हरिद्वार: महाकुंभ वर्ष की शुरुआत हो गई है. हालांकि सरकारी रूप से इस महाकुंभ की शुरुआत मार्च महीने में होगी. जब सरकार अपनी तरफ से एक गाइडलाइन जारी कर देगी, लेकिन अगर आप हरिद्वार महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं. तो ईटीवी भारत आपको बता रहा है कि, हरिद्वार के ऐसे वह प्रमुख कौन से घाट हैं ? जहां पर आप डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति पा सकते हैं. वैसे तो हरिद्वार के कण-कण में भगवान और हर घाट घाट से बहने वाली गंगा मोक्षदायिनी है, लेकिन 5 घाटों का हरिद्वार में विशेष महत्व बताया गया है. हम आपको उन 5 घाटों के बारे में विस्तार से बताते हैं.
हरिद्वार महाकुंभ 2021 में आस्था की डुबकी लगाने के लिए उम्मीद जताई जा रही है कि इस कोरोना काल में भी लाखों करोड़ों श्रद्धालु स्वर्ग के द्वार यानी हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचेंगे. हरिद्वार में जगह-जगह श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के लिए व्यवस्था करवाई जा रही है. हरिद्वार में सभी घाटों का अपना अलग महत्व है, जिनमें से 5 घाट जो प्रमुख हैं. वह हैं ब्रह्मकुंड, नारायणी स्रोत, विष्णु घाट शिला, कुशावर्त घाट और रामघाट.
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ब्रह्मकुंड
ब्रह्मकुंड को हर की पौड़ी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से करोड़ों जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. मान्यता है कि यहीं पर समुंद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें कलश से छलक कर गिरीं थीं. यहां स्नान करने से अर्थ काम मोक्ष और धर्म चारों की प्राप्ति हो जाती है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस स्थान पर स्नान करने से कभी भी मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती. उसके परिवार में कोई भी महिला विधवा नहीं होती.
नारायणी स्रोत
हरिद्वार में दूसरा प्रमुख घाट नारायणी स्रोत. वैसे तो हरिद्वार के पत्थर-पत्थर की अलग मान्यता और पुराणों में उसका जिक्र है, लेकिन इस घाट के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण के ऊपर सर्प दोष लगा था. तब उनकी कुंडली में भी इसका असर देखा गया था. भगवान कृष्ण को इस दोष से मुक्ति दिलाने के लिए यहीं के गंगाजल से भगवान कृष्ण का स्नान करवाया गया था. कहते हैं कि यहां स्नान करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.
विष्णु घाट
तीसरा प्रमुख घाट है विष्णु घाट. कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है, उसकी जेब कभी भी खाली नहीं रहती. लिहाजा, यहां आने वाले श्रद्धालु इस घाट पर भी एक बार स्नान जरूर करते हैं.
कुशावर्त घाट
कुशावर्त घाट के बारे में भी ग्रंथों में कई बातें लिखीं गईं हैं. इस घाट को भगवान दत्तात्रेय की समाधि स्थली कहा जाता है. कहा जाता है कि इसी घाट पर पांडवों और श्रीराम ने अपने पितरों का पिंडदान किया था. लिहाजा, यहां पर स्नान करने से पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
रामघाट
हरिद्वार का अंतिम घाट है रामघाट. कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद इसी घाट पर ब्रह्म हत्या से दोष से मुक्ति पाने के लिए तपस्या की थी. इसीलिए इस घाट का नाम रामघाट पड़ा. मान्यता यह है कि इस घाट पर स्नान करने से बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद तो मिलता ही है. साथ ही साथ व्यक्ति को सम्मान की प्राप्ति भी होती है.