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खतरनाक हो सकता है डेल्टा प्लस वेरिएंट, सावधानी ही है उपाय

देश में डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) का खतरा तेजी से मंडरा रहा है. माना जा रहा है कि ये वेरिएंट तेजी से फैलने वाला है. फिलहाल पूरे देश में डेल्टा प्लस वैरिएंट के 60 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं. पिछले एक हफ्ते में महाराष्ट्र में 14 नए मामले इस वैरिएंट के सामने आए हैं. हालांकि अभी तक छत्तीसगढ़ में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मरीज (Delta Plus variant patients in Chhattisgarh) देखने को नहीं मिले हैं.

delta plus varient of corona
डेल्टा प्लस वेरिएंट की जानकारी
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Published : Jun 29, 2021, 10:28 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े (corona patients in chhattisgarh) तेजी से कम हो रहे हैं. वहीं अब देश में डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variants) का खतरा तेजी से मंडरा रहा है. माना जा रहा है कि ये वेरिएंट तेजी से फैलने वाला है. फिलहाल पूरे देश में डेल्टा प्लस वेरिएंट के 60 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं. पिछले एक हफ्ते में महाराष्ट्र में 14 नए मामले इस वेरिएंट के सामने आए हैं. हालांकि अभी तक छत्तीसगढ़ में डेल्टा प्लस वेरिएंट के मरीज (Delta Plus variant patients in Chhattisgarh) देखने को नहीं मिले हैं. इसको लेकर ETV भारत ने कोरोना ICU डिपार्टमेंट हेड ओपी सुंदरानी (OP Sundrani) से खास बातचीत की.

डेल्टा प्लस वेरिएंट की जानकारी

सवाल: क्या होता है डेल्टा प्लस वैरिएंट और ये कैसे होता है ये म्यूटेंट

जवाब: वायरस का बेसिक नेचर होता है म्यूटेंट होना. डेल्टा प्लस (Delta Plus) भी एक म्यूटेशन है. देश में हम शुरू से देख रहे हैं कि कोरोना पहले एक पैरंट वायरस था, जिसके बाद वह बार-बार म्यूटेशन हुआ. डेल्टा प्लस भी बाकी वेरिएंट के जैसे एक वेरिएंट है. लेकिन इसमें ये है कि इस वैरिएंट में एक इंसान से दूसरे इंसान तक फैलने की पॉसिबिलिटी ज्यादा है. तो अगर सावधानी नहीं बरती जाएगी तो संक्रमण के मामले ज्यादा देखने को मिलेंगे. दूसरा इसमें डिफरेंस ये है कि जो कोरोना के इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज एक प्रॉमिसी ट्रीटमेंट अभी साबित हो रहा था, अगर अर्ली स्टेज में शुरू किया जाए तो हो सकता है कि वह डेल्टा प्लस वेरीएंट के मरीजों पर काम नहीं करे. अभी इस पर रिसर्च चल रहा है. लेकिन हो सकता है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज के ट्रीटमेंट को स्किप कर जाए.

रायपुर में आपातकालीन चिकित्सा और काउंसलिंग के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति

सवाल: क्या सावधानी रखने की जरुरत है ?

जवाब: पहले भी कई तरह के वायरस हमें देखने को मिले हैं. सार्स और मार्स पहले भी आया. वह म्यूटेंट होकर कमजोर हो गया और चला गया. वायरस म्यूटेंट तो होगा लेकिन अगर हम उसे एप्रोप्रियेट होस्ट नहीं देंगे, यानी हम सभी लोग वायरस के लिए एक होस्ट का काम करते हैं. अगर मैं सावधानी बरतूंगा और वायरस को अपने अंदर मल्टीप्लाई नहीं होने दूंगा तो वायरस अपने आप में कमजोर होगा और मरीजो का नंबर भी कम होते जाएगा. वह अपने आप खत्म हो जाएगा. लेकिन जब भी हम वायरस को एप्रोप्रियेट होस्ट देंगे वह म्यूटेंट होकर मल्टीप्लाई होगा और अपना सिम्टम्स दिखाएगा. लेकिन ये हमारे उपर डिपेंड है कि, हम कितना प्रिकॉशन रखते हैं. हमारा बिहेवियर ये डिसाइड करेगा कि वायरस कितना म्यूटेंट होता है और कमजोर होता है.

