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sky diving: मिलिए रायपुर के इंद्रजीत से जिन्होंने 14 हजार फीट की ऊंचाई से 25 बार लगाई है छलांग - स्काइडाइविंग कैसे की जाती है

स्काइडाइविंग एक बेहद खतरनाक स्पोर्ट्स है, लेकिन आजकल के युवाओं में इसे लेकर काफी क्रेज है. स्काइडाइविंग का जुनून अब रायपुर के युवाओं में भी छाने लगा है. राजधानी के 25 वर्षीय युवा इंद्रजीत घोष ने अब तक 25 बार स्काइडाइविंग कर चुके हैं.

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मिलिए रायपुर के इंद्रजीत से
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Published : Aug 15, 2021, 4:14 PM IST

रायपुर: क्या आपने कभी स्काइडाइविंग के बारे में सुना है, अगर नहीं तो हम आपको इसके बारे में बताते हैं. स्काइडाइविंग एक बेहद खतरनाक स्पोर्ट्स है, लेकिन आजकल के युवाओं में इसे लेकर काफी क्रेज देखने को मिल रहा है. रिवर राफ्टिंग (River rafting), बंजी जंपिंग (Bungee jumping), स्काइडाइविंग (Skydiving) काफी खतरनाक खेल माने जाते हैं. फिर भी आज के युवा इसके बारे में जानने और इसे आजमाने को लेकर बेहद उत्सुक रहते हैं. स्काइडाइविंग का जुनून अब रायपुर के युवाओं में भी छाने लगा है. राजधानी के 25 वर्षीय युवा इंद्रजीत घोष ने अब तक 25 बार स्काइडाइविंग कर चुके हैं. इंद्रजीत ने ईटीवी भारत के साथ स्काइडाइविंग को लेकर जानकारी साझा की है.

मिलिए स्काइडाइवर रायपुर के इंद्रजीत से

सवाल- स्काइडाइविंग करना कितना खतरनाक है? इसमें किस तरह की चुनौतियां देखने को मिलती हैं?

जवाब- अगर हम स्काइडाइविंग को स्पोर्ट्स की तरह देखें तो यह क्रिकेट की तरह है. अगर क्रिकेट में बॉल मिस हो गई तो आप का विकेट चला जाता है. अगर स्काइडाइविंग में भी अलग कोई चीज मिस हो गई तो आपकी लाइफ जा सकती है. स्काइडाइविंग करने के लिए मेंटली बहुत स्ट्रांग रहना पड़ता है. फिजिकली तो स्ट्रांग होना ही रहता है. आपको हमेशा फिटनेस पर ध्यान देना पड़ता है. डाइट प्रॉपर मेंटेन रखनी पड़ेगी, लेकिन मेन मेंटल प्रेशर होता है. जब प्लेन 14000 फीट पर होता है और प्लेन का डोर खुलता है तो उस समय जो मेंटल ब्लॉकेज होता है. वह हटाना बहुत मुश्किल होता है. इसके लिए वही मेन चीज है. अगर आप अपने दिमाग पर काबू पा सकते हैं और स्टेबल रह सकते हैं तो आप इस तरीके के स्पोर्ट्स कर सकते हैं.

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सवाल: जिस वक्त एक स्काइडाइवर 14000- 15000 फीट से कूदता है. उस समय दिमाग में क्या चलता है?

जवाब: 14000 फीट एक नंबर लगता है. दरअसल जब 14000 फीट पर प्लेन का दरवाजा खुलता है तो पूरी जिंदगी सामने घूमने लगती है. उस समय सब कुछ स्लो हो जाता है. प्लेन से जंप लगाते समय डबल माइंड नहीं हो सकते. उस समय दिमाग 100% वर्क करना चाहिए. पता होना चाहिए कि हम क्या करने वाले हैं. उस समय आप की ट्रेनिंग बहुत काम आती है. ट्रेनिंग के समय दिमाग कैसे शांत रखें, यह सीखना बहुत जरूरी है. 14000 फिट से जंप के समय जो मेंटल प्रेशर होता है. वह हैंडल हो जाता है. जब आप 14000 फीट से प्लेन से कूद जाते हो तो आप वापस प्लेन में नहीं आ सकते. इसलिए आपको कूदते समय 100% तैयार रहना है. कूदने के बाद सबसे महत्वपूर्ण है कि अपने शरीर को हवा में बैलेंस करना. अगर आप हवा में डिसबैलेंस हो जाते हैं तो आप क्रश कर जाएंगे और जमीन पर जोर से गिरेंगे. जिससे मौत भी हो सकती है.

