रायपुर: आज के दौर में अधिकतर युवा नशे की गिरफ्त में हैं. नशे से युवाओं को दूर ले जाना बहुत बड़ी चुनौती है. हर राज्य में नशा मुक्ति केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है. कई सरकारी और निजी संस्थाएं ड्रग एडिक्टों का इलाज कर रही है. लेकिन नशा छुड़ाने का प्रोसेस काफी लेंदी होता है. इस प्रोसेस के तहत ड्रग एडिक्टों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
रायपुर में 16 नशा मुक्ति केंद्र संचालित: रायपुर में सरकार की तरफ से और एनजीओ की ओर से नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की ओर से शहर में 16 नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. शहर में एनजीओ के माध्यम से 6 नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन हो रहा है. ऐसे मरीज जो नशे के आदि हैं और नशा छोड़ना चाहते हैं. वे इन सेंटरों में जाकर अपना इलाज करवाते हैं.
"जो लोग लगातार नशा करते हैं, उनके लिए नशा छुड़वाना एक बड़ी चुनौती होती है. ऐसे लोगों को तकरीबन तीन माह तक कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जैसे नींद ना आना, घबराहट होना, बेचैनी, पसीने आना जैसी परेशानियां होती है. काफी लंबे समय तक व्यक्ति जब मानसिक और शारीरिक रूप से धूम्रपान का आदी हो चुका होता है. ऐसे लोगों की पहले दिनचर्या बदली जाती है. हर एक काम का टाइमटेबल फिक्स किया जाता है. लेकिन फिर भी ऐसे मरीजों के सामने कुछ दिनों तक परेशानियां होती हैं." : डॉ अनुराग अग्रवाल
इन लोगों को होती है दिक्कतें: जो व्यक्ति लगातार नशा करते हैं. वैसे लोगों को नशा छोड़ने में एक लंबा वक्त लग जाता है. उन्हें एक सीमित समय तक कुछ दिक्कतें होती है. धूम्रपान से व्यक्ति को ह्रदय रोग, सांस संबंधी बीमारियां, अस्थमा, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज की प्रॉब्लम हो सकती है. खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए नशा सबसे अधिक नुकसानदायक होता है.
नशा छोड़ने पर इन समस्याओं से मिलती है मुक्ति: जब कोई शख्स पूरी तरह से नशे की लत से मुक्त हो जाता है तो उसे सांस और हृदय संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. धूम्रपान करने वाला व्यक्ति केवल अपना ही नहीं अपने परिवार का, अपने आसपास रहने वाले लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है. इसलिए अगर कोई नशा छोड़ना चाहता है तो ऐसे व्यक्तियों को नशे की लत से छुटकारा दिलाने में हमें उसे प्रोत्साहित करना चाहिए.