रायपुर: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली की ओर से अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की शिकायतों के निराकरण के संबंध में गुरुवार सिविल लाइन स्थित न्यू सर्किट हाउस में कैंप सेटिंग और जनसुनवाई आयोजित की गई. कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एचएल दत्तू ने किया.
54 मामलों की हुई सुनवाई
इस दौरान एचएल दत्तू समेत दो अन्य ने एकल पीठ एसटी, एससी एक्ट के 54 मामलों की सुनवाई की. वहीं फुल बेंच की ओर से 13 मामलों को संज्ञान में लिया गया. कार्यक्रम में एस्ट्रोसिटी एक्ट की दोषी पाए जाने और एनटीपीसी के मेगा प्रोजेक्ट से प्रभावित होने वाली 35 महिलाओं को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं.
दिए ये निर्देश
यौन शोषण के आरोपी एडीजी पवन देव के मामले में आयोग ने कहा कि घटना होने के बाद भी पवन देव का प्रमोशन कर दिया गया. यह मामला संवेदनशील है. राज्य को चाहिए वह सीएटी में पवनदेव की याचिका और प्रमोशन को चैलेंज करे. अगस्त 2017 में सूरजपुर में सेप्टिक टैंक की में जान गंवाने वाले चार लोगों के मामले में आयोग ने राज्य को निर्देशित किया है कि आगे से यह सुनिश्चित हो कि सेप्टिक टैंक के सीवरेज की सफाई ऑटोमेटिक मशीन से की जाए.
पेंशन और पीएफ रोकने पर लगाई फटकार
वही बैकुंठपुर में प्रसव के बाद बच्चों के डस्टबिन में गिरने से मौत के मामले में आयोग ने राज्य सरकार को दोषी मानते हुए परिजनों के लिए मुआवजे का प्रावधान किया है. आयोग ने सरकार को पेंशन और पीएफ रोकने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारी कोई भी बहाना बनाकर लोगों को महीनों तक नहीं अटका सकते. अपराधिक मामलों में दोषी व्यक्तियों की पेंशन में भले ही रोक हो पर उनके अधिकारी मार्गदर्शन लेकर उनके पीएफ और ग्रेच्युटी के मामले का निपटारा करें.
वहीं मीडिया ने जब आयोग के अध्यक्ष से पूछा कि वह खुद ही आयोग को पूर्व में बिना दांत वाला शेर कह चुके हैं. इस बयान पर उन्होंने कहा कि केंद्र से आयोग के अधिकार बढ़ाने की मांग की गई है कुछ पूरी भी हुई है अगर वह अधिकार मिल जाते हैं तो आयोग बिना दांत नहीं दांत वाला शेर हो जाएगा.