सवाल- इस तरह के स्पोर्ट्स में सेफ्टी बहुत जरूरी रहती है. किस तरह की सेफ्टी इस स्पोर्ट्स के लिए जरूरी है?

जवाब- स्काइडाइविंग करने से पहले मैंने रिवर राफ्टिंग, माउंटेन क्लाइंबिंग, बंजी जंप किया है. यह सारी चीजें कर पहले मैंने खुद को तैयार किया. मैंने इसके लिए कड़ी ट्रेनिंग ली. यह सारे खेल कर मैंने खुद को स्काइडाइविंग के लिए पहले तैयार किया है. सेफ्टी के लिए जब हम 14000 फीट पर स्काइडाइविंग करते हैं तो हमारे बैग में दो तरह के पैराशूट होते हैं. एक मेन पैराशूट होता है. दूसरा रिजर्व पैराशूट. अगर आप 2000 फीट के नीचे हो और आपका मेन पैराशूट नहीं खुल पाया है तो रिर्जव पैराशूट अपने आप खुल जाता है. जिससे लैंडिंग करते समय आपकी जान तो बच जाएगी, लेकिन रिजर्व पैराशूट देर से खुलने से आपके हाथ पैर भी टूट सकते हैं.

सवाल- स्काइडाइविंग के लिए आपका प्रेणास्रोत कौन रहा. घर से आपको किस तरह सपोर्ट मिला?

जवाब- मेरे पापा मसूरी में पढ़े हुए हैं. उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया. मेरे घर वालों ने कभी मुझे कुछ करने के लिए फोर्स नहीं किया. उनका कहना है कि तुम जो करना चाहो कर सकते हो. बस दिल लगाकर और जो सही लगता है वह करो. जब मैंने अपनी मां को पहली बार स्काइडाइविंग के बारे में बताया था तो वह काफी परेशान हो गई थी. लेकिन जब मैंने अपनी मम्मी को अच्छे से समझाया और कुछ वीडियोज दिखाएं तो वह इसके लिए मान गई. बाद में पापा-मम्मी दोनों का सपोर्ट मुझे मिला. मेरे दोस्तों से भी मुझे काफी मोटिवेशन मिला है. उन्होंने भी मुझे काफी सपोर्ट किया है.

रायपुर: क्या आपने कभी स्काइडाइविंग के बारे में सुना है, अगर नहीं तो हम आपको इसके बारे में बताते हैं. स्काइडाइविंग एक बेहद खतरनाक स्पोर्ट्स है, लेकिन आजकल के युवाओं में इसे लेकर काफी क्रेज देखने को मिल रहा है. रिवर राफ्टिंग (River rafting), बंजी जंपिंग (Bungee jumping), स्काइडाइविंग (Skydiving) काफी खतरनाक खेल माने जाते हैं. फिर भी आज के युवा इसके बारे में जानने और इसे आजमाने को लेकर बेहद उत्सुक रहते हैं. स्काइडाइविंग का जुनून अब रायपुर के युवाओं में भी छाने लगा है. राजधानी के 25 वर्षीय युवा इंद्रजीत घोष ने अब तक 25 बार स्काइडाइविंग कर चुके हैं. इंद्रजीत ने ईटीवी भारत के साथ स्काइडाइविंग को लेकर जानकारी साझा की है.

मिलिए स्काइडाइवर रायपुर के इंद्रजीत से

सवाल- स्काइडाइविंग करना कितना खतरनाक है? इसमें किस तरह की चुनौतियां देखने को मिलती हैं?

