रायपुर: अभनपुर के ग्राम तर्री में भाई-बहन ने अनोखी मिसाल कायम की है. आकाश और झरना स्लम एरिया के बच्चों को शिक्षित करने में लगे हुए हैं.
तर्री गांव के ये भाई- बहन कोरोना काल में शिक्षक की अलख जगाते हुए स्लम एरिया के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दान दे रहे हैं. खुले आसमान के नीचे इनकी क्लास लग रही है, और इस क्लास में बस्ती के छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं.
स्लम एरिया में हर रोज लगती है क्लास
खास बात ये हैं कि ये दोनों भाई-बहन खुद उसी स्लम एरिया में रहते है, और अपने घर के पास ही खुले में हर दिन शाम को साढ़े 4 बजे से साढ़े 6 बजे तक स्कूल लगाते हैं. उनकी इस पाठशाला में पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चे पढ़ने आते हैं, जिनमें कुछ स्कूली छात्र-छात्राएं भी हैं. वहीं कुछ ऐसे हैं जिन्होंने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है.
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छत्तीसगढ़ी में भी बच्चों को देते है शिक्षा
दोनों भाई-बहन बच्चों को हिंदी के अलावा छत्तीसगढ़ी में भी पढ़ाते हैं, ताकि बच्चे पढ़ाई को बेहतर तरीके से समझ सकें. आकाश और झरना के इस निःशुल्क शिक्षा दान से कोरोना काल में भी उनके इलाके के गरीब बच्चों को स्कूल शिक्षा से वंचित नहीं होना पड़ रहा है. आकाश ग्रेजुएट हैं और झरना 10वीं तक शिक्षित है, लेकिन इसके बाद भी बच्चों को पढ़ाने के लिए उसका जज्बा देखने लायक है.
शिक्षित युवाओं से शिक्षा दान करने की अपील
ETV भारत से बातचीत में झरना ने कहा कि भले ही वह 10वीं तक शिक्षित है, लेकिन वो कम से कम 8वीं तक के बच्चों को पढ़ा सकती है. दोनों भाई-बहन अब बच्चों के मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक और व्यक्तित्व विकास के लिए कार्य योजना बना रहे हैं. आकाश और झरना ने बताया कि उन्हें निःशुल्क शिक्षा दान की प्रेरणा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से मिली है. उनके ही द्वारा बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दान के लिए तमाम सामग्री दी गई है. दोनों भाई-बहन अन्य शिक्षित युवाओं को कोरोना काल में इसी तरह शिक्षा दान करने की अपील कर रहे हैं.