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कोल प्रोजेक्ट के खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन, 52 दिनों से जारी है धरना प्रदर्शन - villagers have been protest

हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल खनन परियोजना के खिलाफ ग्रामीण पिछले 52 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती है. तब तक वह सरकार के खिलाफ धरना जारी रखेंगे.

52 दिनों से ग्रामीणों का धरना प्रदर्शन
52 दिनों से ग्रामीणों का धरना प्रदर्शन
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Published : Dec 4, 2019, 4:48 PM IST

Updated : Dec 4, 2019, 10:43 PM IST

रायपुर: बुधवार को हसदेव अरण्य के जंगल-जमीन को बचाने के संघर्ष पर ग्रामीणों ने राजधानी में प्रेस वार्ता की. इसमें ग्रामीणों ने बताया कि कोरबा , सरगुजा और सूरजपुर जिले की सीमाओं में स्थित हसदेव अरण्य क्षेत्र कोल खनन परियोजना के खिलाफ वे पिछले 52 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

कोल प्रोजेक्ट के खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन

ग्रामीणों का आरोप है कि उनका क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल है. पेशा कानून 1996 के तहत किसी भी कानून में भूमि अधिग्रहण के पूर्व ग्राम सभा की सहमति आवश्यक है. लेकिन भूमि अधिग्रहण गैरकानूनी तरीके से बिना ग्रामसभा सहमति के किया जा रहा है.

ग्रामीणों ने फर्जी प्रस्ताव बनाने का लगाया आरोप

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी ने उनके ग्राम सभा का फर्जी प्रस्ताव बनाया है. जिस पर जिला प्रशासन ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है. इसी प्रकार पातुरिया गिरमुडी कोल ब्लॉक भी वर्तमान सरकार ने अदानी कंपनी को देकर खनन के लिए आवश्यक स्वीकृति की प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया है. जबकि विपक्ष में रहकर हसदेव अरण्य में ना सिर्फ खनन परियोजनाओं का विरोध किया है बल्कि आज आंदोलनरत ग्राम सभाओं का भी समर्थन किया गया था.

ग्रामीणों ने सरकार पर नजरअंदाज करने का लगाया आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि संपूर्ण हसदेव अरण्य वर्ष 2009 में नो-गो क्षेत्र घोषित कर कानून पर प्रतिबंध किया गया था. लेकिन वर्तमान मोदी सरकार ने इस संपूर्ण क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को नजरअंदाज कर सिर्फ खनन कंपनियों के मुनाफे के लिए सौंप दिया है. वहीं वर्ष 2015 में हसदेव अरण्य कि 20 ग्राम सभाओं ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव कर हसदेव अरण्य में कोल ब्लॉक आवंटन का विरोध करते हुए प्रस्ताव केंद्र मंत्री और प्रधानमंत्री को सौंपा था. लेकिन उस प्रस्ताव पर भी ध्यान नहीं दिया गया.

पढ़े:सुकमा: नक्सलियों ने किया पिता और पुत्र का अपहरण

हसदेव अरण्य के ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती तब तक वे इसी तरह सरकार के खिलाफ धरना देते रहेंगे.

रायपुर: बुधवार को हसदेव अरण्य के जंगल-जमीन को बचाने के संघर्ष पर ग्रामीणों ने राजधानी में प्रेस वार्ता की. इसमें ग्रामीणों ने बताया कि कोरबा , सरगुजा और सूरजपुर जिले की सीमाओं में स्थित हसदेव अरण्य क्षेत्र कोल खनन परियोजना के खिलाफ वे पिछले 52 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

कोल प्रोजेक्ट के खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन

ग्रामीणों का आरोप है कि उनका क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल है. पेशा कानून 1996 के तहत किसी भी कानून में भूमि अधिग्रहण के पूर्व ग्राम सभा की सहमति आवश्यक है. लेकिन भूमि अधिग्रहण गैरकानूनी तरीके से बिना ग्रामसभा सहमति के किया जा रहा है.

