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Chaturmas Paryushan Parv 2023: चातुर्मास पर्युषण पर्व का क्या है महत्व , क्यों इस पर्व में 84 लाख जीवों से मांगी जाती है क्षमा याचना

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Published : Aug 19, 2023, 9:57 PM IST

Chaturmas Paryushan Parv 2023 जैन समाज में चातुर्मास पर्युषण पर्व का बड़ा महत्व है. यह पर्व जप, तप और आराधना के लिए जाना जाता है. इस दिन 84 लाख जीवों से जैन धर्म के लोग क्षमा मांगते हैं. Importance Of Chaturmas Paryushan festival

Chaturmas Paryushan Parv 2023
चातुर्मास पर्युषण पर्व का क्या है महत्व
चातुर्मास पर्युषण पर्व का क्या है महत्व

रायपुर: जैन समाज का चातुर्मास पर्युषण पर्व का समय चल रहा है. इस पर्व पर देश के कई जगहों पर आयोजन किया गया है. रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में चातुर्मास पर्युषण का पर्व मनाया जा रहा है. यह पर्व बारिश के समय में मनाया जाता है. जैन धर्म के जानकारों के मुताबिक इस पर्युषण पर्व में जीवों की उत्पति अधिक होती है. ऐसे समय में जैन समाज के लोग जप तप और आराधना करते हैं. जैन समाज के आराध्य देव भगवान महावीर स्वामी के द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार साधु और साध्वियों को स्थिरता बनाकर एक ही स्थान पर धर्म की आराधना करनी होती है. रायपुर के जैन दादाबाड़ी में 13 अगस्त से 20 अगस्त तक पर्युषण पर्व का आयोजन किया गया है. जिसमें नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्री के द्वारा प्रवचन दिया जा रहा है.

जीवों को क्षमा करने की परंपरा: चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर ने बताया कि "13 अगस्त से 20 अगस्त तक 8 दिनों तक राजधानी के एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में चातुर्मास पर्युषण पर्व का आयोजन किया गया है. जिसका समापन 20 अगस्त रविवार को होगा. इसके साथ ही शहर के विवेकानंद नगर में भी चातुर्मास पर्युषण पर्व का आयोजन चल रहा है. उन्होंने बताया कि 84 लाख जीवों से क्षमा मांगने का महापर्व है. जैन धर्म में सबसे बड़ा मूल कर्तव्य अहिंसा परमो धर्म है. जीवों को अभयदान देते हैं. समाज में महिला और पुरुष 84 लाख जीवों को अभय दान देते हुए क्षमा मांगते हैं. क्षमा वीरस्य भूषणम, क्षमा पर्व का यही संदेश है, क्षमा करने वाला महान होता है. क्षमा करने वाला मोक्ष की ओर अग्रसर होता है."

"चातुर्मास 3 तरह के होते हैं. जिसमें वर्षा काल में मनाए जाने वाले चातुर्मास पर्युषण पर्व में जीवो की उत्पत्ति अधिक होती है. इस वजह से भगवान महावीर स्वामी द्वारा जैन समाज के सभी साधु और साध्वियों को स्थिरता बनाकर एक ही स्थान पर अपने धर्म की आराधना करनी होती है"- पारस जैन, उपाध्यक्ष, चातुर्मास समिति

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चातुर्मास पर्युषण पर्व का आखिरी संवत्सर महापर्व आठवें दिन रविवार को मनाया जाएगा. इस पर्व में जैन धर्म के लोग दूर दूर से शामिल होने के लिए रायपुर के जैन दादाबाड़ी में पहुंच रहे हैं.

चातुर्मास पर्युषण पर्व का क्या है महत्व

रायपुर: जैन समाज का चातुर्मास पर्युषण पर्व का समय चल रहा है. इस पर्व पर देश के कई जगहों पर आयोजन किया गया है. रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में चातुर्मास पर्युषण का पर्व मनाया जा रहा है. यह पर्व बारिश के समय में मनाया जाता है. जैन धर्म के जानकारों के मुताबिक इस पर्युषण पर्व में जीवों की उत्पति अधिक होती है. ऐसे समय में जैन समाज के लोग जप तप और आराधना करते हैं. जैन समाज के आराध्य देव भगवान महावीर स्वामी के द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार साधु और साध्वियों को स्थिरता बनाकर एक ही स्थान पर धर्म की आराधना करनी होती है. रायपुर के जैन दादाबाड़ी में 13 अगस्त से 20 अगस्त तक पर्युषण पर्व का आयोजन किया गया है. जिसमें नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्री के द्वारा प्रवचन दिया जा रहा है.

जीवों को क्षमा करने की परंपरा: चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर ने बताया कि "13 अगस्त से 20 अगस्त तक 8 दिनों तक राजधानी के एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में चातुर्मास पर्युषण पर्व का आयोजन किया गया है. जिसका समापन 20 अगस्त रविवार को होगा. इसके साथ ही शहर के विवेकानंद नगर में भी चातुर्मास पर्युषण पर्व का आयोजन चल रहा है. उन्होंने बताया कि 84 लाख जीवों से क्षमा मांगने का महापर्व है. जैन धर्म में सबसे बड़ा मूल कर्तव्य अहिंसा परमो धर्म है. जीवों को अभयदान देते हैं. समाज में महिला और पुरुष 84 लाख जीवों को अभय दान देते हुए क्षमा मांगते हैं. क्षमा वीरस्य भूषणम, क्षमा पर्व का यही संदेश है, क्षमा करने वाला महान होता है. क्षमा करने वाला मोक्ष की ओर अग्रसर होता है."

"चातुर्मास 3 तरह के होते हैं. जिसमें वर्षा काल में मनाए जाने वाले चातुर्मास पर्युषण पर्व में जीवो की उत्पत्ति अधिक होती है. इस वजह से भगवान महावीर स्वामी द्वारा जैन समाज के सभी साधु और साध्वियों को स्थिरता बनाकर एक ही स्थान पर अपने धर्म की आराधना करनी होती है"- पारस जैन, उपाध्यक्ष, चातुर्मास समिति

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चातुर्मास पर्युषण पर्व का आखिरी संवत्सर महापर्व आठवें दिन रविवार को मनाया जाएगा. इस पर्व में जैन धर्म के लोग दूर दूर से शामिल होने के लिए रायपुर के जैन दादाबाड़ी में पहुंच रहे हैं.

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