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SPECIAL: कोरोना संकट और समर्थन मूल्य से एक बार फिर खेतों की ओर पहुंचने लगे किसान - जिला सहकारी केंद्रीय बैंक

कोरोना संकट के दौर में किसानों की दिलचस्पी एक बार फिर खेती की ओर बढ़ी है. सहकारी समितियों में किसानों के ऋण लेने के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है. बीते वर्षों के मुकाबले 3 महीने का ऋण लेने का आंकड़ा इस साल जून में ही पूरा हो गया है. ऐसे में आने वाले समय में खेती किसानी में 3 गुना ज्यादा किसानों के शामिल होने की संभावना है. सरकार की ओर से दिया जा रहा समर्थन मूल्य भी इसका एक कारण बताया जा रहा है.

In era of Corona crisis interest of people has increased towards the farming in raipur
किसानी की ओर बढ़ा रुझान
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Published : Jul 6, 2020, 10:03 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन के लिए खेती-किसानी का काम शुरू हो चुका है. सरकार की ओर से किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से खाद, बीज और लोन की सुविधा दी जाती है. कोरोना संकट के इस दौर में किसान बीते वर्षों की तुलना में दोगुने तेजी के साथ खेती-किसानी के लिए सामने आए हैं. सहकारी समितियों में किसानों के ऋण लेने के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है. बीते सालों के 3 महीने के ऋण का आंकड़ा इस साल जून में ही पूरा हो गया है. ऐसे में आने वाले समय में खेती किसानी में 3 गुना ज्यादा किसानों के शामिल होने का अंदेशा लगाया जा रहा है.

खेती-किसानी की ओर बढ़ा रुझान

कोरोना वायरस के चलते रोजी मजदूरी के लिए प्रदेश से बाहर गए किसान और मजदूर भी अपने घर लौट आए हैं. जो अब खेती किसानी के काम में बड़े पैमाने पर लग गए हैं. किसानों को खरीफ फसल के लिए सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराती है. प्रदेशभर के ज्यादातर किसान सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण लेकर खेती करते हैं. सरकारी बैंकों में जब ETV भारत ने इन विषयों पर पड़ताल की तो ये बात सामने आई कि, सरकार की ओर से दिए जा रहे समर्थन मूल्य की वजह से भी खेती किसानी की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा है.

किसानों का कहना है कि वे समितियों के माध्यम से खाद बीज उर्वरक और खेती किसानी के लिए ऋण लेकर खेती किसानी के काम में जुट गए हैं. समिति प्रबंधकों का भी कहना है कि खेती किसानी के लिए आमतौर पर जून के अंतिम सप्ताह के बाद ही किसानों का जमावड़ा होता रहा है, लेकिन इस बार जून बीतने के पहले ही किसानों की आवाजाही बड़े पैमाने पर शुरू हो गई थी. यहीं वजह है कि तमाम समितियों में किसानों ने बड़ी संख्या में खाद बीज और उर्वरक लिए हैं. साथ ही नकद ऋण के लिए भी किसान बड़ी संख्या में समितियों तक पहुंचे हैं.

पढ़ें- बिलासपुर: PDS चावल हेराफेरी, रतनपुर नगरपालिका अध्यक्ष सहित 3 पर मामला दर्ज

सहकारी समितियों के आंकड़े

  • जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से बीते साल 1 लाख 38 हजार 417 किसानों ने ऋण लिया था
  • इस साल जुलाई के पहले सप्ताह में ही 22 लाख 24 हजार 101 किसानों को ऋण दिया गया
  • इस साल 30 सितंबर तक ऋण वितरण किया जाएगा

खाद, बीज और नकद ऋण वितरण के आंकड़े

  • 2019 में खरीफ सीजन के लिए 1 हजार 59 करोड़ रुपये ऋण दिया गया था
  • रबी फसल के लिए 2019-20 में 51 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया
  • बीते साल कुल 1110 करोड़ रुपये का ऋण बैंक ने दिया था
  • 2020 में केवल खरीफ फसल के लिए ही 801 करोड़ रुपये ऋण दिया जा चुका है

