रायपुर: फाइनेंस पर ली गई गाड़ियों की हाइपोथिकेशन संबंधी सेवाओं को छत्तीसगढ़ में ऑटोमेटिक कर दिया गया है. अब इससे संबंधित सभी सेवाओं के लिए बैंक, फाइनेंस कंपनी और आरटीओ के चक्कर नहीं काटने होंगे. लोग घर बैठे हाइपोथिकेशन से जुड़ी सभी सेवाओं का लाभ ले सकेंगे. इसके लिए करीब 75 बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अपनी हाइपोथिकेशन सेवाओं के साथ एकीकृत कर दिया गया (Hypothecation of finance vehicles will be automatic in Chhattisgarh) है.
सभी प्रक्रिया होगी डिजिटल: इस विषय में परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा ने बताया, "हाइपोथिकेशन जोड़ने और समाप्ति के संबंध में आरटीओ कार्यालय में अब कोई भौतिक दस्तावेज नहीं लिया जाएगा. बैंकों और ऋण देने वाली संस्थाओं को आधार कार्ड से जुड़े मोबाइल नंबर पर प्राप्त वन टाइम पासवर्ड के माध्यम से सभी दस्तावेजों और एनओसी को सॉफ्टवेयर के माध्यम से डिजिटल रूप से जमा कर दिया जाएगा. इसमें भौतिक हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. वाहन स्वामी की ओर से एक बार जब बैंक में पूरी ऋण राशि का भुगतान कर दिया जाता है, तो डेटा सीधे बैंक द्वारा वाहन डेटाबेस में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.
ये होगी प्रक्रिया: परिवहन विभाग में इस हाइपोथिकेशन सेवा को सत्यापित और अनुमोदित करने का कार्य सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्वतः हो जाएगा. आवेदकों को अपने बैंकों से फॉर्म-35 तथा एनओसी प्राप्त करने और इन दस्तावेजों को अपलोड करके हाइपोथिकेशन टर्मिनेशन के लिए परिवहन विभाग में आवेदन करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी. हाइपोथिकेशन के ऑटो-टर्मिनेशन के बाद एम-परिवहन और डिजिलॉकर पर अपडेटेड रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) उपलब्ध करा दिया जाएगा।.इसके बाद वाहन मालिकों को एक एसएमएस भेजकर इसकी जानकारी दे दी जाएगी.
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क्या होता है गाड़ियों का हाइपोथिकेशन: जब हम फाइनेंस पर कोई गाड़ी लेते हैं, तो उसकी कीमत का 10 फीसद से 20-25 फीसद तक डाउन पेमेंट करते हैं. बाकी रकम फाइनेंस कंपनी की ओर से कर्ज होता है. ऐसे में खरीदे हुए वाहन पर हमारा और बैंक या फाइनेंस कंपनी का बराबर मालिकाना हक होता है. जब तक पूरा कर्ज चुका नहीं दिया जाता है. यह दोहरा मालिकाना बना रहता है. यह गाड़ी के पंजीयन प्रमाणपत्र पर भी दर्ज होता है. गाड़ी का इंश्योरेंस भी फाइनेंस कंपनी अथवा बैंक के पक्ष में होता है.
अब नहीं काटने पड़ेंगे दफ्तरों के चक्कर: बैंक लोन की पूरी किस्त चुकाने के बाद हाइपोथिकेशन निरस्त कराने की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती थी. इसके लिए संबंधित बैंक से एक अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना पड़ता था. इसमें यह बात होती थी कि अब कोई बकाया कर्ज नहीं है. यह प्रमाणपत्र परिवहन विभाग और वाहन फाइनेंस करने वाली कंपनी को भेजना पड़ता था. वहां फिर से सभी दस्तावेज चेक होते थे. आरटीओ में फाइनेंस कंपनी की NOC, गाड़ी की RC, बीमा पेपर, PUC प्रमाणपत्र, चेसिस और इंजन प्रिंट का कागज, पहचान पत्र, निवास प्रमाणपत्र, पैन कार्ड, शुल्क और हस्ताक्षर के साथ एक आवेदन पत्र-फाॅर्म 35 जमा करना होता था.