रायपुर : छत्तीसगढ़ में इस बार दिवाली और न्यू ईयर के मद्देनजर सिंथेटिक पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई गई है. राज्य में इस बार सिर्फ ग्रीन पटाखे ही बिकेंगे. आने वाले समय में पटाखों का सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की गाइडलाइन के कारण अब सिंथेटिक पटाखे बाजार में नहीं बिकेंगे. छत्तीसगढ़ में इस आदेश का पालन करने के लिए जिला प्रशासन को सख्त निर्देश सरकार की ओर से जारी किए गए हैं.इसी के साथ ही प्रदेश अंदर पटाखे फोड़ने के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई है.इससे पहले की हम आपको इस बारे में जानकारी दें.आईए जानते हैं आखिर ये ग्रीन पटाखे हैं क्या चीज ?
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे ? : अब पटाखा है तो वो जलेगा और धुंआ भी निकलेगा.तो किस तरह से ये प्रदूषण नहीं करेगा.ये एक बड़ा सवाल है.तो जवाब ये है कि ग्रीन पटाखा आम पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं.ग्रीन पटाखों की खासियत ये है कि जब वो फूटते हैं तो आसपास उड़ने वाले धूल के कणों को अपने अंदर सोखते हैं.जबकि आम तौर पर बिकने वाले पटाखों में ऐसा नहीं होता.वो जब फटते हैं तो धूल और धुंए का गुबार पर्यावरण में फैलाते हैं.किसी भी पटाखे को बनाने के लिए बोरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है.लेकिन ग्रीन पटाखों में ये ना के बराबर होता है. ग्रीन पटाखे जब फटते हैं तो ये ज्यादा आवाज नहीं करते.जबकि आम पटाखे खासकर बम कानफोड़ू ध्वनि निकालते हैं.
असली और नकली ग्रीन पटाखों में अंतर : अब हमारे सामने एक और समस्या खड़ी होती है कि कहीं हमें ग्रीन पटाखे बताकर कोई दुकानदार सिंथेटिक पटाखे ना पकड़ा दे.इसकी संभावना उन क्षेत्रों में ज्यादा होती है जहां के लोगों के पास ग्रीन पटाखों की पहचानने का तरीका नहीं होता.क्योंकि पटाखा असली है या नकली आम आदमी उसे फोड़कर ही पता लगा सकता है.ऐसे में यदि नकली पटाखा कोई दे भी दे तो उसे पता है कि पैकेट खुलने पर ये वापस होगा नहीं.इसलिए आम आदमी चाहे असली हो या नकली वो तो उसे जलाकर ही मानेगा.
डिब्बों से पहचानें असली और नकली पटाखे : असली और नकली पटाखे की पहचान के लिए सबसे पहले पटाखों की कैटेगरी को पढ़ना होता है. ग्रीन पटाखों के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड रिसर्च यानी कि सीएसआईआर ने तीन कैटेगरी तैयार की है. ये तीन कैटेगरी SWAS, SAFAL और STAR हैं.इन तीनों कैटेगरी के पटाखों में अंतर भी देखने को मिलता है.
GREEN पटाखों की तीन कैटेगरी
- SWAS कैटेगरी का पटाखा फूटने पर अपनेअंदर से पानी की छोटी-छोटी बूंदें निकालता है.जिससे धूल के कण नहीं फैलते हैं.पटाखे फूटने के बाद धूल को ही सोखते हैं.पटाखों के अंदर से फूटने के बाद नमी निकलती है.
- STAR कैटेगरी के पटाखे में पोटैशियम नाइट्रेट या सल्फर नहीं होता है. यह पटाखा फूटने के बाद अधिक धुआं नहीं निकलता.ना ही इन पटाखों में ज्यादा आवाज होती है.
- SAFAL कैटेगरी वाले पटाखे में एल्युमिनियम की ज्यादा मात्रा नहीं डाली जाती.इसलिए ये भी ज्यादा आवाज नहीं करते.
- इसके अलावा ग्रीन पटाखों के डिब्बों पर CSER का लोगो लगा हुआ होता है.यदि आप इस लोगो के साथ बने क्यूआर कोड को CSER एप डाउनलोड करके स्कैन करेंगे तो पटाखे की सारी जानकारी आ जाएगी.
छत्तीसगढ़ में पटाखों के लिए गाइडलाइन : छत्तीसगढ़ की बात करें तो अब इस प्रदेश में ग्रीन पटाखों की ही खरीद बिक्री होगी. दीपावली, छठ, गुरू पर्व, नया वर्ष और क्रिसमस जैसे त्यौहारों में पटाखों की फोड़ने के अवधि निर्धारित की गई है. जिसका कड़ाई से पालन करना होगा. दीपावली, छठ पूजा, गुरु पर्व, नया वर्ष और क्रिसमस के मौके पर दो घंटे की अवधि में ही पटाखे फोड़े जाएंगे.
पटाखों के लिए सिर्फ दो घंटे : दिवाली के लिए रात 8 बजे से 10 बजे तक, छठ पूजा के लिए सुबह छह बजे से सुबह 8 बजे तक, गुरु पर्व के लिए रात 8 बजे से रात 10 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है. ठीक इसी तरह से क्रिसमस और नए वर्ष के लिए रात 11 बजकर 55 मिनट से रात 12 बजकर 30 मिनट का समय रखा गया है.
क्यों लिया गया फैसला ? : आपको बता दें कि ठंड के समय प्रदूषण की स्थिति काफी भयानक अवस्था में पहुंच जाती है. जिसके कारण सबसे ज्यादा परेशानी होती है. प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 19 की उपधारा 5 के अधीन इन नियमों को राज्य में लागू किया गया है.जिसके बाद अब रायपुर, बिलासपुर, भिलाई-दुर्ग, रायगढ़ और कोरबा के नगरीय क्षेत्रों में 1 दिसंबर से 31 जनवरी तक की अवधि में पटाखों का जलाया जाना प्रतिबंधित है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश : सुप्रीम कोर्ट ने 23 नवंबर 2018 को आदेश पारित किया था, जिसमें कम प्रदूषण करने वाले इम्प्रूव्ड और हरित पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस्ड ट्रेडर के जरिए बेचे जाने के निर्दश थे. इसके साथ ही केवल उन्हीं पटाखों को उपयोग के लिए बाजार में बेचा जा सकेगा जिनसे पैदा होने वाली आवाज निर्धारित सीमा के अंदर हो. इसके अलावा सीरीज पटाखे, लड़ियों की बिक्री, उपयोग और बनाने में प्रतिबंध लगाया गया था . पटाखों बनाने वाले ऐसे निर्माताओं के लाइसेंस रद्द करने के निर्देश दिए गए थे.जो अपने पटाखों में लीथियम, आर्सेनिक, एन्टिमनी, लेड और मर्करी का इस्तेमाल करते हैं.इसके साथ ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पटाखों की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी.