रायपुर/हैदराबाद: बाघ के बिना जंगल की कल्पना नहीं की जा सकती है. बाघ एक ऐसा जानवर है जिससे वन एवं पर्यावरण का पारिस्थितिकी तंत्र सुचारु रूप से चलता है. जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और विविधता को बनाए रखने में बाघ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता (international tiger day 2022) है. बाघ जंगल का प्रमुख शिकारी जानवर है. जो खाद्य श्रंखला में सबसे ऊपर (world tiger day 2022) है. साथ ही जंगल की आबादी को संतुलित रखने में इनका अहम योगदान है. लेकिन विश्व में घटते बाघों की संख्या का प्रमुख कारण है बाघ के अंगो की महत्ता (importance of World Tiger Day). जिसके चलते बाघों का शिकार और उनके आंगों का अवैध व्यापार बढ़ने लगा. जिसका परिणाम यह हुआ कि बाघों के विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगा.
क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: विश्व बाघ दिवस महत्वपूर्ण है. क्योंकि विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अनुसार विश्व स्तर पर केवल 3900 जंगली बाघ मौजूद हैं. दुर्भाग्य से बाघ उन प्रजातियों में से एक हैं, जो विलुप्त होने के कगार पर हैं. इसलिए हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. इसका एकमात्र लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना है और बाघ संरक्षण के मुद्दों के लिए जन जागरूकता और समर्थन बढ़ाना (WORLD TIGER DAY 2022) है.
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास: 29 जुलाई 2010 की तारीख ऐतिहासिक है. क्योंकि इस दिन कई देशों ने मिलकर रूस में आयोजित सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. यह समझौता विश्व स्तर पर बाघों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बाघों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण के लिए था. साथ ही विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने घोषणा किया कि बाघों के आबादी वाले देश वर्ष 2022 के अंत तक बाघों की आबादी को दोगुना ( International Tiger Day celebrated) करेंगे. तब से लगातार अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है.
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बाघों की प्रजातियां, जो विलुप्त हो चुकी हैं: बाघ की विभिन्न प्रजाति है. कई रंगों के बाघ होते हैं. जैसे सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ, काली धारियों वाला सफेद बाघ और गोल्डन टाइगर. अब तक बाघों की विलुप्त हो चुकी ये चार प्रजातियां हैं - बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर और टाइगर हाइब्रिड .
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2022 क्यों है खास: भारत ने बाघों की आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया हैं. साथ ही 13 टाइगर रेंज वाले देशों ने 2022 तक जंगली बाघों की संख्या को दोगुना करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है. IUCN महाद्वीपीय बाघ और सुंडा द्वीप बाघ को बाघ की उप-प्रजाति के रूप में मान्यता देता है. WWF का लक्ष्य 2022 में जंगली बाघों की संख्या को दोगुना करना है. 29 जुलाई 2010 में कई देशों ने मिलकर रूस में आयोजित सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में इस समझौते पर हस्ताक्षर किया था.