रायपुर: छत्तीसगढ़ में जमकर बारिश हो रही है. कई जिलों में अलर्ट जारी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) ने प्रदेश में हो रही लगातार बारिश को देखते हुए संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव के उपायों के इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश सभी जिला कलेक्टरों को दिए हैं. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत (Food Minister Amarjit Bhagat) का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राशन के भंडारण (Ration storage in flood affected areas) के निर्देश जारी किए गए हैं. इस बीच पर्यटन स्थलों में भी अनहोनी से बचने के लिए पाबंदी के बाद भी तैयारियां की जा रही हैं.
मुख्यमंत्री ने निचले और संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों में आपदा प्रबंधन दल को मुस्तैद रखने के निर्देश दिए हैं. राज्य आपदा मोचन बल (State Disaster Response Force) समेत प्रभावित जिलों के पुलिस बल, होमगार्ड, राजस्व विभाग समेत अन्य विभाग के अधिकारियों को भी सतर्क रहने को कहा गया है.
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने क्या बताया ?
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत (Food Minister Amarjit Bhagat) ने बताया कि बरसात को देखते हुए कोशिश की जा रही है कि राशन समेत अन्य जरूरी रोजमर्रा की सामग्रियों से भरी रहे. उन्होंने बताया कि कोविड (covid) काल में सबके यहां तक राशन पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है. भगत ने बताया कि मुख्यमंत्री ने पहले 2 महीने का राशन मुफ्त देने की बात कही थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर नवंबर तक कर दिया गया. नवंबर तक के लिए भंडारण और वितरण कराना है और इस काम में विभाग जुट गया है. कोशिश की जा रही है कि सभी जगहों पर समय पर भंडारण और वितरण किया जा सके, जिससे लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो.
छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों (tourist places in chhattisgarh) में मानसून (monsoon) आने के बाद पिकनिक स्पॉट्स पर घूमने वालों की संख्या बढ़ जाती है. इस साल कोरोना को देखते हुए सख्ती है, लेकिन प्रशासन अलर्ट है.
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बस्तर में कैसी हैं सावधानियां ?
मानसून के दौरान बस्तर की इंद्रावती नदी (Indravati river of Bastar) पूरे उफान पर रहती है. ओडिशा से कोलाब डेम के गेट खोले जाने से यहां के कई इलाके जलमग्न हो जाते हैं. इस दौरान कई लोग इस बाढ़ में फंस जाते हैं. यही नहीं बारिश के समय बस्तर के जलप्रपात भी पूरे उफान पर रहते हैं और यहां भी दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है. नगर सेना के कमांडेट एस के मार्बल ने बताया कि बस्तर के जलप्रपातों के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहले से ही SDRF की टीम ने तैयारी कर रखी है. कोरोना की वजह से जलप्रपातों को आम जनता और पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाने की वजह से यहां टीम को तैनात नहीं किया गया है. लेकिन जवानों को अलर्ट किया गया है. कमांडेंट ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में बस्तर (bastar) जिले के पास बस्तर जिले के एसडीआरएफ (sdrf) के पास पर्याप्त संसाधन हैं. वर्तमान में एसडीआरएफ (sdrf) टीम के पास 6 मोटर बोट, 20 सर्च लाइट है. कुल 65 लाइफ जैकेट हैं. इसके अलावा 50 जवान ऐसे हैं जिन्हें पूरी तरह से बाढ़ से निपटने के लिए और रेस्क्यू करने के लिए ट्रेनिंग दी गई है.
कवर्धा में लापरवाही न पड़ जाए भारी-
कवर्धा के रानी दहरा, सरोदा जलाशय, छीरपानी जलाशय और पीड़ा घाट में बारिश के वक्त जाना खतरनाक माना जाता है. रानी दहरा जलप्रपात को देखने लोग सैकड़ों फीट ऊपर पहाड़ पर जाते हैं. कोरोना में पर्यटन स्थलों में लोगों के जाने पर रोक है. लेकिन बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं. प्रशासन भी लापरवाही कर रहा है. न तो यहां जवानों की ड्यूटी लगाई गई है और ना ही कोई कर्मचारी यहां मॉनिटरिंग करने आ रहा है. ऐसे में ये लापरवाही भारी पड़ सकती है. कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा (Collector Ramesh Kumar Sharma) ने कहा है कि उन्हें जानकारी मिली है. वे आगे कदम उठाएंगे.