जवाब- अगर हम स्काइडाइविंग को स्पोर्ट्स की तरह देखें तो यह क्रिकेट की तरह है. अगर क्रिकेट में बॉल मिस हो गई तो आप का विकेट चला जाता है. अगर स्काइडाइविंग में भी अलग कोई चीज मिस हो गई तो आपकी लाइफ जा सकती है. स्काइडाइविंग करने के लिए मेंटली बहुत स्ट्रांग रहना पड़ता है. फिजिकली तो स्ट्रांग होना ही रहता है. आपको हमेशा फिटनेस पर ध्यान देना पड़ता है. डाइट प्रॉपर मेंटेन रखनी पड़ेगी, लेकिन मेन मेंटल प्रेशर होता है. जब प्लेन 14000 फीट पर होता है और प्लेन का डोर खुलता है तो उस समय जो मेंटल ब्लॉकेज होता है. वह हटाना बहुत मुश्किल होता है. इसके लिए वही मेन चीज है. अगर आप अपने दिमाग पर काबू पा सकते हैं और स्टेबल रह सकते हैं तो आप इस तरीके के स्पोर्ट्स कर सकते हैं.

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सवाल: जिस वक्त एक स्काइडाइवर 14000- 15000 फीट से कूदता है. उस समय दिमाग में क्या चलता है?

जवाब: 14000 फीट एक नंबर लगता है. दरअसल जब 14000 फीट पर प्लेन का दरवाजा खुलता है तो पूरी जिंदगी सामने घूमने लगती है. उस समय सब कुछ स्लो हो जाता है. प्लेन से जंप लगाते समय डबल माइंड नहीं हो सकते. उस समय दिमाग 100% वर्क करना चाहिए. पता होना चाहिए कि हम क्या करने वाले हैं. उस समय आप की ट्रेनिंग बहुत काम आती है. ट्रेनिंग के समय दिमाग कैसे शांत रखें, यह सीखना बहुत जरूरी है. 14000 फिट से जंप के समय जो मेंटल प्रेशर होता है. वह हैंडल हो जाता है. जब आप 14000 फीट से प्लेन से कूद जाते हो तो आप वापस प्लेन में नहीं आ सकते. इसलिए आपको कूदते समय 100% तैयार रहना है. कूदने के बाद सबसे महत्वपूर्ण है कि अपने शरीर को हवा में बैलेंस करना. अगर आप हवा में डिसबैलेंस हो जाते हैं तो आप क्रश कर जाएंगे और जमीन पर जोर से गिरेंगे. जिससे मौत भी हो सकती है.

सवाल- इस तरह के स्पोर्ट्स में सेफ्टी बहुत जरूरी रहती है. किस तरह की सेफ्टी इस स्पोर्ट्स के लिए जरूरी है?

जवाब- स्काइडाइविंग करने से पहले मैंने रिवर राफ्टिंग, माउंटेन क्लाइंबिंग, बंजी जंप किया है. यह सारी चीजें कर पहले मैंने खुद को तैयार किया. मैंने इसके लिए कड़ी ट्रेनिंग ली. यह सारे खेल कर मैंने खुद को स्काइडाइविंग के लिए पहले तैयार किया है. सेफ्टी के लिए जब हम 14000 फीट पर स्काइडाइविंग करते हैं तो हमारे बैग में दो तरह के पैराशूट होते हैं. एक मेन पैराशूट होता है. दूसरा रिजर्व पैराशूट. अगर आप 2000 फीट के नीचे हो और आपका मेन पैराशूट नहीं खुल पाया है तो रिर्जव पैराशूट अपने आप खुल जाता है. जिससे लैंडिंग करते समय आपकी जान तो बच जाएगी, लेकिन रिजर्व पैराशूट देर से खुलने से आपके हाथ पैर भी टूट सकते हैं.

सवाल- स्काइडाइविंग के लिए आपका प्रेणास्रोत कौन रहा. घर से आपको किस तरह सपोर्ट मिला?

जवाब- मेरे पापा मसूरी में पढ़े हुए हैं. उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया. मेरे घर वालों ने कभी मुझे कुछ करने के लिए फोर्स नहीं किया. उनका कहना है कि तुम जो करना चाहो कर सकते हो. बस दिल लगाकर और जो सही लगता है वह करो. जब मैंने अपनी मां को पहली बार स्काइडाइविंग के बारे में बताया था तो वह काफी परेशान हो गई थी. लेकिन जब मैंने अपनी मम्मी को अच्छे से समझाया और कुछ वीडियोज दिखाएं तो वह इसके लिए मान गई. बाद में पापा-मम्मी दोनों का सपोर्ट मुझे मिला. मेरे दोस्तों से भी मुझे काफी मोटिवेशन मिला है. उन्होंने भी मुझे काफी सपोर्ट किया है.

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