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मदनवाड़ा नक्सली हमले पर न्यायिक आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट ,एसपी समेत 29 जवान हुए थे शहीद

मदनवाड़ा नक्सली हमले पर जस्टिस शंभू नाथ श्रीवास्तव ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. आपको बता दें कि इस नक्सली हमले में राजनांदगांव के एसपी विनोद चौबे समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे.

मदनवाड़ा नक्सली हमला
मदनवाड़ा नक्सली हमला
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Published : Feb 1, 2022, 9:48 PM IST

रायपुर: 12 जुलाई साल 2009 को राजनांदगांव के मदनवाड़ा में नक्सली हमला हुआ था. इस नक्सली हमले में एसपी समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस मामले की जांच में हो रहे लेटलतीफी को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था. आयोग ने 12 साल पुराने मदनवाड़ा कांड की जांच पूरी कर ली है. न्यायिक जांच आयोग ने आज मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. जानकारी के मुताबिक आयोग ने कुल 9 बिंदुओं पर जांच किया है. इस मामले में कांग्रेस ने तत्कालीन सरकार को जमकर घेरने की कोशिश की थी. चूंकि यह पहला मामला था, जब किसी नक्सली हमले में एसपी की शहादत हुई थी.

एसपी विनोद चौबे समेत 29 जवान हुए थे शहीद

इस नक्सली हमले में राजनांदगांव के एसपी विनोद चौबे समेत 29 जवान शहीद हुए थे. जिसमें 25 जवान कोरकोटी के जंगल में, दो जवान मदनवाडा मे शहीद हो गए थे. वहीं शहीदों के शव को लाते वक्त नक्सलियों ने एंबुश लगाकर 2 जवानों को भी शहीद कर दिया था.

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वरिष्ठ अफसरों की भूमिका पर उठे थे सवाल

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मदनवाड़ा हमले की न्यायिक जांच की बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कही थी. शहीद एसपी विनोद चौबे की पत्नी ने भी न्यायिक जांच की मांग की थी. जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने 19 जनवरी 2019 को न्यायिक जांच आयोग का गठन किया. जिसका अध्यक्ष जस्टिस शंभू नाथ श्रीवास्तव को बनाया गया. इस मामले में राजनांदगांव जिले के मानपुर थाने में अपराध पंजीबद्ध किया गया था. वहीं इस हमले के बाद कुछ वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे थे. माना जा रहा है कि आयोग द्वारा इस मामले की जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर कुछ बड़े अधिकारियों की जिम्मेदारी को लेकर टिप्पणी जरूर की गई होगी. साथ ही कुछ और बड़े खुलासे भी रिपोर्ट में हो सकते हैं.

मदनवाड़ा मुठभेड़: शहादत के 12 साल बाद शहीद संतराम साहू के स्मारक का हुआ अनावरण

आयोग ने 9 बिंदुओं पर जांच पूरी की है

  • यह घटना किन परिस्थितियों में हुई थी?
  • क्या घटना को घटित होने से बचाया जा सकता था?
  • क्या सुरक्षा की निर्धारित प्रक्रियाओं और निर्देशों का पालन किया गया था?
  • किन परिस्थितियों में एसपी और अन्य सुरक्षा बलों को उस अभियान में भेजा गया?
  • एसपी और जवानों के एंबुश में फंसने पर क्या अतिरिक्त बल उपलब्ध कराया गया, अगर हां तो स्पष्ट करना है?
  • मुठभेड़ में माओवादियों को हुए नुकसान और उनके मरने और घायल होने की जांच?
  • सुरक्षाबलों के जवान किन परिस्थितियों में शहीद हुए अथवा घायल हुए?
  • घटना से पहले, उसके दौरान और बाद के मुद्दे जो उससे संबंधित हो?
  • क्या राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों के बीच समुचित समन्वय रहा है?

रायपुर: 12 जुलाई साल 2009 को राजनांदगांव के मदनवाड़ा में नक्सली हमला हुआ था. इस नक्सली हमले में एसपी समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस मामले की जांच में हो रहे लेटलतीफी को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था. आयोग ने 12 साल पुराने मदनवाड़ा कांड की जांच पूरी कर ली है. न्यायिक जांच आयोग ने आज मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. जानकारी के मुताबिक आयोग ने कुल 9 बिंदुओं पर जांच किया है. इस मामले में कांग्रेस ने तत्कालीन सरकार को जमकर घेरने की कोशिश की थी. चूंकि यह पहला मामला था, जब किसी नक्सली हमले में एसपी की शहादत हुई थी.

एसपी विनोद चौबे समेत 29 जवान हुए थे शहीद

इस नक्सली हमले में राजनांदगांव के एसपी विनोद चौबे समेत 29 जवान शहीद हुए थे. जिसमें 25 जवान कोरकोटी के जंगल में, दो जवान मदनवाडा मे शहीद हो गए थे. वहीं शहीदों के शव को लाते वक्त नक्सलियों ने एंबुश लगाकर 2 जवानों को भी शहीद कर दिया था.

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वरिष्ठ अफसरों की भूमिका पर उठे थे सवाल

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मदनवाड़ा हमले की न्यायिक जांच की बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कही थी. शहीद एसपी विनोद चौबे की पत्नी ने भी न्यायिक जांच की मांग की थी. जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने 19 जनवरी 2019 को न्यायिक जांच आयोग का गठन किया. जिसका अध्यक्ष जस्टिस शंभू नाथ श्रीवास्तव को बनाया गया. इस मामले में राजनांदगांव जिले के मानपुर थाने में अपराध पंजीबद्ध किया गया था. वहीं इस हमले के बाद कुछ वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे थे. माना जा रहा है कि आयोग द्वारा इस मामले की जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर कुछ बड़े अधिकारियों की जिम्मेदारी को लेकर टिप्पणी जरूर की गई होगी. साथ ही कुछ और बड़े खुलासे भी रिपोर्ट में हो सकते हैं.

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आयोग ने 9 बिंदुओं पर जांच पूरी की है

  • यह घटना किन परिस्थितियों में हुई थी?
  • क्या घटना को घटित होने से बचाया जा सकता था?
  • क्या सुरक्षा की निर्धारित प्रक्रियाओं और निर्देशों का पालन किया गया था?
  • किन परिस्थितियों में एसपी और अन्य सुरक्षा बलों को उस अभियान में भेजा गया?
  • एसपी और जवानों के एंबुश में फंसने पर क्या अतिरिक्त बल उपलब्ध कराया गया, अगर हां तो स्पष्ट करना है?
  • मुठभेड़ में माओवादियों को हुए नुकसान और उनके मरने और घायल होने की जांच?
  • सुरक्षाबलों के जवान किन परिस्थितियों में शहीद हुए अथवा घायल हुए?
  • घटना से पहले, उसके दौरान और बाद के मुद्दे जो उससे संबंधित हो?
  • क्या राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों के बीच समुचित समन्वय रहा है?
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