रायपुर: मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर शहर में भंडारे और पतंगबाजी का आयोजन हुआ. इसी क्रम में टाटीबंध स्थित अयप्पा मंदिर में लक्ष्यदीप महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया. मंदिर परिसर में सुबह से लेकर देर रात तक उत्सव का माहौल था. करीब एक लाख दिये जलाकर केरला समाज ने पोंगल पर्व मनाया है.
हर साल की तरह इस साल भी अयप्पा मंदिर में एक लाख से अधिक दीये जलाए गए हैं. श्री अय्यप्पा सेवा संघम के अध्यक्ष विनोद पिल्लई ने बताया की हर साल मकर संक्रांति के अवसर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते है. इस साल कोरोना वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस दौरान सभी लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पर्व मनाया है. कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर की पवित्र 18 सीढ़ियों के खुलने के साथ हुआ. इसके बाद प्रभात फेरी और निर्माल्य दर्शन के साथ ही भगवान अयप्पा का अभिषेक किया गया.
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कौन हैं अयप्पा स्वामी?
भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं. विष्णु का मोहिनी रूप देखकर भगवान शिव और मोहिनी से सस्तव नामक पुत्र का जन्म का हुआ था. जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया है. शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण उनको 'हरिहरपुत्र' कहा जाता है. धार्मिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भोलेनाथ भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए थे. इसी के प्रभाव से एक बच्चे का जन्म हुआ. जिसे उन्होंने पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया. इस दौरान राजा राजशेखरा ने उन्हें 12 सालों तक पाला. बाद में अपनी माता के लिए शेरनी का दूध लाने जंगल गए अयप्पा ने राक्षसी महिषि का भी वध किया था.