रायपुर: हिंदू पंचांग के मुताबिक हर महीने दो प्रदोष व्रत रखा जाता है. एक प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में आता है और दूसरा प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में रखा जाता है. प्रदोष व्रत में भोलेनाथ की पूजा और उपासना की जाती है. खास विधि से भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है. इस बार जून में पहला प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है. गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है.
प्रदोष व्रत और पूजा का मुहूर्त: गुरु प्रदोष तिथि की शुरुआत 1 जून को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट पर होगी. इसका समापन 2 जून दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर हो जाएगा. प्रदोष व्रत के दिन शिव की उपासना प्रदोष काल में की जाती है. यही कारण है कि ये व्रत 1 जून को रखा जाएगा. गुरुवार को शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात्रि 9 बजकर 16 के बीच पूजा करना लाभदायक होगा.
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प्रदोष व्रत का महत्व: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है. इस व्रत से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं. इस विशेष दिन पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. शिव-पार्वती की साथ में पूजा करने से दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आती है. कहते हैं कि प्रदोष व्रत रखने से कई प्रकार के ग्रह दोष से भी मुक्ति मिलती है.
इस विधि से करें पूजा: ब्रह्ममुहूर्त में उठकर प्रात:काल स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र पहन कर भगवान का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें. शाम को पूजा के वक्त भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूप, दीप, गंध अर्पित करें. शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं. प्रदोष कथा पढ़ें. भगवान शिव की आरती करें. अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करें.