बरतनी होगी सावधानी

अभी छत्तीसगढ़ में डेल्टा प्लस वेरिएंट का एक भी केस देखने को नहीं मिला है. इसका इलाज और ट्रीटमेंट सेम है. मैं यही सजेस्ट करूंगा कि कोविड को लेकर जो गाइडलाइन बनाई गई है उसे हमें फॉलो करना ही होगा. सावधानी हमें बरतनी ही होगी.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े (corona patients in chhattisgarh) तेजी से कम हो रहे हैं. वहीं अब देश में डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variants) का खतरा तेजी से मंडरा रहा है. माना जा रहा है कि ये वेरिएंट तेजी से फैलने वाला है. फिलहाल पूरे देश में डेल्टा प्लस वेरिएंट के 60 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं. पिछले एक हफ्ते में महाराष्ट्र में 14 नए मामले इस वेरिएंट के सामने आए हैं. हालांकि अभी तक छत्तीसगढ़ में डेल्टा प्लस वेरिएंट के मरीज (Delta Plus variant patients in Chhattisgarh) देखने को नहीं मिले हैं. इसको लेकर ETV भारत ने कोरोना ICU डिपार्टमेंट हेड ओपी सुंदरानी (OP Sundrani) से खास बातचीत की.

डेल्टा प्लस वेरिएंट की जानकारी

सवाल: क्या होता है डेल्टा प्लस वैरिएंट और ये कैसे होता है ये म्यूटेंट

जवाब: वायरस का बेसिक नेचर होता है म्यूटेंट होना. डेल्टा प्लस (Delta Plus) भी एक म्यूटेशन है. देश में हम शुरू से देख रहे हैं कि कोरोना पहले एक पैरंट वायरस था, जिसके बाद वह बार-बार म्यूटेशन हुआ. डेल्टा प्लस भी बाकी वेरिएंट के जैसे एक वेरिएंट है. लेकिन इसमें ये है कि इस वैरिएंट में एक इंसान से दूसरे इंसान तक फैलने की पॉसिबिलिटी ज्यादा है. तो अगर सावधानी नहीं बरती जाएगी तो संक्रमण के मामले ज्यादा देखने को मिलेंगे. दूसरा इसमें डिफरेंस ये है कि जो कोरोना के इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज एक प्रॉमिसी ट्रीटमेंट अभी साबित हो रहा था, अगर अर्ली स्टेज में शुरू किया जाए तो हो सकता है कि वह डेल्टा प्लस वेरीएंट के मरीजों पर काम नहीं करे. अभी इस पर रिसर्च चल रहा है. लेकिन हो सकता है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज के ट्रीटमेंट को स्किप कर जाए.

रायपुर में आपातकालीन चिकित्सा और काउंसलिंग के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति

सवाल: क्या सावधानी रखने की जरुरत है ?

जवाब: पहले भी कई तरह के वायरस हमें देखने को मिले हैं. सार्स और मार्स पहले भी आया. वह म्यूटेंट होकर कमजोर हो गया और चला गया. वायरस म्यूटेंट तो होगा लेकिन अगर हम उसे एप्रोप्रियेट होस्ट नहीं देंगे, यानी हम सभी लोग वायरस के लिए एक होस्ट का काम करते हैं. अगर मैं सावधानी बरतूंगा और वायरस को अपने अंदर मल्टीप्लाई नहीं होने दूंगा तो वायरस अपने आप में कमजोर होगा और मरीजो का नंबर भी कम होते जाएगा. वह अपने आप खत्म हो जाएगा. लेकिन जब भी हम वायरस को एप्रोप्रियेट होस्ट देंगे वह म्यूटेंट होकर मल्टीप्लाई होगा और अपना सिम्टम्स दिखाएगा. लेकिन ये हमारे उपर डिपेंड है कि, हम कितना प्रिकॉशन रखते हैं. हमारा बिहेवियर ये डिसाइड करेगा कि वायरस कितना म्यूटेंट होता है और कमजोर होता है.

बरतनी होगी सावधानी

अभी छत्तीसगढ़ में डेल्टा प्लस वेरिएंट का एक भी केस देखने को नहीं मिला है. इसका इलाज और ट्रीटमेंट सेम है. मैं यही सजेस्ट करूंगा कि कोविड को लेकर जो गाइडलाइन बनाई गई है उसे हमें फॉलो करना ही होगा. सावधानी हमें बरतनी ही होगी.

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