बढ़ती ऋण की राशि इस बात का संकेत है कि खेती-किसानी के लिए अब लोगों का रुझान दो से 3 गुना तक बढ़ा है. इस लिहाज से बड़ी उम्मीदों के साथ एक बार फिर से किसान खेती-किसानी के काम में जुट गए हैं. कोरोना वायरस, लॉकडाउन के चलते पहले ही तमाम परेशानियों से जूझ रहे किसानों को अब इस खरीफ सीजन से बड़ी उम्मीद है. हालांकि बीते साल में लगातार हो रही बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा है, लेकिन नए उत्साह के साथ एक बार फिर से किसान खेतों में हल चलाते दिख रहे हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन के लिए खेती-किसानी का काम शुरू हो चुका है. सरकार की ओर से किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से खाद, बीज और लोन की सुविधा दी जाती है. कोरोना संकट के इस दौर में किसान बीते वर्षों की तुलना में दोगुने तेजी के साथ खेती-किसानी के लिए सामने आए हैं. सहकारी समितियों में किसानों के ऋण लेने के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है. बीते सालों के 3 महीने के ऋण का आंकड़ा इस साल जून में ही पूरा हो गया है. ऐसे में आने वाले समय में खेती किसानी में 3 गुना ज्यादा किसानों के शामिल होने का अंदेशा लगाया जा रहा है.

खेती-किसानी की ओर बढ़ा रुझान

कोरोना वायरस के चलते रोजी मजदूरी के लिए प्रदेश से बाहर गए किसान और मजदूर भी अपने घर लौट आए हैं. जो अब खेती किसानी के काम में बड़े पैमाने पर लग गए हैं. किसानों को खरीफ फसल के लिए सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराती है. प्रदेशभर के ज्यादातर किसान सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण लेकर खेती करते हैं. सरकारी बैंकों में जब ETV भारत ने इन विषयों पर पड़ताल की तो ये बात सामने आई कि, सरकार की ओर से दिए जा रहे समर्थन मूल्य की वजह से भी खेती किसानी की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा है.

किसानों का कहना है कि वे समितियों के माध्यम से खाद बीज उर्वरक और खेती किसानी के लिए ऋण लेकर खेती किसानी के काम में जुट गए हैं. समिति प्रबंधकों का भी कहना है कि खेती किसानी के लिए आमतौर पर जून के अंतिम सप्ताह के बाद ही किसानों का जमावड़ा होता रहा है, लेकिन इस बार जून बीतने के पहले ही किसानों की आवाजाही बड़े पैमाने पर शुरू हो गई थी. यहीं वजह है कि तमाम समितियों में किसानों ने बड़ी संख्या में खाद बीज और उर्वरक लिए हैं. साथ ही नकद ऋण के लिए भी किसान बड़ी संख्या में समितियों तक पहुंचे हैं.

पढ़ें- बिलासपुर: PDS चावल हेराफेरी, रतनपुर नगरपालिका अध्यक्ष सहित 3 पर मामला दर्ज

सहकारी समितियों के आंकड़े

  • जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से बीते साल 1 लाख 38 हजार 417 किसानों ने ऋण लिया था
  • इस साल जुलाई के पहले सप्ताह में ही 22 लाख 24 हजार 101 किसानों को ऋण दिया गया
  • इस साल 30 सितंबर तक ऋण वितरण किया जाएगा

खाद, बीज और नकद ऋण वितरण के आंकड़े

  • 2019 में खरीफ सीजन के लिए 1 हजार 59 करोड़ रुपये ऋण दिया गया था
  • रबी फसल के लिए 2019-20 में 51 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया
  • बीते साल कुल 1110 करोड़ रुपये का ऋण बैंक ने दिया था
  • 2020 में केवल खरीफ फसल के लिए ही 801 करोड़ रुपये ऋण दिया जा चुका है

बढ़ती ऋण की राशि इस बात का संकेत है कि खेती-किसानी के लिए अब लोगों का रुझान दो से 3 गुना तक बढ़ा है. इस लिहाज से बड़ी उम्मीदों के साथ एक बार फिर से किसान खेती-किसानी के काम में जुट गए हैं. कोरोना वायरस, लॉकडाउन के चलते पहले ही तमाम परेशानियों से जूझ रहे किसानों को अब इस खरीफ सीजन से बड़ी उम्मीद है. हालांकि बीते साल में लगातार हो रही बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा है, लेकिन नए उत्साह के साथ एक बार फिर से किसान खेतों में हल चलाते दिख रहे हैं.

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