रायपुर: मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 दिन के स्वैच्छिक वेतन कटौती का आदेश दिया था. यह वेतन कटौती स्वैच्छिक थी इसलिए अधिकारियों और कर्मचारियों की सहमति जरूरी थी, लेकिन कई विभागों में बिना सहमति के ही 1 दिन का वेतन काट लिया गया है. जिससे कर्मचारियों में शासन के खिलाफ गुस्सा है.
खासकर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने इसे लेकर नाराजगी जाहिर की है. क्योंकि उन्होंने इस वेतन कटौती को रोकने शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर सूचित किया था. बावजूद इसके इन कर्मचारियों का वेतन काट दिया गया.
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री आलोक मिश्रा का कहना है कि कोरोना काल में काम करते हुए कई स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो गई. लेकिन उनके परिवार को अब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है. ना ही उन्हें 50 लाख रुपये बीमा की राशि मिली है. पिछले साल स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा 1 दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराने का सहमति पत्र दिया गया था, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में कर्मचारियों को महंगाई भत्ता तक नहीं दिया गया. स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष प्रोत्साहन राशि कोरोना भत्ता दिए जाने की बात कही गई थी जो अबतक लंबित है.
वैक्सीनेशन में वर्गीकरण से HC खफा, कहा- 'सरकार पेश करे ठोस नीति नहीं तो रद्द करेंगे आदेश'
स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि उन्होंने पिछले साल जो घोषणा की थी उसके अनुसार जो भी प्रोत्साहन राशि हो उसे तत्काल दें. साथ ही इस साल कर्मचारियों का काटा गया 1 दिन का वेतन अगले महीने के वेतन में जोड़ कर वापस किया जाए. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है.
बिना कटौती के नहीं हो सकता वेतन का भुगतान
कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि कुछ अधिकारियों ने वेतन भुगतान का ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है. जिसमें जब तक 1 दिन के वेतन की कटौती न की जाए तब तक उनके वेतन का भुगतान नहीं होगा. यही वजह है कि बिना सहमति के मनमाने रूप से इन कर्मचारियों के 1 दिन की वेतन कटौती की गई है. स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने मांग की है कि इस सॉफ्टवेयर में संशोधन किया जाए. जिससे स्वैच्छिक वेतन कटौती ही हो सके. साथ ही जिन अधिकारियों के द्वारा इस तरह का जबरिया सॉफ्टवेयर बनवाया गया है, उन्हें निलंबित किया जाए.