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संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की इस पूजा से घर में आएगा धन !

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा होती (Worship Lord Ganesha on Sankashti Chaturthi ) है. पूजा के इन उपायों को अपनाकर आप विघ्नहर्ता भगवान गणेश को (Importance of Sankashti Chaturthi) प्रसन्न कर सकते हैं. इस तरह आपको जीवन में सुख, समृद्धि सदा बनी रहेगी.

Importance of Sankashti Chaturthi
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
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Published : May 18, 2022, 4:30 PM IST

हैदराबाद/ रायपुर: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है. मई 2022 महीने की 19 तारीख को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) है. यहां आपको यह बता देना जरूरी है कि संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी किसे कहते हैं. यह किस तिथि को पड़ता है. पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में जो चतुर्थी आती है उसे संकष्टी चतुर्थी और गणेश चतुर्थी कहा जाता है. वहीं अमावस्या के बाद आने शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. तिथि के अनुसार देखा जाए तो 19 मई को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पड़ (Sankashti Chaturthi puja vidhi) रही है. इस दिन संकष्टी चतुर्थी का पर्व है.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व: हिंदू धर्म गुरुओं के मुताबिक पूर्णिमा के बाद पड़ने वाले चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन शुभकर्ता और विघ्नहर्ता भगवान गणपति की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से जातक के जीवन में सभी संकट दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही घर में सदैव सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ: हिंदू शास्त्र के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है सभी संकटों को हरने वाला. भगवान गणेश को बुद्धि, सौभाग्य और समृद्धि का देवता कहा जाता है. इसके अलावा इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. यही वजह है कि इनकी पूजा को अतिशुभ माना गया है.

ये भी पढ़ें: मंगलवार को संकष्ठी चतुर्थी, सुख-शांति के लिए इन मंत्रों से करें विघ्नहर्ता की पूजा

संकष्टी चतुर्थी 2022 का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 18 मई बुधवार रात 11 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है. यह तिथि अगले दिन 19 मई गुरुवार को रात 8 बजकर 23 मिनट पर समाप्त (Sankashti Chaturthi shubh muhurat) हो रहा है. यही कारण है कि 19 मई 2022 को संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है. संकष्टी चतुर्थी को सुबह से ही साध्य योग है. यह दोपहर 2 बजकर 58 मिनट तक बना रहेगा. दोपहर 2.58 के बाद शुभ योग की शुरुआत हो जाएगी. पंडितों के मुताबिक यह दोनों योग पूजा पाठ के लिए अति शुभकारी है. इस दिन सुबह और शाम दोनों समय में भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जा सकती है. संकष्टी चतुर्थी तिथि का आरंभ,18 मई को सुबह 11 बजकर 36 मिनट से है. जबकि संकष्टी चतुर्थी तिथि का समापन,19 मई को शाम 08 बजकर 25 मिनट तक है. संकष्टी चतुर्थी में चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 19 मिनट पर है

संकष्टी चतुर्थी में कैसे करें भगवान गणेश की पूजा अर्चना : इस दिन जातक सबसे पहले सुबह उठकर नित्य कर्म को पूरा कर स्नान कर लें. उसके बाद भगवान गणपति का ध्यान करें. फिर एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें. फिर पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कर उसे पवित्र करें. फिर फूल की मदद से भगवान गणपति पर जल चढ़ाएं. लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर भगवान गणेश को चढ़ाएं. भगवान गणपति को 21 लड्डुओं का भोग की चढ़ाया जा सकता है. उसके बाद जातक सपरिवार भगवान गणेश की आरती करें

ये भी पढ़े: गणेश संकष्टी चतुर्थी का व्रत 2022: आपको मिलेगा कर्ज से छुटकारा, बस करने होंगे ये उपाय

गणपति जी की पूजा मे इन मंत्रों का करें जाप

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

ॐ श्री गं गणपतये नम:

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं

हैदराबाद/ रायपुर: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है. मई 2022 महीने की 19 तारीख को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) है. यहां आपको यह बता देना जरूरी है कि संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी किसे कहते हैं. यह किस तिथि को पड़ता है. पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में जो चतुर्थी आती है उसे संकष्टी चतुर्थी और गणेश चतुर्थी कहा जाता है. वहीं अमावस्या के बाद आने शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. तिथि के अनुसार देखा जाए तो 19 मई को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पड़ (Sankashti Chaturthi puja vidhi) रही है. इस दिन संकष्टी चतुर्थी का पर्व है.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व: हिंदू धर्म गुरुओं के मुताबिक पूर्णिमा के बाद पड़ने वाले चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन शुभकर्ता और विघ्नहर्ता भगवान गणपति की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से जातक के जीवन में सभी संकट दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही घर में सदैव सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ: हिंदू शास्त्र के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है सभी संकटों को हरने वाला. भगवान गणेश को बुद्धि, सौभाग्य और समृद्धि का देवता कहा जाता है. इसके अलावा इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. यही वजह है कि इनकी पूजा को अतिशुभ माना गया है.

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संकष्टी चतुर्थी 2022 का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 18 मई बुधवार रात 11 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है. यह तिथि अगले दिन 19 मई गुरुवार को रात 8 बजकर 23 मिनट पर समाप्त (Sankashti Chaturthi shubh muhurat) हो रहा है. यही कारण है कि 19 मई 2022 को संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है. संकष्टी चतुर्थी को सुबह से ही साध्य योग है. यह दोपहर 2 बजकर 58 मिनट तक बना रहेगा. दोपहर 2.58 के बाद शुभ योग की शुरुआत हो जाएगी. पंडितों के मुताबिक यह दोनों योग पूजा पाठ के लिए अति शुभकारी है. इस दिन सुबह और शाम दोनों समय में भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जा सकती है. संकष्टी चतुर्थी तिथि का आरंभ,18 मई को सुबह 11 बजकर 36 मिनट से है. जबकि संकष्टी चतुर्थी तिथि का समापन,19 मई को शाम 08 बजकर 25 मिनट तक है. संकष्टी चतुर्थी में चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 19 मिनट पर है

संकष्टी चतुर्थी में कैसे करें भगवान गणेश की पूजा अर्चना : इस दिन जातक सबसे पहले सुबह उठकर नित्य कर्म को पूरा कर स्नान कर लें. उसके बाद भगवान गणपति का ध्यान करें. फिर एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें. फिर पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कर उसे पवित्र करें. फिर फूल की मदद से भगवान गणपति पर जल चढ़ाएं. लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर भगवान गणेश को चढ़ाएं. भगवान गणपति को 21 लड्डुओं का भोग की चढ़ाया जा सकता है. उसके बाद जातक सपरिवार भगवान गणेश की आरती करें

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

ॐ श्री गं गणपतये नम:

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं

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