रायपुर: वैशाख की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस दिन किया हुआ दान कभी क्षय नहीं होता, यही कारण है कि इस तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं. इस साल अक्षय तृतीया 23 अप्रैल को पड़ रहा है. इस दिन रखा जाने वाला व्रत उत्तम व्रतों में से एक माना जाता है.
इस व्रत से जुड़ी परम्पराएं: अक्षय तृतीया पर्व से कई तरह की मान्यताएं और परम्पराएं जुड़ी हुई है. इस दिन कुंवारी लड़कियां अपने भाई, पिता, पितृ और गांव के लोगों को पीहर न जाने की व्यथा बयां करते हुए लोगों में शगुन बांटती हैं. इसके साथ ही गीत गाती हैं. अक्षय तृतीया के दिन वर्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं. इस दिन लड़के पतंग उड़ाते हैं. अक्षय तृतीया पर सात अनाज से भगवान की पूजा की जाती है. एमपी में बर्तन के ऊपर तरबूज रखकर और आम के पत्ते की पूजा की जाती है.
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यह त्योहार किसानों के लिए बेहद शुभ: यह पर्व किसानों के लिए खास माना गया है. इस दिन किसान खेती शुरू करते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से पूरे साल समृद्धि बनी रहती है.
ऐसे मनाया जाता है अक्षय तृतीया: अक्षय तृतीया के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद दान, पुण्य के साथ पूजा करना चाहिए.
अक्षय तृतीया के दिन दान का महत्व: ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे कलश, पंखा, पैर की गद्दी, जूता, छाता, गौ, भूमि, सोने का पात्र आदि का दान करना शुभ माना गया है.