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SPECIAL: कोरोना काल में किराएदारों की राह ताक रहे मकान मालिक

राजधानी रायपुर में छोटे-बड़े मकान और फ्लैट मिलाकर लगभग 10 हजार मकान आज की तारीख में खाली पड़े हुए हैं. मकान मालिकों को किराएदारों का इंतजार है, जिससे उनकी महीने की कुछ कमाई घर बैठे हो जाया करती थी. कोरोना के डर से लोग एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा रहे हैं, ऐसे में किराएदारों के इंतजार में बैठे मकान मालिक और हाउज एडवाइजर चिंतित हैं.

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Published : Jul 9, 2020, 10:35 PM IST

houses in rent in raipur
राजधानी रायपुर में खाली पड़े किराए के मकान

रायपुर: देश का ऐसा कोई कोना नहीं बचा होगा, जहां कोरोना वायरस ने अपने पैर नहीं पसारे होंगे. भले ही सरकार ने अनलॉक की घोषणा कर दी है, लेकिन लोगों में अब भी कोरोना का डर बरकरार है. हालात ये हैं कि अब सभी को अपनी सुरक्षा और बचाव खुद करनी होगी. छत्तीसगढ़ में भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हर क्षेत्र कोरोना की मार झेल रहा है और लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. इनमें वो लोग भी शामिल हैं, जिनकी इनकम का जरिया मकान का किराया हुआ करता था.

किराएदारों की राह ताक रहे मकान मालिक

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में किराए के मकानों की बात करें, तो इस पर भी कोरोना संकट के नियंत्रण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन का असर पड़ा है. अनलॉक के बाद भी किराए के मकान सूने ही पड़े हैं. घर मालिकों को अब किराएदारों की जरूरत सता रही है, क्योंकि मकान किराए से देने पर महीने का कुछ खर्च तो किराएदारों से ही निकल जाता था. कोरोना काल ने वो भी छीन लिया.

किराएदारों की राह ताक रहे मकान मालिक

कोरोना का डर लोगों में इतना है कि अब किराए का घर खोजने के लिए न लोग आ रहे हैं और न ही सूने मकानों की कोई पूछ-परख है. वहीं कई मकान मालिक इस डर में भी हैं कि पता नहीं कौन व्यक्ति कहा से आया हो और कहीं वह संक्रमित न हो. हाउस एडवाइजर के रूप में काम करने वाले लोगों का मानना है कि राजधानी रायपुर में छोटे-बड़े मकान और फ्लैट मिलाकर लगभग 10 हजार मकान आज की तारीख में खाली पड़े हुए हैं. मकानों में लंबे समय से ताले लगे हुए हैं, जिससे यहां धूल की परतें भी जम गई हैं.

कोरोना के डर ने सूना किया मकान

लॉकडाउन से लेकर अब तक इन मकानों में कोई भी किरायादार नहीं आया है. मकान मालिक भी अपने खाली पड़े मकानों को लेकर चिंतित और परेशान हैं. कुछ मकान मालिकों से जब ETV भारत ने बात की तो उनका कहना है कि पिछले 3 महीने से मकान खाली पड़ा हुआ है और अब तक कोई भी किराएदार इस मकान को देखने भी नहीं आया. कुछ मकान मालिकों का कहना है कि किराए का मकान देखने के लिए किराएदार मकान में आते जरूर हैं लेकिन देखकर वापस चले जाते हैं, जो कहीं ना कहीं इन किरायेदारों के मन में भी कोरोना का खौफ और डर साफ नजर आ रहा है.

हाउस एडवाइजर के पास नहीं आते किराएदारों के फोन

लॉकडाउन के पहले हाउस एडवाइजर के पास सिर्फ किराएदारों के फोन आया करते थे, लेकिन अब इन हाउस एडवाइजर के पास मकान मालिक के भी फोन आने लगे हैं. खाली पड़े इन मकानों में रहने के लिए या तो स्टूडेंट फोन करते हैं या फिर जो लोग बैचलर हैं उन्हीं के फोन ज्यादातर आते हैं.

