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बांस की कलाकृतियां बनाने वाले करतार सिंह को मिला पद्मश्री सम्मान

बांस की कलाकृतियां बनाने वाले हमीरपुर के करतार परसमराम सौंखले को केंद्र सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है. करतार सिंह सौंखले बांस से भगवान, घर, मंदिर, पक्षी यहां तक की पीएम मोदी, पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मूर्ति भी तैयार कर चुके हैं. करतार बांस की इस कला को संजोए रखने में लगे हुए हैं.

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करतार सिंह सौंखले को पद्मश्री से किया गया सम्मानित
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Published : Jan 27, 2021, 9:48 PM IST

हिमाचल प्रदेश/ हमीरपुर: लोहड़ी के पर्व पर जलने वाले लकड़ी के ठूंठ को दहाड़ता शेर बना कर दसवीं कक्षा के बच्चे ने अपने सपनों को नया आयाम दिया था. यह वो पहले कलाकृति थी जो आज के पद्मश्री सम्मान 2021 के लिए चयनित हमीरपुर के निवासी करतार सिंह सौंखले ने एक बाल कलाकार के रूप में बनाई थी.

परसमराम सौंखले को पद्मश्री से सम्मानित

इसके बाद सफर शुरू हुआ इन कलाकृतियों को बोतल में उतारने का. एक शौक से पदम श्री तक पहुंचने का सफर किसी सिफारिश का नहीं, बल्कि सालों से चल रही एक कलाकार की तपस्या का ही नतीजा था.

साल 2016 में बीमारी ने करतार सिंह को घेर लिया, लेकिन यह मुश्किल उनके लिए चुनौती नहीं बल्कि अवसर ही साबित हुई. उन्होंने बीमारी को कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत बना कर अपनी दोगुना क्षमता के साथ कारीगरी को और समय देना शुरू किया.

आधी रात को आंख खुलने पर बोतल में महीन कारीगरी कर अपनी सोच को एक स्वरूप देना इनके लिए एक रूटीन ही है. करतार सिंह सौंखले को बांस की कारीगरी के लिए केंद्र सरकार पद्मश्री के सर्वोच्च सम्मान से नवाजेगी.

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करतार सिंह सौंखले

केंद्र सरकार ने उन्हें बांस की बेहतरीन कारीगरी के लिए पद्मश्री सम्मान देने का निर्णय लिया है. करतार सिंह सौंखले न केवल बांस की कारीगरी करते हैं, बल्कि उन्हें कांच की बोतलों के अंदर इस कारीगरी को एक स्वरूप देने में महारत हासिल है.

1959 में हमीरपुर जिला के नारा पंचायत के रटेहड़ा गांव में जन्मे करतार सिंह सौंखले बचपन से ही बांस की कारीगरी में रुचि रखते थे, लेकिन इस हुनर को उन्होंने वर्ष 2000 में कांच की बोतलों के अंदर बांस के जरिए उकेरना शुरू किया.

पूर्व राष्ट्रपति कलाम और पीएम मोदी की कलाकृतियां भी शामिल

उनकी इस अतुलनीय कार्यकारी को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. उनकी कांच की बोतलों की इन बांस की कलाकृतियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम की कलाकृतियां भी शामिल हैं.

NIT हमीरपुर से चीफ फार्मसिस्ट के पद से हुए हैं रिटायर

इसके अलावा एफिल टावर और कईं ऐतिहासिक धरोहरों और इमारतें भी उन्होंने अपनी कारीगरी के माध्यम से कांच की बोतलों में बांस के जरिए प्रदर्शित की हैं. वह एनआईटी हमीरपुर चीफ फार्मसिस्ट के पद से मार्च 2019 में सेवानिवृत्त हुए हैं.

उनकी प्रारंभिक शिक्षा गलोड़ स्कूल से पूरी हुई और इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन डिग्री कॉलेज बिलासपुर से पूरी की. इसके बाद फैमिली एंड वेलफेयर विभाग के अंतर्गत उन्होंने डी फार्मा की पढ़ाई भी पूरी की, लेकिन बांस की कारीगरी के हुनर को उन्होंने अपने अंदर जिंदा रखा और नौकरी के दौरान ही वह कलाकृतियां बनाने में जुट रहे.

अपने काम के लिए मिल चुके हैं कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड

करतार सिंह सौंखले अपने इन कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने के लिए भी नवाजे जा चुके हैं. एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें ग्रैंड मास्टर, इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें एक्सीलेंसी अवॉर्ड से सम्मानित किया है. वर्तमान समय में वह रंगस के समीप नौहगी में बस गए हैं.

उनकी कारीगरी इतनी महीन है कि उनके द्वारा बनाई गई कई कलाकृतियां तो ऐसे प्रतीत होती हैं जैसे उन्हें बोतल को काट कर उसके अंदर डाला गया हो. कलाकृतियां भी ऐसी की बस उन्हें नजरें भर-भर कर देखते रहें.

