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Sheetlastami 2023 : जानिए शीतलाष्टमी का महत्व और पूजन विधि

शीतलाष्टमी को माता शीतला की व्रत और पूजा की जाती है. यह हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ एक त्यौहार है. शीतला अष्टमी का त्यौहार मुख्य तौर पर राजस्थान और गुजरात के कई हिस्सों में मनाया जाता है. इसे बसौड़ा भी कहा जाता है.

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जानिए शीतलाष्टमी बसोरा का महत्व और पूजन विधि
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Published : Feb 24, 2023, 7:19 PM IST

Updated : Feb 25, 2023, 1:40 PM IST

रायपुर : देश के कई हिस्सों में भी शीतला अष्टमी का त्यौहार मनाने की परंपरा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता की पूजा करने से चिकन पॉक्स, स्माल पॉक्स, मीजिल्स जैसी बीमारियां दूर रहती हैं. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से मनुष्य को दूसरे तरह के रोगों और कष्टों से भी छुटकारा मिलता है.

कब है शीतलाष्टमी का त्यौहार : शीतला अष्टमी का त्यौहार चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को ही मनाई जाती है. इस साल ये त्यौहार 15 मार्च के दिन पड़ रहा है.

शीतलाष्टमी का धार्मिक महत्व : शीतला अष्टमी का त्यौहार हम सबका एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है.माता शीतला की आराधना और स्तुति करके उनकी कृपा पाने का यह एक उत्तम त्यौहार है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला की पूजा करने से मनुष्य को कई प्रकार के रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है.माता शीतला की कृपा से चिकन पॉक्स, स्माल पॉक्स, मीजिल्स से रक्षा होती है.शीतला माता आरोग्य का वरदान देती हैं.

शीतला मां की पूजन विधि : शीतला अष्टमी के पूजन के लिए सप्तमी वाले दिन ही सारी तैयारी पूरी कर ली जाती है. रसोई घर को अच्छे से साफ और पवित्र करने के पश्चात दूसरे दिन के लिए भोजन बना लिया जाता है. शीतला अष्टमी वाले दिन सूर्य उगने से पहले ही शीतल वातावरण में माता शीतला की आंगन में पूजा की जाती है. इस दिन कई महिलाएं अपने पुत्रों के लिए व्रत भी रखतीं हैं. शीतला माता चालीसा, कथा का वाचन किया जाता है और शीतला माता की आरती की जाती है.इसके बाद शीतला माता की गुड़, दही और सप्तमी की रात्रि में बने भोजन से पूजा अर्चना की जाती है. इसी भोजन से माता शीतला का भोग लगाया जाता है. आप सबको बता दें की इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलना चाहिए तथा सभी लोगों को सप्तमी की रात्रि में बने भोजन को ही प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए.

रायपुर : देश के कई हिस्सों में भी शीतला अष्टमी का त्यौहार मनाने की परंपरा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता की पूजा करने से चिकन पॉक्स, स्माल पॉक्स, मीजिल्स जैसी बीमारियां दूर रहती हैं. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से मनुष्य को दूसरे तरह के रोगों और कष्टों से भी छुटकारा मिलता है.

कब है शीतलाष्टमी का त्यौहार : शीतला अष्टमी का त्यौहार चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को ही मनाई जाती है. इस साल ये त्यौहार 15 मार्च के दिन पड़ रहा है.

शीतलाष्टमी का धार्मिक महत्व : शीतला अष्टमी का त्यौहार हम सबका एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है.माता शीतला की आराधना और स्तुति करके उनकी कृपा पाने का यह एक उत्तम त्यौहार है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला की पूजा करने से मनुष्य को कई प्रकार के रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है.माता शीतला की कृपा से चिकन पॉक्स, स्माल पॉक्स, मीजिल्स से रक्षा होती है.शीतला माता आरोग्य का वरदान देती हैं.

शीतला मां की पूजन विधि : शीतला अष्टमी के पूजन के लिए सप्तमी वाले दिन ही सारी तैयारी पूरी कर ली जाती है. रसोई घर को अच्छे से साफ और पवित्र करने के पश्चात दूसरे दिन के लिए भोजन बना लिया जाता है. शीतला अष्टमी वाले दिन सूर्य उगने से पहले ही शीतल वातावरण में माता शीतला की आंगन में पूजा की जाती है. इस दिन कई महिलाएं अपने पुत्रों के लिए व्रत भी रखतीं हैं. शीतला माता चालीसा, कथा का वाचन किया जाता है और शीतला माता की आरती की जाती है.इसके बाद शीतला माता की गुड़, दही और सप्तमी की रात्रि में बने भोजन से पूजा अर्चना की जाती है. इसी भोजन से माता शीतला का भोग लगाया जाता है. आप सबको बता दें की इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलना चाहिए तथा सभी लोगों को सप्तमी की रात्रि में बने भोजन को ही प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए.

Last Updated : Feb 25, 2023, 1:40 PM IST
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