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Nurses Day 2023 : सेवा और समर्पण की मूरत होती हैं नर्सेस, बिना इनके स्वास्थ्य क्षेत्र की कल्पना नहीं

21वीं सदी में नर्सिंग की पढ़ाई और भी बेहतर हो गई है. आधुनिक दौर में नर्सों के पहनावे से लेकर काम तक हर चीज में बदलाव हुआ है.अब नर्स को नर्स नहीं बल्कि नर्सिंग ऑफिसर के नाम से जाना जाता है. नर्सेस डे के मौके पर ईटीवी भारत ने नर्सों से उनकी मन की बात जानी.

Nurses Day 2023
बदलते दौर में नर्सों का महत्व
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Published : May 11, 2023, 3:49 PM IST

Updated : May 11, 2023, 3:55 PM IST

नर्सेस डे में नर्सों का महत्व और योगदान

रायपुर : पूरी दुनिया में लेडी विद द लैंप के नाम से जाने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्मदिन को नर्सेस डे के रूप में मनाया जाता है. 1974 में आधिकारिक तौर पर हर साल 12 मई को नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. अपने प्रोफेशन में ड्यूटी करने के बाद नर्स मरीजों की सेवा करती है. 12 घंटे वह मरीजों के साथ रहती है. मरीजों को उठने बैठने इंजेक्शन लगाने सहित कई तरह की गतिविधियों में उनकी मदद करती है. एक तरह से देखा जाए तो मरीजों को सुरक्षित रखने में नर्सों का बहुत बड़ा योगदान होता है.



नर्सों के सम्मान में नर्सेस डे : नर्सों के योगदान का सम्मान करते हुए 12 मई को नर्सेस डे मनाया जाता है. नर्स अपने करियर में अलग-अलग मरीजों से मिलती हैं. कुछ मरीज सामान्य होते हैं तो, कुछ ऐसे होते हैं कि जिंदगी भर के लिए उन्हें यादें दे जाते हैं. वहीं कुछ मरीज उनके दिल में एक खास जगह बना लेते हैं. जिन्हें नर्सेस हमेशा याद करती हैं.ईटीवी भारत की टीम ने नर्सिंग दिवस के मौके पर नर्सों से खास बातचीत की.इस दौरान उनके अनुभव के कुछ खास लम्हों के बारे में जाना.

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा की तिथि घोषित

नर्सों के लिए मरीज ही पहली प्राथमिकता : इन नर्सों के अनुभव को देखा जाए तो सब का मानना है कि पहले नर्स की प्राथमिकता मरीजों की सेवा करना है. लेकिन बदलते दौर में नर्सों की प्राथमिकता अपनी ड्यूटी पूरी करना. अपनी सैलरी लेना है. आज के दौर में नर्सेस मरीजों की सेवाओं को कम प्राथमिकता देने लगी है. पुराने दौर में लोग अपने घर की बेटियों को नर्स के काम के लिए अनुमति नहीं दिया करते थे. उन्हें लगता था कि नर्स का काम बहुत छोटा होता है. पहनावे को लेकर भी लोगों की सोच कुछ खास अच्छी नहीं थी. लेकिन समय बदलता गया और नर्स के काम की महत्वता भी लोगों के सामने आने लगी. अब नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली लड़कियों को उनके माता-पिता आगे बढ़ा रहे हैं.

नर्सेस डे में नर्सों का महत्व और योगदान

रायपुर : पूरी दुनिया में लेडी विद द लैंप के नाम से जाने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्मदिन को नर्सेस डे के रूप में मनाया जाता है. 1974 में आधिकारिक तौर पर हर साल 12 मई को नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. अपने प्रोफेशन में ड्यूटी करने के बाद नर्स मरीजों की सेवा करती है. 12 घंटे वह मरीजों के साथ रहती है. मरीजों को उठने बैठने इंजेक्शन लगाने सहित कई तरह की गतिविधियों में उनकी मदद करती है. एक तरह से देखा जाए तो मरीजों को सुरक्षित रखने में नर्सों का बहुत बड़ा योगदान होता है.



नर्सों के सम्मान में नर्सेस डे : नर्सों के योगदान का सम्मान करते हुए 12 मई को नर्सेस डे मनाया जाता है. नर्स अपने करियर में अलग-अलग मरीजों से मिलती हैं. कुछ मरीज सामान्य होते हैं तो, कुछ ऐसे होते हैं कि जिंदगी भर के लिए उन्हें यादें दे जाते हैं. वहीं कुछ मरीज उनके दिल में एक खास जगह बना लेते हैं. जिन्हें नर्सेस हमेशा याद करती हैं.ईटीवी भारत की टीम ने नर्सिंग दिवस के मौके पर नर्सों से खास बातचीत की.इस दौरान उनके अनुभव के कुछ खास लम्हों के बारे में जाना.

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नर्सों के लिए मरीज ही पहली प्राथमिकता : इन नर्सों के अनुभव को देखा जाए तो सब का मानना है कि पहले नर्स की प्राथमिकता मरीजों की सेवा करना है. लेकिन बदलते दौर में नर्सों की प्राथमिकता अपनी ड्यूटी पूरी करना. अपनी सैलरी लेना है. आज के दौर में नर्सेस मरीजों की सेवाओं को कम प्राथमिकता देने लगी है. पुराने दौर में लोग अपने घर की बेटियों को नर्स के काम के लिए अनुमति नहीं दिया करते थे. उन्हें लगता था कि नर्स का काम बहुत छोटा होता है. पहनावे को लेकर भी लोगों की सोच कुछ खास अच्छी नहीं थी. लेकिन समय बदलता गया और नर्स के काम की महत्वता भी लोगों के सामने आने लगी. अब नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली लड़कियों को उनके माता-पिता आगे बढ़ा रहे हैं.

Last Updated : May 11, 2023, 3:55 PM IST
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