क्या आपने कभी ऐसी भी कल्पना की है कि दुनिया की सभी मशहूर चीजें बोतल के अंदर एफिल टावर हो, बंद बोतल के अंदर नाव या फिर बोतल के अंदर घर हो, ये सब कर दिखाया है हमीरपुर के निवासी करतार सिंह सौंखले ने और अब केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चुना है. 26 जनवरी को उनके नाम की घोषणा की गई है.

ये भी पढ़ेंः डॉ. परमार के बिना अधूरी है हिमाचल के निर्माण से लेकर विकास की हर कहानी

हिमाचल प्रदेश/ हमीरपुर: लोहड़ी के पर्व पर जलने वाले लकड़ी के ठूंठ को दहाड़ता शेर बना कर दसवीं कक्षा के बच्चे ने अपने सपनों को नया आयाम दिया था. यह वो पहले कलाकृति थी जो आज के पद्मश्री सम्मान 2021 के लिए चयनित हमीरपुर के निवासी करतार सिंह सौंखले ने एक बाल कलाकार के रूप में बनाई थी.

परसमराम सौंखले को पद्मश्री से सम्मानित

इसके बाद सफर शुरू हुआ इन कलाकृतियों को बोतल में उतारने का. एक शौक से पदम श्री तक पहुंचने का सफर किसी सिफारिश का नहीं, बल्कि सालों से चल रही एक कलाकार की तपस्या का ही नतीजा था.

साल 2016 में बीमारी ने करतार सिंह को घेर लिया, लेकिन यह मुश्किल उनके लिए चुनौती नहीं बल्कि अवसर ही साबित हुई. उन्होंने बीमारी को कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत बना कर अपनी दोगुना क्षमता के साथ कारीगरी को और समय देना शुरू किया.

आधी रात को आंख खुलने पर बोतल में महीन कारीगरी कर अपनी सोच को एक स्वरूप देना इनके लिए एक रूटीन ही है. करतार सिंह सौंखले को बांस की कारीगरी के लिए केंद्र सरकार पद्मश्री के सर्वोच्च सम्मान से नवाजेगी.

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करतार सिंह सौंखले

केंद्र सरकार ने उन्हें बांस की बेहतरीन कारीगरी के लिए पद्मश्री सम्मान देने का निर्णय लिया है. करतार सिंह सौंखले न केवल बांस की कारीगरी करते हैं, बल्कि उन्हें कांच की बोतलों के अंदर इस कारीगरी को एक स्वरूप देने में महारत हासिल है.

1959 में हमीरपुर जिला के नारा पंचायत के रटेहड़ा गांव में जन्मे करतार सिंह सौंखले बचपन से ही बांस की कारीगरी में रुचि रखते थे, लेकिन इस हुनर को उन्होंने वर्ष 2000 में कांच की बोतलों के अंदर बांस के जरिए उकेरना शुरू किया.

पूर्व राष्ट्रपति कलाम और पीएम मोदी की कलाकृतियां भी शामिल

उनकी इस अतुलनीय कार्यकारी को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. उनकी कांच की बोतलों की इन बांस की कलाकृतियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम की कलाकृतियां भी शामिल हैं.

NIT हमीरपुर से चीफ फार्मसिस्ट के पद से हुए हैं रिटायर

इसके अलावा एफिल टावर और कईं ऐतिहासिक धरोहरों और इमारतें भी उन्होंने अपनी कारीगरी के माध्यम से कांच की बोतलों में बांस के जरिए प्रदर्शित की हैं. वह एनआईटी हमीरपुर चीफ फार्मसिस्ट के पद से मार्च 2019 में सेवानिवृत्त हुए हैं.

उनकी प्रारंभिक शिक्षा गलोड़ स्कूल से पूरी हुई और इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन डिग्री कॉलेज बिलासपुर से पूरी की. इसके बाद फैमिली एंड वेलफेयर विभाग के अंतर्गत उन्होंने डी फार्मा की पढ़ाई भी पूरी की, लेकिन बांस की कारीगरी के हुनर को उन्होंने अपने अंदर जिंदा रखा और नौकरी के दौरान ही वह कलाकृतियां बनाने में जुट रहे.

अपने काम के लिए मिल चुके हैं कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड

करतार सिंह सौंखले अपने इन कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने के लिए भी नवाजे जा चुके हैं. एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें ग्रैंड मास्टर, इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें एक्सीलेंसी अवॉर्ड से सम्मानित किया है. वर्तमान समय में वह रंगस के समीप नौहगी में बस गए हैं.

उनकी कारीगरी इतनी महीन है कि उनके द्वारा बनाई गई कई कलाकृतियां तो ऐसे प्रतीत होती हैं जैसे उन्हें बोतल को काट कर उसके अंदर डाला गया हो. कलाकृतियां भी ऐसी की बस उन्हें नजरें भर-भर कर देखते रहें.

क्या आपने कभी ऐसी भी कल्पना की है कि दुनिया की सभी मशहूर चीजें बोतल के अंदर एफिल टावर हो, बंद बोतल के अंदर नाव या फिर बोतल के अंदर घर हो, ये सब कर दिखाया है हमीरपुर के निवासी करतार सिंह सौंखले ने और अब केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चुना है. 26 जनवरी को उनके नाम की घोषणा की गई है.

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