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छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा: आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम की महिलांए जो बनी जरुरतमंदों का सहारा

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Published : Oct 25, 2020, 7:54 PM IST

नवरात्र के आखिरी दिन कहानी आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम के लेडीज विंग की, जिन्होंने कोरोना संकट के दौरान मुश्किल हालातों का सामना करते हुए मजदूरों और जरुरतमंदों की मदद की. उनतक भोजन और कच्चा राशन पहुंचाया. छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा में आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम की महिलांओं पर खास रिपोर्ट..

Anand Marg Universal Relief Team
छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा

रायपुर: शारदीय नवरात्र का आज 9वां दिन है. ETV भारत लगातार ऐसी महिलाओं से आप सभी को रूबरू करा रहा है, जिन्होंने कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान समाज की बेहतरी के लिए काम किया. इसी कड़ी में ETV भारत आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम के लेडी विंग की महिलाओं से मिलवाने जा रहा है. जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों तक भोजन और कच्चा राशन पहुंचाया.

छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा

टीम की सदस्य सुप्रिया चंद्राकर ने बताया कि महिलाओं के लिए खास तौर पर यह दिक्कत वाली बात होती है कि उन्हें घर भी देखना होता है और बाहर का काम भी करना होता था. लॉकडाउन के दौरान हमारी महिला साथियों ने उत्साह के साथ काम किया. वे घर का भी काम करती थी और जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन भी बनाती थी. सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए और सेफ्टी के साथ भोजन बनाया और लोगों तक भोजन बांटने का काम किया.

पढ़ें-छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा: पूनम अग्रवाल बनीं कोरोना काल में भूखे-प्यासों का सहारा

किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा ?

आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम मालती परगनिहा ने बताया के लॉकडाउन का समय था और कोरोना संक्रमण के दौरान घरों से निकलकर बाहर काम करना चैलेंजिंग था. घर के लोग चिंतित रहते थे, लेकिन फिर भी हमारी महिलाओं ने इस दौरान काम किया. लोगों के लिए खाना बनाकर पैकेट्स बांटे और जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाया.

लॉकडाउन के दौरान व्यवस्थाएं

टीम की सदस्य संगीता सोनी ने बताया कि हमारी टीम के सभी सदस्यों ने रुपये दिए और राशि एकत्र की, लोगों से कलेक्शन किया गया. रोजाना 300 लोगों तक पका हुआ भोजन पहुंचाया जाता था. साथ ही रोजाना 70 से 80 परिवारों के लिए राशन किट का वितरण किया जाता था. जरुरतमंदों की सेवा करके उन्हें बहुत आनंद मिला. उस दौरान उन्हें कोरोना संक्रमण का डर लगा रहता था, लेकिन ईश्वर पर विश्वास था कि उन्हें कुछ नहीं होगा.

पढ़ें-छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा: डॉ. ललिता शर्मा जिन्होंने कोरोना संक्रमितों को डर से लड़ना सिखाया

खाना मिलते ही खुश हो जाते थे लोग

आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम की सदस्य गंगा श्रीवासन ने बताया लॉकडाउन के दौरान होटल और रेस्टोरेंट बंद थे. अस्पतालों में इलाज कराने पहुंच रहे लोगों के परिजनों को बेहद परेशानी हो रही थी. इन लोगों ने उन तक भोजन पहुंचाने का काम किया. जब लोगों को खाना मिलता है तो वे बेहद खुश हो जाते थे.

लॉकडाउन के दौरान आपकी टीम की क्या रही भूमिका?

आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम की सदस्य सुचिलेखा आचार्य ने बताया कि लॉकडाउन में महिलाओं ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है और सभी क्षेत्र में महिलाओं ने काम किया है. मुश्किल हालातों में काम करना चैलेंजिंग था. लेकिन सभी महिलाओं ने उस चैलेंज को बखूबी पूरा किया. रायपुर के अलावा आसपास के गांव में जाकर भी लोगों तक राशन पहुंचाया गया है. साथी महिलाओं ने अपनी हर जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए लोगों की सेवा की है.

पढ़ें-मातृ शक्ति को नमन: डर के बीच में कोरोना को हराने का जुनून लेकर कोविड वार्ड में उतरी फ्रंटलाइन वॉरियर अभिलाषा

महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को कैसे रोकें?