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ के इस जिले में DIGITAL हैं कई ग्राम पंचायतें, ऑनलाइन काम से ग्रामीण खुश

हाउस एडवाइजर बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर लोग स्वतंत्र मकान या फिर फ्लैट की तलाश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी एक तरह से डर सता रहा है कि कहीं मकान मालिक के साथ रहने से कोरोना संक्रमित ना हो जाएं. ऐसे में मकान मालिक और किराएदार दोनों के मन में कोरोना संक्रमण का भय और डर का माहौल बना हुआ है.

रायपुर: देश का ऐसा कोई कोना नहीं बचा होगा, जहां कोरोना वायरस ने अपने पैर नहीं पसारे होंगे. भले ही सरकार ने अनलॉक की घोषणा कर दी है, लेकिन लोगों में अब भी कोरोना का डर बरकरार है. हालात ये हैं कि अब सभी को अपनी सुरक्षा और बचाव खुद करनी होगी. छत्तीसगढ़ में भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हर क्षेत्र कोरोना की मार झेल रहा है और लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. इनमें वो लोग भी शामिल हैं, जिनकी इनकम का जरिया मकान का किराया हुआ करता था.

किराएदारों की राह ताक रहे मकान मालिक

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में किराए के मकानों की बात करें, तो इस पर भी कोरोना संकट के नियंत्रण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन का असर पड़ा है. अनलॉक के बाद भी किराए के मकान सूने ही पड़े हैं. घर मालिकों को अब किराएदारों की जरूरत सता रही है, क्योंकि मकान किराए से देने पर महीने का कुछ खर्च तो किराएदारों से ही निकल जाता था. कोरोना काल ने वो भी छीन लिया.

किराएदारों की राह ताक रहे मकान मालिक

कोरोना का डर लोगों में इतना है कि अब किराए का घर खोजने के लिए न लोग आ रहे हैं और न ही सूने मकानों की कोई पूछ-परख है. वहीं कई मकान मालिक इस डर में भी हैं कि पता नहीं कौन व्यक्ति कहा से आया हो और कहीं वह संक्रमित न हो. हाउस एडवाइजर के रूप में काम करने वाले लोगों का मानना है कि राजधानी रायपुर में छोटे-बड़े मकान और फ्लैट मिलाकर लगभग 10 हजार मकान आज की तारीख में खाली पड़े हुए हैं. मकानों में लंबे समय से ताले लगे हुए हैं, जिससे यहां धूल की परतें भी जम गई हैं.

कोरोना के डर ने सूना किया मकान

लॉकडाउन से लेकर अब तक इन मकानों में कोई भी किरायादार नहीं आया है. मकान मालिक भी अपने खाली पड़े मकानों को लेकर चिंतित और परेशान हैं. कुछ मकान मालिकों से जब ETV भारत ने बात की तो उनका कहना है कि पिछले 3 महीने से मकान खाली पड़ा हुआ है और अब तक कोई भी किराएदार इस मकान को देखने भी नहीं आया. कुछ मकान मालिकों का कहना है कि किराए का मकान देखने के लिए किराएदार मकान में आते जरूर हैं लेकिन देखकर वापस चले जाते हैं, जो कहीं ना कहीं इन किरायेदारों के मन में भी कोरोना का खौफ और डर साफ नजर आ रहा है.

हाउस एडवाइजर के पास नहीं आते किराएदारों के फोन

लॉकडाउन के पहले हाउस एडवाइजर के पास सिर्फ किराएदारों के फोन आया करते थे, लेकिन अब इन हाउस एडवाइजर के पास मकान मालिक के भी फोन आने लगे हैं. खाली पड़े इन मकानों में रहने के लिए या तो स्टूडेंट फोन करते हैं या फिर जो लोग बैचलर हैं उन्हीं के फोन ज्यादातर आते हैं.

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ के इस जिले में DIGITAL हैं कई ग्राम पंचायतें, ऑनलाइन काम से ग्रामीण खुश

हाउस एडवाइजर बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर लोग स्वतंत्र मकान या फिर फ्लैट की तलाश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी एक तरह से डर सता रहा है कि कहीं मकान मालिक के साथ रहने से कोरोना संक्रमित ना हो जाएं. ऐसे में मकान मालिक और किराएदार दोनों के मन में कोरोना संक्रमण का भय और डर का माहौल बना हुआ है.

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