ग्रामीणों ने फर्जी प्रस्ताव बनाने का लगाया आरोप

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी ने उनके ग्राम सभा का फर्जी प्रस्ताव बनाया है. जिस पर जिला प्रशासन ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है. इसी प्रकार पातुरिया गिरमुडी कोल ब्लॉक भी वर्तमान सरकार ने अदानी कंपनी को देकर खनन के लिए आवश्यक स्वीकृति की प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया है. जबकि विपक्ष में रहकर हसदेव अरण्य में ना सिर्फ खनन परियोजनाओं का विरोध किया है बल्कि आज आंदोलनरत ग्राम सभाओं का भी समर्थन किया गया था.

ग्रामीणों ने सरकार पर नजरअंदाज करने का लगाया आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि संपूर्ण हसदेव अरण्य वर्ष 2009 में नो-गो क्षेत्र घोषित कर कानून पर प्रतिबंध किया गया था. लेकिन वर्तमान मोदी सरकार ने इस संपूर्ण क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को नजरअंदाज कर सिर्फ खनन कंपनियों के मुनाफे के लिए सौंप दिया है. वहीं वर्ष 2015 में हसदेव अरण्य कि 20 ग्राम सभाओं ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव कर हसदेव अरण्य में कोल ब्लॉक आवंटन का विरोध करते हुए प्रस्ताव केंद्र मंत्री और प्रधानमंत्री को सौंपा था. लेकिन उस प्रस्ताव पर भी ध्यान नहीं दिया गया.

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हसदेव अरण्य के ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती तब तक वे इसी तरह सरकार के खिलाफ धरना देते रहेंगे.

Intro:आज हसदेव अरण्य के जंगल जमीन बचाने के संघर्ष पर ग्रामीण महिला वह पुरुष द्वारा राजधानी रायपुर में प्रेस वार्ता ली गई जिसमें ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि कोरबा , सरगुजा , सूरजपुर जिले की सीमाओं में स्थित हसदेव अरण्य क्षेत्र जो कि समृद्धि वन और मिनीमाता बागो बांध का केचमेट में प्रस्तावित कोल खनन परियोजना के खिलाफ ग्रामीण पिछले 52 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।




Body:ग्रामीणों का आरोप है कि उनका क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल है और पेशा कानून 1996 के तहत किसी भी कानून में भूमि अधिग्रहण के पूर्व ग्राम सभा की सहमति आवश्यक है परंतु प्रसाद कोल ब्लॉक जो RRVNUL को आवंटित है और खनन का ठेका अदानी कंपनी के पास है उनका भूमि अधिग्रहण गैरकानूनी तरीके से बिना ग्रामसभा सहमति के किया जा रहा है प्रभावित ग्राम वासियों का कहना है कि कंपनी द्वारा उनके ग्राम सभा का फर्जी प्रस्ताव भी बनाया गया जिस पर आज तक कोई कार्यवाही जिला प्रशासन ने नहीं की है इसी प्रकार पातुरिया गिरमुडी कोल ब्लॉक भी वर्तमान सरकार ने अदानी कंपनी को देकर खनन के लिए आवश्यक स्वीकृति की प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है जबकि विपक्ष में रहकर हसदेव अरण्य में ना सिर्फ खनन परियोजनाओं का विरोध किया है बल्कि आज आंदोलनरत ग्राम सभाओं का भी समर्थन किया है।




Conclusion:संपूर्ण हसदेव अरण्य वर्ष 2009 में नो गो क्षेत्र घोषित कर कानून पर प्रतिबंध किया गया था परंतु वर्तमान मोदी सरकार ने इस संपूर्ण क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को नजरअंदाज कर सिर्फ खनन कंपनियों के मुनाफे के लिए सौंप दिया है वर्ष 2015 में हसदेव अरण्य कि 20 ग्राम सभाओं ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव कर
हसदेव अरण्य में कोल ब्लॉक आवंटन का विरोध कर प्रस्ताव केंद्र मंत्री और प्रधानमंत्री को सौपे थे परंतु उस प्रस्ताव की भी अवहेलना की गई।

हसदेव अरण्य ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती तब तक वह इसी तरह सरकार के खिलाफ धरना करते रहेंगे।

बाइट :- जयनंदन सिंह गोरखे (ग्रामीण)
Last Updated : Dec 4, 2019, 10:43 PM IST
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