टीम की सदस्य मालती कहती हैं, अक्सर कहा जाता है समाज में महिलाओं को ऊंचा दर्जा प्राप्त है, लेकिन आज भी महिलाएं घर में ही प्रताड़ित होती हैं. इसका मुख्य कारण नशा है. नशे के कारण ही महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं. नवरात्रि के मौके पर 9 दिन भक्ति भाव से महिलाओं को पूजा जाता है, लेकिन अन्य दिन न जाने कितनी महिलाएं शोषण का शिकार होती हैं. महिलाओं को आगे लाने के लिए समाज को भी सोचना होगा. साथ ही महिलाओं को खुद आत्मनिर्भर बनने के लिए आगे आना पड़ेगा.

रायपुर: शारदीय नवरात्र का आज 9वां दिन है. ETV भारत लगातार ऐसी महिलाओं से आप सभी को रूबरू करा रहा है, जिन्होंने कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान समाज की बेहतरी के लिए काम किया. इसी कड़ी में ETV भारत आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम के लेडी विंग की महिलाओं से मिलवाने जा रहा है. जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों तक भोजन और कच्चा राशन पहुंचाया.

छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा

टीम की सदस्य सुप्रिया चंद्राकर ने बताया कि महिलाओं के लिए खास तौर पर यह दिक्कत वाली बात होती है कि उन्हें घर भी देखना होता है और बाहर का काम भी करना होता था. लॉकडाउन के दौरान हमारी महिला साथियों ने उत्साह के साथ काम किया. वे घर का भी काम करती थी और जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन भी बनाती थी. सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए और सेफ्टी के साथ भोजन बनाया और लोगों तक भोजन बांटने का काम किया.

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किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा ?

आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम मालती परगनिहा ने बताया के लॉकडाउन का समय था और कोरोना संक्रमण के दौरान घरों से निकलकर बाहर काम करना चैलेंजिंग था. घर के लोग चिंतित रहते थे, लेकिन फिर भी हमारी महिलाओं ने इस दौरान काम किया. लोगों के लिए खाना बनाकर पैकेट्स बांटे और जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाया.

लॉकडाउन के दौरान व्यवस्थाएं

टीम की सदस्य संगीता सोनी ने बताया कि हमारी टीम के सभी सदस्यों ने रुपये दिए और राशि एकत्र की, लोगों से कलेक्शन किया गया. रोजाना 300 लोगों तक पका हुआ भोजन पहुंचाया जाता था. साथ ही रोजाना 70 से 80 परिवारों के लिए राशन किट का वितरण किया जाता था. जरुरतमंदों की सेवा करके उन्हें बहुत आनंद मिला. उस दौरान उन्हें कोरोना संक्रमण का डर लगा रहता था, लेकिन ईश्वर पर विश्वास था कि उन्हें कुछ नहीं होगा.

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खाना मिलते ही खुश हो जाते थे लोग

आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम की सदस्य गंगा श्रीवासन ने बताया लॉकडाउन के दौरान होटल और रेस्टोरेंट बंद थे. अस्पतालों में इलाज कराने पहुंच रहे लोगों के परिजनों को बेहद परेशानी हो रही थी. इन लोगों ने उन तक भोजन पहुंचाने का काम किया. जब लोगों को खाना मिलता है तो वे बेहद खुश हो जाते थे.

लॉकडाउन के दौरान आपकी टीम की क्या रही भूमिका?

आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम की सदस्य सुचिलेखा आचार्य ने बताया कि लॉकडाउन में महिलाओं ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है और सभी क्षेत्र में महिलाओं ने काम किया है. मुश्किल हालातों में काम करना चैलेंजिंग था. लेकिन सभी महिलाओं ने उस चैलेंज को बखूबी पूरा किया. रायपुर के अलावा आसपास के गांव में जाकर भी लोगों तक राशन पहुंचाया गया है. साथी महिलाओं ने अपनी हर जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए लोगों की सेवा की है.

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महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को कैसे रोकें?

टीम की सदस्य मालती कहती हैं, अक्सर कहा जाता है समाज में महिलाओं को ऊंचा दर्जा प्राप्त है, लेकिन आज भी महिलाएं घर में ही प्रताड़ित होती हैं. इसका मुख्य कारण नशा है. नशे के कारण ही महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं. नवरात्रि के मौके पर 9 दिन भक्ति भाव से महिलाओं को पूजा जाता है, लेकिन अन्य दिन न जाने कितनी महिलाएं शोषण का शिकार होती हैं. महिलाओं को आगे लाने के लिए समाज को भी सोचना होगा. साथ ही महिलाओं को खुद आत्मनिर्भर बनने के लिए आगे आना पड़ेगा.

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