रायपुर: वट सावित्री का पर्व कई अर्थों में करवा चौथ के व्रत के समान माना गया है. छोटे-छोटे उपायों से आप अपने जीवन में आनंद खुशियां एवं कष्टों से निजात पा सकते हैं. इस बार शनि जयंती और वट सावित्र व्रत एक साथ है. इसलिए शनि जयंती के शुभ दिन पर भगवान शनि की पूजा अर्चना करना सर्वोत्तम माना गया है.
"यदि आप विशिष्ट कष्ट से पीड़ित हैं. इस अमावस्या को 11,21 या 31 बार श्री हनुमान चालीसा का अखंड पाठ करें. इससे आपको राहत मिलेगी. इसी तरह शनि जयंती के शुभ दिन भगवान शनि देव को लगातार 8 अथवा 16 मिनट तक सरसों तेल या अलसी का तेल अर्पित करें.खोपरे वाले नारियल को खोलकर उसमें तिल सरसो मंजरी प्रसाद और सूखा मेवा डालकर पीपल के वृक्ष के नीचे दबा दे. जिससे आपके जीवन की समस्याएं सुलझ जाएंगी. इन कार्यों को शंकारहित होकर पूर्ण आस्था और विश्वास से करना चाहिए." -विनीत शर्मा, पंडित
"पीपल के वृक्ष में जल का दान करें. तेल का दान करें. इसके साथ ही सूर्यास्त के बाद शनि जयंती के दिन आटे और दही के मिश्रण से बनाए हुए चतुर्मुख दीपक के माध्यम से शनि देव की आरती करें. इस दीपक में कपास, सरसों तेल और हल्दी डालकर इसे पीपल के पेड़ के सामने जलाएं. फिर वहां से चले जाएं. इससे आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. साथ ही आज के शुभ दिन अभिजीत मुहूर्त में और गोधूलि बेला के समय किया गया ध्यान सफल रहेगा." -विनीत शर्मा, पंडित
"इन दोनों अवसरों पर शुद्ध मन से एकाग्र चित्त होकर निश्चल मन के साथ भगवान शनिदेव की पूजा और ध्यान करें. इससे आपके सभी कार्य सिद्ध होंगे.शन्नो देवी वेद के इस मंत्र को 5,8, 9,11, 16, 24, 32 और 40 माला का अखंड जाप करने पर भी शनिदेव की कृपा मिलती है. शनि भगवान भक्त वत्सल माने जाते हैं. न्याय के देवता हैं." -विनीत शर्मा, पंडित
ऐसे करें व्रत : शनि देव दंडाधिकारी भी माने जाते हैं. आप भक्तों की कठिन परीक्षा लेते हैं. परंतु जातक को श्रम साध्य पुरुषार्थी और मजबूत बनाकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इसी तरह वट सावित्री का व्रत उन कन्याओं को भी पूरी आस्था विश्वास के साथ करना चाहिए. जिनके विवाह में बाधा आ रही है. उन्हें भगवान विष्णु को याद करते हुए भगवान भोलेनाथ का भी स्मरण करना चाहिए. इसके साथ ही व्रत का पान करें. ताकि आपको भी सत्यवान जैसा पति मिले.