रायपुर: छत्तीसगढ़ में गणेश उत्सव को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी गई है. गणेश पूजा 31 अगस्त से शुरूआत हो जाएगी. गणेश उत्सव का आयोजन 11 दिनों तक चलेगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गणेश उत्सव को लेकर सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि 'गणेश प्रतिमा का विसर्जन नदियों में नहीं होगा. किसी भी स्थिति में नदियों में गणेश प्रतिमा का विसर्जन ना हो इसका विशेष रुप से ध्यान रखा जाए. हर जिले में इसका पालन हो, इसके लिए सभी कलेक्टरों को पत्र भेजे हैं."
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में कृष्ण जन्माष्टमी पर कृष्ण कुंज का लोकार्पण
इन नियमों का करना होगा पालन: तीज, गणेश विसर्जन, दुर्गा पूजा, पितृ, मोक्ष, अमावस्या और अन्य त्योहारों के लिए सार्वजनिक आयोजन के लिए तालाब और घाट की साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए. इसके साथ ही ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करने के साथ शुद्ध पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था की जाए. तालाब और घाटों पर विसर्जन के पूर्व पूजन सामग्री को अलग-अलग करके उपयुक्त स्थल पर रखा जाए.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार : गणेश प्रतिमा और इनके विसर्जन को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि पूरे प्रदेश में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और राज्य शासन के पर्यावरण से जुड़े मानकों के आधार पर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन और अन्य व्यवस्थाएं होंगी.
- नदी में मूर्तियों का विसर्जन किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जाना चाहिए. नदी के जल को दूषित होने से बचाया जाए.
- ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से सामजस्य बैठाते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाए. प्लास्टर ऑफ पेरिस और अन्य प्रतिबंधित सामग्री से बनी मूर्तियों के निर्माण को रोकने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए.
- आयोजन स्थलों के समीप संभव हो सके तो मोबाइल मेडिकल यूनिट की व्यवस्था कराई जाए.
- मूर्ति विसर्जन के रूट चार्ट का चयन ऐसा होना चाहिए कि यातायात कम से कम बाधित हो. आयोजन स्थल पर व्यवस्थित रूप से लाइटिंग की व्यवस्था की जाए. शहर में आवारा मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस में भेजा जाए. जिससे यातायात व्यवस्था सुगम बनी रहे और यातायात में किसी तरह का व्यवधान उत्पन्न ना हो.