कोरिया में कैसी हैं व्यवस्थाएं ?
कोरिया में आपदा प्रबंधन की टीम पूरे संसाधन के साथ तैयार है. कुछ दिन पहले इसका ट्रॉयल भी किया गया था. आपदा प्रबंधन के पास 23 तैराक हैं. फायर फाइटर 24 की संख्या में कोरिया जिले में पदस्थ हैं.
अमृतधारा जलप्रपात (Amritdhara Falls) जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है. हसदेव नर्सरी पिकनिक स्पॉट आसपास के क्षेत्रों खासकर चिरमिरी, मनेन्द्रगढ़ में बहुत फेमस है. बरसात के दिनों में कई बार बच्चे और युवा यहां नहाने और घूमने आते हैं. कई बार यहां घटनाएं भी घट चुकी हैं. इसी तरह झुमका घूमन आस-पास के क्षेत्र और दूसरे राज्य से भी लोग आते हैं. यहां पर भी कई बार बरसात के दिनों में दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. इसके अलावा रामदाह जल प्रपात में भी बारिश के दिनों में होने वाली घटनाओं को देखते हुए प्रशासन अलर्ट है.
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धमतरी जिले की तैयारी
धमतरी जिले में स्थित कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं. गंगरेल, मॉडमसिल्ली, रुद्री बैराज और सोंढूर बांध देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. इसके अलावा श्रृंगी ऋषि आश्रम (Shringi Rishi Ashram) को पर्यटन स्थल के तौर जाना जाता है. इस साल महामारी की वजह से पाबंदी है. जिला प्रशासन ने इन स्थानों में वाटर स्पोर्ट्स सहित अन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन फिर भी सैलानियों की आवाजाही जारी है.
बाढ़ के हालात और किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए नगर सेना बाढ़ बचाव दल में 22 जवानों को शामिल किया गया है. ट्रेनिंग के बाद ये जवान 15 जून से लेकर 15 अक्टूबर तक नगर सेना लाइन रुद्री में तैनात किए गए हैं.
जिले में ऐसे 77 गांव हैं, जो बाढ़ से प्रभावित होते हैं. इन गांवों में 4 महीने का राशन और खाद बीज का भंडारण स्थानीय शासकीय भवनों सहित सामुदायिक भवनों में सुनिश्चित किया गया है. इसके अलावा ऐसे ग्राम जो अतिवृष्टि से प्रभावित हो सकते हैं उनकी सूची तैयार की गई है. बारिश से संपर्क टूटने वाली सड़कों की सूची तैयार की गई है. वहीं आपातकालीन स्थिति में लोगों को अस्थाई तौर पर ठहराने के लिए भवनों का भी चयन किया गया है.
गरियाबंद में क्या हैं व्यवस्थाएं
गरियाबंद में दर्जनों छोटे-बड़े पर्यटन स्थल मौजूद है. जतमई- पांडुका इलाका, घटारानी- फिंगेश्वर, सिकासेर, उदंती में कोरोना को देखते हुए पाबंदियों के बावजूद पर्यटक पहुंच रहे हैं. पर्यटन स्थलों के अलावा पैरी नदी में हर साल आने वाली बाढ़ को देखते हुए गोताखोर दल तैयार किए गए हैं.
होमगार्ड के प्रभारी दीपांकुर कुमार का कहना है कि गोताखोरों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं. हर टीम के पास अपनी लाइफ जैकेट लाइफ ब्वॉय और पानी के अंदर काम करने वाली टॉर्च सहित कई और जरूरी उपकरण मौजूद हैं. जरूरत पड़ने पर तत्काल रेस्क्यू टीम को पहुंचाने की व्यवस्था के लिए गाड़ी हमेशा तैयार खड़ी रहती है.