किसानों और मध्यम वर्ग को बढ़ती महंगाई, रोजगार की असुरक्षा से मुक्ति मिल सके. अति अमीर लोगों के आय पर ज्यादा कर की वृद्धि हो."

अमीरों पर टैक्स बढ़ाया जाना चाहिए था: तेजराम विद्रोही ने आगे कहा कि "हमने देखा कि कोरोना काल में भारतीय अर्थव्यवस्था भारी गिरावट पर थी. लेकिन कुछ मुठ्ठीभर पूंजीपतियों की आमदनी में बेतहाशा वृद्धि हुई है. आज भी रिपोर्ट कहता है कि तीन प्रतिशत पूंजीपतियों के पास देश का 70 प्रतिशत पूंजी है. इन अमीरों पर कर की प्रतिशत बढ़ाकर भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि किया जा सकता था. टैक्स अदा करने वालों को 7 लाख रुपये छूट दे गई है, परंतु 15 लाख से अधिक आय वालों को केवल 30 प्रतिशत ही देना पड़ेगा. बल्कि इस स्लैब को बढ़ाया जाना चाहिए था."



"कृषि विकास योजना में किया जाना चाहिए था वृद्धि": तेजराम विद्रोही ने कहा कि "भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है. कोरोन काल में जहां भारत की अर्थव्यवस्था ऋणात्मक रूप से 23 प्रतिशत नीचे चला गया था. वहां भारतीय कृषि का योगदान अर्थव्यवस्था में धनात्मक 3 प्रतिशत था. वही अति अमीर कॉरपोरेट मुनाफा बटोरने में लगे रहे. अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान को देखते हुए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में वृद्धि किया जाना चाहिए था."

यह भी पढ़ें: Budget 2023 rebate limit increased up to 7 lakh: मिडिल क्लास को बड़ी राहत, 7 लाख रुपए तक सालाना आय अब टैक्स फ्री

"रोजगार मिलने के बजाय रोजगार से वंचित हो रहे": तेजराम विद्रोही ने कहा कि "स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने की योजना शामिल करना था. इसके बजाय कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप से इसे डुबाने की कोशिश की गई है. रोजगार के क्षेत्र में हम देखें, तो निजी जनभागीदारी के जरिये निजीकरण को बढ़ावा दिया गया है. जबकि भारतीय स्टार्ट अप ने 21000 कर्मचारियों की छंटनी और एक निजी कंपनी ने 6000 कर्मचारियों की छंटनी करने का फैसला किया है. इसका मतलब रोजगार मिलने के बजाय रोजगार से वंचित हो रहे हैं."

चंद उद्योगपतियों को बढ़ावा देने का काम: तेजराम विद्रोही ने कहा कि "मूल्य स्थिरीकरण कोष का बजट 1500 करोड़ रुपये था. जिसे ज्यादा बढोत्तरी करते हुए बढ़ती महंगाई पर रोक लगाया जा सकता है. इस बजट से आम जनता के लिए महंगाई कम होने के बजाए दाम बढ़ेंगे. राष्ट्रीय शिक्षा के विकास में स्पष्टता नहीं है. निजी निवेश को बढ़ाया जा रहा है, जिससे कॉरपोरेट घरानों को फायदा मिलेगा. 50 नए एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव उसी का एक हिस्सा है. इससे बैंक, बीमा, रेलवे , हवाई अड्डे आदि सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण किया जाएगा. जो अडानी जैसे डूबने वाले कॉरपोरेट को जीवनदान देने का कदम है.

किसान नेता ने केंद्रीय बजट को कॉरपोरेट हितैषी बताया

रायपुर: आम बजट 2023-24 को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश कर दिया है. जिस पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य और किसान नेता तेजराम विद्रोही ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि "2023-24 का आम बजट कैसा होना चाहिए, इस पर मीडिया के माध्यम से सुझाव भी लिया गया था. आम बजट आम जनता के हित में हो, जिससे मजदूर किसानों और मध्यम वर्ग को बढ़ती महंगाई, रोजगार की असुरक्षा से मुक्ति मिल सके. अति अमीर लोगों के आय पर ज्यादा कर की वृद्धि हो."

अमीरों पर टैक्स बढ़ाया जाना चाहिए था: तेजराम विद्रोही ने आगे कहा कि "हमने देखा कि कोरोना काल में भारतीय अर्थव्यवस्था भारी गिरावट पर थी. लेकिन कुछ मुठ्ठीभर पूंजीपतियों की आमदनी में बेतहाशा वृद्धि हुई है. आज भी रिपोर्ट कहता है कि तीन प्रतिशत पूंजीपतियों के पास देश का 70 प्रतिशत पूंजी है. इन अमीरों पर कर की प्रतिशत बढ़ाकर भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि किया जा सकता था. टैक्स अदा करने वालों को 7 लाख रुपये छूट दे गई है, परंतु 15 लाख से अधिक आय वालों को केवल 30 प्रतिशत ही देना पड़ेगा. बल्कि इस स्लैब को बढ़ाया जाना चाहिए था."



"कृषि विकास योजना में किया जाना चाहिए था वृद्धि": तेजराम विद्रोही ने कहा कि "भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है. कोरोन काल में जहां भारत की अर्थव्यवस्था ऋणात्मक रूप से 23 प्रतिशत नीचे चला गया था. वहां भारतीय कृषि का योगदान अर्थव्यवस्था में धनात्मक 3 प्रतिशत था. वही अति अमीर कॉरपोरेट मुनाफा बटोरने में लगे रहे. अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान को देखते हुए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में वृद्धि किया जाना चाहिए था."

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"रोजगार मिलने के बजाय रोजगार से वंचित हो रहे": तेजराम विद्रोही ने कहा कि "स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने की योजना शामिल करना था. इसके बजाय कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप से इसे डुबाने की कोशिश की गई है. रोजगार के क्षेत्र में हम देखें, तो निजी जनभागीदारी के जरिये निजीकरण को बढ़ावा दिया गया है. जबकि भारतीय स्टार्ट अप ने 21000 कर्मचारियों की छंटनी और एक निजी कंपनी ने 6000 कर्मचारियों की छंटनी करने का फैसला किया है. इसका मतलब रोजगार मिलने के बजाय रोजगार से वंचित हो रहे हैं."

चंद उद्योगपतियों को बढ़ावा देने का काम: तेजराम विद्रोही ने कहा कि "मूल्य स्थिरीकरण कोष का बजट 1500 करोड़ रुपये था. जिसे ज्यादा बढोत्तरी करते हुए बढ़ती महंगाई पर रोक लगाया जा सकता है. इस बजट से आम जनता के लिए महंगाई कम होने के बजाए दाम बढ़ेंगे. राष्ट्रीय शिक्षा के विकास में स्पष्टता नहीं है. निजी निवेश को बढ़ाया जा रहा है, जिससे कॉरपोरेट घरानों को फायदा मिलेगा. 50 नए एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव उसी का एक हिस्सा है. इससे बैंक, बीमा, रेलवे , हवाई अड्डे आदि सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण किया जाएगा. जो अडानी जैसे डूबने वाले कॉरपोरेट को जीवनदान देने का कदम है.

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