रायपुर / हैदराबाद : भारत को युवाओं का देश कहा जाता है. देश में 66 फीसदी से अधिक आबादी 35 वर्ग की आयु सीमा में आती है. देश की आबादी की औसत आयु 29 वर्ष है. भारत की युवा आबादी सम्पूर्ण विश्व की युवा आबादी की 1/5 भाग है जो देश की सबसे युवा देशों में शुमार करते हैं. देश के भविष्य को तय करने में किसी भी देश की युवा आबादी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है. युवा नवीन विचारों से लबरेज होते हैं. किसी भी देश को आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से वैश्विक शक्ति बनाने की ताकत युवाओं के पास है. देश के आर्थिक निर्माण एवं समृद्धि में युवाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया जाता है. इस दिवस के अवसर पर देश निर्माण में युवा महत्व को ध्यान में रखते हुए युवा कल्याण हेतु कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है.Importance and History of National Youth Day
कब मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस : राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day)हर साल 12 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिवस का आयोजन भारत के महान आध्यात्मिक गुरु एवं युवा जागरण के प्रेरणाकर्ता स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर किया जाता है. देश के युवाओं में जोश और उत्साह का संचार करने स्वामी विवेकानंद की जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. समाज के निर्माण में युवाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रतिवर्ष युवा दिवस मनाने की घोषणा की थी. भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका के महत्व को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने भी साल 1984 से प्रतिवर्ष युवा दिवस मनाने की घोषणा की .इस दिवस के लिए युवा आदर्श स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को चुना गया. क्योंकि युवाओं की जनजागृति में स्वामी विवेकानंद जी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वर्ष 1985 से हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के दिन राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाने लगा.
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कौन थे स्वामी विवेकानंद : विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था. बचपन से ही बाल नरेंद्र को अध्यात्म एवं दर्शन में रुचि थी. बचपन के दिनों में ही नरेंद्र चिंतन एवं ध्यान में मगन रहते थे. बचपन से अध्यात्म में रूचि रखने वाले नरेन्द्रनाथ को अध्ययन, धर्म, दर्शन, साहित्य एवं खेलों में समान रूचि थी. मात्र 25 वर्ष की आयु में अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस से प्रभावित होकर बालक नरेंद्र ने संन्यास ग्रहण कर लिया और उनका नया नाम स्वामी विवेकानंद हुआ. वर्ष 1893 का साल भारत के भविष्य के लिए सबसे अहम वर्ष माना जाता है. इस वर्ष ही स्वामी विवेकानन्द धर्म संसद में भाग लेने के लिए अमेरिका के आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में गए थे. 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद को इस संसद में बोलने के लिए 2 मिनट का मौका दिया गया था. अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने जैसे ही ‘‘मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों” से की पूरा हाल 2 मिनट तक उनके सम्मान में तालियां बजाता रहा. इसके बाद उन्हें तूफानी हिन्दू कहा जाने लगा.Swami Vivekananda and Youth Day