रायपुर: निजी अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के इलाज को लेकर अस्पताल प्रबंधनों और राज्य सरकार के बीच टकराव शुरू हो गया है. निजी अस्पताल समय-समय पर जारी सरकारी आदेशों को विरोधाभासी करार दे रहे हैं. निजी अस्पताल की तरफ से IMA ने मोर्चा संभाला है और सरकार से सवाल पूछा है की सामान्य मरीजों की भर्ती और ऑपरेशन जैसी प्रक्रिया को करें या नहीं. छत्तीसगढ़ में कोविड-19 के इलाज को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं हुई है.
इस संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल जैन ने सोमवार को संचालक स्वास्थ्य सेवा को एक पत्र भेजा है. जिसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, मुख्य सचिव आरपी मंडल, एसीएस और स्वास्थ्य सचिव को भेजी गई है. IMA अध्यक्ष ने इस पत्र में लिखा है कि, 'संचालक चिकित्सा सेवाएं द्वारा समस्त जिला मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों को लिखे हुए पत्र के संबंध में कुछ भ्रांतियां और विरोधाभास है. इन्हें शासन स्तर पर स्पष्ट निर्देश देने के लिए आदेशित करें.'
IMA ने पत्र में बताई जारी आदेशों में होने वाली भ्रांतियां
उन्होंने बताया कि आदेश की बिंदु 1 और 3 आपस में विरोधाभासी है. जहां शासन के चिन्हांकित अस्पतालों में ही कोविड-19 संक्रमित मरीजों के इलाज की व्यवस्था करने को कहा गया है, वहीं बिंदु 2 और बिंदु 3 में यह कहा गया है कि सभी निजी अस्पतालों में कोविड-19 के साथ अन्य बीमारियों का इलाज करना आवश्यक होगा. इस बिंदु के निर्देश से निष्कर्ष निकलता है कि जिन निजी अस्पतालों में अन्य बीमारियों के उपचार के साथ जांच के दौरान यदि मरीज को कोरोना संक्रमित पाया जाता है, तो उनका इलाज निर्देशानुसार उसी गैर कोविड अस्पताल में जारी रखना होगा.
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IMA ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि पर्याप्त संवाद और सहमति के बाद भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को कई घंटों इंतजार करना पड़ता है, जबकि केंद्र सरकार और इंडियन काउंसलिंग ऑफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइन कहती है कि चिन्हाकित कोविड ओर नॉन-कोविड अस्पतालों की तय सीमा रेखा का पालन किया जाए. ताकि मरीजों को आपस में संक्रमित से मिलने से रोका जा सके. साथ ही पत्र में यह भी लिखा गया है कि रायपुर को छोड़कर अन्य शहरों में भी प्राइवेट टेस्टिंग लैब की सुविधा नहीं है.
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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से अनुमति प्राप्त टेस्ट लैब के कलेक्शन केंद्र बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, कांकेर और धमतरी जैसे शहरों में खोलना जरूरी हो गया है, ताकि वहां से कलेक्शन किए हुए सैंपलों को रायपुर लाया जा सके. इसके साथ ही मरीजों को प्राइवेट स्तर पर भी सुविधा प्रदान की जा सके. ऐसे में सरकारी अस्पतालों के टेस्ट केंद्र पर मरीजों की संख्या और काम के भार को कम किया जा सकेगा.