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Holika Dahan 2023: जानिए होलिका दहन का समय और मुहूर्त

होलिका दहन रंगों के लोकप्रिय भारतीय त्योहार होली का पहला दिन है. इस दिन फाल्गुन माह की पूर्णिमा की रात को एक पवित्र अग्नि जलाई जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह राक्षसी शक्ति पर दैवीय शक्ति की विजय को प्रदर्शित करता है. Muhurta of Holika Dahan

इस साल भी उत्साह से मनाया जाएगा होलिका दहन
holika dahan 2023
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Published : Feb 26, 2023, 5:08 AM IST

रायपुर: होलिका दहन, जिसे छोटी होली के रूप में भी जाना जाता है. होली के मुख्य आयोजन से एक दिन पहले मनाया जाता है. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की कहानी है.इस दिन लोग होलिका की पूजा करते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं में माना जाता है कि होलिका पूजा से घर में समृद्धि और धन आता है. इसके साथ ही हर प्रकार के भय पर विजय मिलती है. होलिका दहन एक अनुष्ठान है जो एक अलाव के साथ होता है.

होलिका दहन का मुहूर्त : लोग आमतौर पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ अलाव के चारों ओर घूमते हैं क्योंकि वे देवी को अपना प्रसाद अर्पित करते हैं. पूजा के लिए फूल, धूप, अगरबत्ती, अक्षत, सूती धागा, मूंग दाल, मिठाई या बताशा, हल्दी, कुमकुम, नारियल, गुलाल और जल ले सकते हैं. पांच या सात बार अलाव की परिक्रमा करके प्रार्थना संपन्न करते हैं. होलिका दहन के दिन पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को शाम 04:17 बजे से शुरू होकर 7 मार्च 2023 को शाम 6:09 बजे खत्म होगी.

Holashtak 2023 : होलाष्टक में क्या करें, क्या नहीं

होलिका दहन का इतिहास: होलिका दहन का इतिहास काफी प्रचलित है. हिरण्यकश्यप को राक्षस राजा के रूप में भी जाना जाता है. वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा दुश्मन था. हालांकि हिरण्यकश्प का बेटा प्रहलाद, भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और हर रोज उनकी पूजा करता था. प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप को यह अच्छा नहीं लगा और उसने अपनी बहन होलिका से मदद मांगकर अपने ही बेटे को मारने का फैसला किया, जो एक राक्षस थी. प्रह्लाद को बचाने के लिए, भगवान विष्णु ने हवा के एक झोंके को बुलवाया और होलिका की शॉल को उड़ाकर प्रह्लाद पर रख दिया. इससे प्रह्लाद की जान बच गई, जबकि होलिका आग में जलकर खाक हो गई. इस तरह से बुराई पर अच्छाई की जीत हुई.

रायपुर: होलिका दहन, जिसे छोटी होली के रूप में भी जाना जाता है. होली के मुख्य आयोजन से एक दिन पहले मनाया जाता है. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की कहानी है.इस दिन लोग होलिका की पूजा करते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं में माना जाता है कि होलिका पूजा से घर में समृद्धि और धन आता है. इसके साथ ही हर प्रकार के भय पर विजय मिलती है. होलिका दहन एक अनुष्ठान है जो एक अलाव के साथ होता है.

होलिका दहन का मुहूर्त : लोग आमतौर पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ अलाव के चारों ओर घूमते हैं क्योंकि वे देवी को अपना प्रसाद अर्पित करते हैं. पूजा के लिए फूल, धूप, अगरबत्ती, अक्षत, सूती धागा, मूंग दाल, मिठाई या बताशा, हल्दी, कुमकुम, नारियल, गुलाल और जल ले सकते हैं. पांच या सात बार अलाव की परिक्रमा करके प्रार्थना संपन्न करते हैं. होलिका दहन के दिन पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को शाम 04:17 बजे से शुरू होकर 7 मार्च 2023 को शाम 6:09 बजे खत्म होगी.

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होलिका दहन का इतिहास: होलिका दहन का इतिहास काफी प्रचलित है. हिरण्यकश्यप को राक्षस राजा के रूप में भी जाना जाता है. वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा दुश्मन था. हालांकि हिरण्यकश्प का बेटा प्रहलाद, भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और हर रोज उनकी पूजा करता था. प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप को यह अच्छा नहीं लगा और उसने अपनी बहन होलिका से मदद मांगकर अपने ही बेटे को मारने का फैसला किया, जो एक राक्षस थी. प्रह्लाद को बचाने के लिए, भगवान विष्णु ने हवा के एक झोंके को बुलवाया और होलिका की शॉल को उड़ाकर प्रह्लाद पर रख दिया. इससे प्रह्लाद की जान बच गई, जबकि होलिका आग में जलकर खाक हो गई. इस तरह से बुराई पर अच्छाई की जीत हुई.

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