रायपुर: कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद डिस्चार्ज होने वाले ज्यादातर मरीजों में डायबिटीज के साथ अन्य बीमारियां भी देखने को मिल रही है. ऐसे में कोविड से रिकवरी होने के बाद किस तरह की सावधानियां बरतनी है ? इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मधुमेह (Diabetes) रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सत्यजीत साहू से खास बातचीत की.
सवाल- कोविड से ठीक होने वाले मरीजों को कई बीमारियां भी हो रही है. ऐसे में उन्हें क्या सावधनियां बरतनी चाहिए ?
जवाब- डॉ. सत्यजीत साहू ने कहा कि कोरोना से ठीक होकर जो मरीज घर जाते हैं, उन्हें अस्पताल में बताए गए निर्देशों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है. जो दवाइयां स्टेप डाउन हो रही है उसे आवश्यक रूप से खाना जरूरी है. कोविड से रिकवर होने वाले मरीजों में देखा गया है कि कमजोरी ज्यादा रहती है. इस दौरान मरीजों को आराम करने की जरूरत होती है. गर्मी के दिनों में इलेक्ट्रॉल पाउडर, नींबू पानी, जलजीरा जैसी चीजें ज्यादा पीना चाहिए. ताकि गर्मी के दिनों में शरीर में जो एक्सट्रा साल्ट की जरूरत होती है उसकी पूर्ति हो पाए. नियमित रूप से पानी पीना चाहिए. सुपाच्य भोजन करना भी जरूरी है.
सवाल- वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद जिन्हें कोरोना हुआ, ठीक होने के बाद उन्हें सेकंड डोज कब लगवानी चाहिए ?
जवाब- कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगती है, उस दौरान उन्हें 2 डोज की जानकारी दी जाती है. पहली डोज लगने के बाद यदि कोई संक्रमित होता है तो ऐसी स्थिति में मरीज के रिकवर होने के 3 सप्ताह बाद सेकेंड डोज लगवाना चाहिए. देखा गया है कि कई बार मरीज 10 दिन में ठीक हो जाते हैं. जब मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ महसूस करें उसके 3 हफ्ते बाद ही वैक्सीन लगाना चाहिए. डॉक्टर ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में कमजोरी होती है. पोस्ट कोविड री-इंफेक्शन की संभावना कम होती है. ऐसे मरीज पूरी तरह से ठीक होने के 3 सप्ताह बाद वैक्सीनेशन का पहला डोज लगवा सकते हैं.
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सवाल- कोरोना से स्वस्थ होने वाले मरीजों को डायबिटीज की समस्या ज्यादा आ रही है. उनका शुगर लेवल हाई हो रहा है. ऐसे में किस तरह शुगर लेवल कंट्रोल किया जा सकता है ?
जवाब- कोरोना के दौरान डायबिटीक मरीजों का शुगर लेवल ज्यादा बिगड़ जाता है. ऐसी अवस्था में मरीज अपने डॉक्टर से संपर्क करें. क्योंकि कोविड की स्थिति में शुगर का लेवल ज्यादा होना हानिकारक है. ऐसे मरीज जो कोरोना का इलाज अस्पतालों में करवा रहे हैं या भर्ती हैं. कई बार मरीज की जान बचाने के लिए उन्हें एस्ट्रॉइड देना पड़ता है. उसके प्रभाव से भी शुगर लेवल बढ़ जाता है. ऐसी अवस्था में शुगर लेवल मॉनिटरिंग करते रहें. डॉक्टर से संपर्क करें और अपने डॉक्टर से डोज के बारे में चर्चा करें.
सवाल- गर्भवती महिलाएं भी कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित हुई है. ऐसे में उन्हें किस तरह से केयर करनी चाहिए ?
जवाब- डॉक्टर सत्यजीत ने बताया कि कोविड का असर जानलेवा है. ज्यादातर दवाइयों के थोड़े बहुत साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. कोविड जानलेवा है, ऐसे में तमाम विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही दवाई लेनी चाहिए.
सवाल- लोगों की टेस्ट रिपोर्ट देरी से आ रही है, बचाव के लिए प्रारंभिक उपचार की जरूरत है ?
जवाब- जिन मरीजों को कोविड-19 जैसे लक्षण हैं, उन्हें संक्रमण की रोकथाम के लिए दवाइयां लेनी चाहिए. छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में रिपोर्ट का इंतजार किए बिना दवाइयां दी गई है. ऐसी जगहों पर रिजल्ट बहुत अच्छे आए हैं. जहां सामान्य लक्षण में ही पहले से दवाई दे दी गई हैं. वहां ऑक्सीजन बेड वाले मरीजों की संख्या में कमी आई है. मृत्यु दर में कमी आई है. वहीं हॉस्पिटलाइजेशन के रेट में भी कमी आई हैं. डॉक्टर ने लोगों को सलाह दी है कि यदि कोरोना के हल्के लक्षण दिख रहे हैं तो घरेलू उपचार के अलावा संक्रमण की रोकथाम के लिए दवाइयों का इस्तेमाल करना कारगर है.
सवाल- आम जनता को क्या संदेश देना चाहेंगे ?
जवाब- डॉक्टर सत्यजीत साहू ने कहा कि अभी की स्थिति ठीक नहीं है. इस समस्या का हमें मजबूती से सामना करना होगा. कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे फ्रंटलाइन वर्कर का सहयोग करें. सकारात्मक माहौल बनाकर रखें. ताकि इस महामारी पर हम विजय प्राप्त कर सकें.