रायपुर: कोरोना ने पिछले 1 साल से पूरे देश में हाहाकार मचा रखा है. लाखों लोग अब तक कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. लाखों लोगों की अब तक कोरोना से मौत हो चुकी है. लेकिन इस महामारी के बीच होम आइसोलेशन (home isolation) कम लक्षणों वाले मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुआ है. बिना लक्षण और कम लक्षण वाले मरीज होम आइसोलेशन में ही रिकवर हो जा रहे हैं.
कोरोना ICU डिपार्टमेंट हेड ओपी सुंदरानी ने बताया कि होम आइसोलेशन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुछ क्राइटेरिया सेट किया है. इसके मुताबिक सबसे पहले ये नियम है कि जो भी पॉजिटिव आ रहे हैं, उसके घर में अटैच टॉयलेट के साथ एक कमरा होना जरूरी है. विभाग ने और भी कुछ पैमाने तय किए हैं जिसके पूरे होने पर ही होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाती है.
प्रदेश में क्या है होम आइसोलेशन के लिए गाइडलाइन
- कोरोना पॉजिटिव पाए गए C कैटेगरी के मरीजों को होम आइसोलेट करने की अनुमति प्रदान की जा सकती है.
- होम आइसोलेशन करने के लिए मरीज के घर में अलग हवादार कमरा और शौचालय होने पर ही उन्हें होम आइसोलेशन की अनुमति दी जा सकती है.
- होम आइसोलेशन के दौरान जिला स्वास्थ विभाग की ओर से नियुक्त किए स्वास्थकर्मी हर दिन मरीज से फोन के जरिए संपर्क में रहेंगे.
- जिन मरीजों को होम आइसोलेशन में रख जाएगा, उनके घर में किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी.
- मरीज को सांस लेने में कठिनाई, सीने में लगातार दर्द या दबाव हो, या चेहरे का नीला पड़ना जैसे गंभीर लक्षण विकसित होने की सूचना पर उन्हें तत्काल डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल में पहुंचाने की व्यवस्था जिला प्रशासन की होती है.
- होम आइसोलेशन के निर्देश का मरीज और उनके परिजनों दोनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्तर पर निगरानी दलों की व्यवस्था भी होती है.
होम आइसोलेशन के दौरान बाहर घूम रहे थे कोरोना पॉजिटिव मरीज, FIR दर्ज
दीवारों पर लिखी जाती है सूचना
जोन 3 कमिश्नर महेंद्र कुमार पाठक ने बताया कि पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर जिला प्रशासन से जोन कार्यालय या नगर निगम कार्यालय में वह रिपोर्ट आती है. जिसके बाद मोबाइल से जानकारी दी जाती है कि यह व्यक्ति पॉजिटिव है. जैसे ही जोन कार्यालय में रिपोर्ट आती है स्वास्थ्य विभाग संक्रमित व्यक्ति को ट्रेस करते हैं. उसके बाद उस तक दवाइयां पहुंचाई जाती है. होम आइसोलेट होने वाले मरीज के घर के बाहर सूचना लगाई जाती है.या फिर वॉल राइटिंग कराई जाती है. कोई मरीज सीरियस हो जाए तो उसको हॉस्पिटल में शिफ्ट करने का काम भी स्वास्थ्य विभाग करता है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग नियमों का पालन नहीं करने वालों पर नजर भी रखता है.
स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध करा रहा सारी सुविधा
संकल्प लेनपाले ने बताया कि कुछ समय पहले उसकी तबीयत खराब लग रही थी. तब उसने एंटीजन और RTPCR टेस्ट कराया. एंटीजन की तुरंत रिपोर्ट आई जो निगेटिव थी. लेकिन दो दिन बाद RTPCR की रिपोर्ट आई जिसमें वो पॉजिटिव आया. रिपोर्ट आने के बाद संकल्प को सरकार की तरफ से फोन आया. संकल्प ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने उससे होम आइसोलेशन और हॉस्पिटल के बारे में पूछा. जिसमें उसने होम आइसोलेशन चुना. जैसे ही उसने होम आइसोलेशन का ऑप्शन चुना उसे एक लिंक आया और लिंक पर क्लिक करते ही सारी इंफॉर्मेशन आ गई. जिसमें डॉक्टर के नाम और नंबर भी दिए गए थे.
समय-समय पर अपडेट ले रहा स्वास्थ्य विभाग
संकल्प ने एक डॉक्टर का नाम चुना. डॉक्टर ने उसे मेडिसिन की किट भेजी. डॉक्टर डेली हर 4 घंटे में वॉट्सएप के जरिए संकल्प का ऑक्सीजन लेवल और टैंप्रेचर अपडेट करते थे. 5-6 दिनों बाद संकल्प को साइकैटरिस्ट टीम का भी फोन आया. उन्होंने भी पूछा कि आप किसी साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम या डिप्रेशन में तो नहीं हो. इस पर संकल्प ने बताया की उसे ऐसी कोई तकलीफ नहीं है. संकल्प 17 दिन होम क्वॉरेंटाइन में था. जैसे ही दवाइयां खत्म हुई मैसेज के थ्रू स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया कि आइसोलेशन टाइम खत्म हो चुका है.